मुख्यमंत्री किसी को चुना गया, कुर्सी किसी और को मिली, जानें कैसे नारायण राणे को लगा था झटका

61


मुख्यमंत्री किसी को चुना गया, कुर्सी किसी और को मिली, जानें कैसे नारायण राणे को लगा था झटका

हाइलाइट्स

  • प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणे की जगह अशोक चव्हाण को सीएम घोषित कर दिया गया
  • विलासराव देशमुख ने वाया अहमद पटेल नारायण राणे का सपना तोड़ दिया था
  • राणे का सवाल था- मेरे हक में विधायक नहीं थे तो फिर मुझे दिल्ली क्यों लाया गया?

कहा जाता है कि राजनीति में रोमांच इसलिए है कि उसमें भरोसे की बुनियाद बहुत कमजोर होती है। सामने बैठे शख्स की मुस्कुराहट से यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि उसके जेहन में क्या कुछ चल रहा है। 13 साल पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे भी अलग-अलग चेहरों पर दिख रही मुस्कुराहट का सही मतलब समझने में बुरी तरह गच्चा खा गए। नतीजा यह हुआ कि उसकी वजह से ऐसा जख्म मिला जो आज तक नहीं भर पाया है।

महाराष्ट्र कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता चुना जाना था
वर्ष 2008 में उन्हें महाराष्ट्र कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता चुना जाना था। एक तरह से वह चुन भी लिए गए थे, लेकिन यह तय हुआ कि इसकी घोषणा दिल्ली में होगी। उन्हें सोनिया गांधी से मुलाकात कराने के लिए दिल्ली भी लाया गया। लेकिन अगले रोज सुबह जब महाराष्ट्र का सीएम चुने जाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हुई तो नारायण राणे को पता चला कि उनकी जगह अशोक चव्हाण को सीएम घोषित कर दिया गया।

UP Election के बाद महाराष्ट्र में भी सरकार बदल जाएगी? बीजेपी नेता ने किया इशारा

अगर तुम सीएम होते हो तो मुझसे ज्यादा कोई खुश नहीं होगा
दरअसल एक दिन पहले राणे को गले लगाकर- ‘राणे, मेरे भाई! अगर तुम सीएम होते हो तो मुझसे ज्यादा और कोई खुश नहीं होगा’ कहने वाले विलासराव देशमुख ने वाया अहमद पटेल नारायण राणे का सपना तोड़ दिया था। नारायण राणे अब भी जब उस घटना को याद करते हैं तो यही कहते हैं, ‘सोनिया गांधी को गुमराह किया गया। उन्हें गलत सूचना दी गई। इस षड़यंत्र में कई बड़े लोग शामिल थे।’ यह पूरा घटनाक्रम नवंबर 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद का है। मुंबई आतंकी हमले के वक्त विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस नेतृत्व ने उनसे इस्तीफा ले लिया। उनके स्थान पर नया मुख्यमंत्री चुना जाना था, विधानसभा चुनाव में भी बस एक साल का ही वक्त बचा था। वहां के जो समीकरण थे, उसमें मोटे तौर पर नारायण राणे का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा था। वह शिवसेना से कांग्रेस में शामिल हुए थे।

AP के फोन ने कर दिया खेल
कहा जाता है कि विलासराव देशमुख ऊपरी तौर पर तो नारायण राणे के समर्थन में दिख रहे थे, लेकिन सचाई यह थी कि वह नारायण राणे को किसी भी कीमत पर सीएम के रूप में नहीं देखना चाहते थे। उधर कांग्रेस लीडरशिप ने विधानमंडल दल की राय जानने और राय के आधार पर नया सीएम घोषित करने के लिए दिल्ली से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं- प्रणब मुखर्जी, एके एंटनी और दिग्विजय सिंह को बतौर पर्यवेक्षक महाराष्ट्र भेजा। विधानमंडल दल की बैठक के बाद नारायण राणे को नए मुख्यमंत्री के रूप में बधाई मिलने लगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी भी शुरू हो गई, लेकिन विलासराव देशमुख ने प्रणब मुखर्जी को बताया कि अहमद पटेल आपसे बात करना चाहते हैं, आप तुरंत बात कर लीजिए। प्रणब मुखर्जी ने अहमद पटेल को फोन लगाया। उधर से बताया गया कि ‘मैडम’ चाहती हैं कि महाराष्ट्र में कोई घोषणा नहीं की जाए, घोषणा दिल्ली में हो।

Narayan Rane Arrest Update: राणे की गिरफ्तारी पर भड़की BJP, पूछा- उद्धव के 27 मंत्रियों पर कार्रवाई क्यों नहीं

तो दिल्ली में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी
इसके बाद यह तय हुआ कि ठीक है, दिल्ली वापस चलते हैं। जब मैडम की इच्छा है कि दिल्ली से सीएम घोषित हो, तो दिल्ली में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। पर्यवेक्षकों ने अपने साथ नारायण राणे को दिल्ली ले चलने का फैसला किया। सोचा गया कि ‘मैडम’ से मुलाकात भी हो जाएगी। नारायण राणे को जब इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई एतराज नहीं। वह भी दिल्ली चलते हैं। समझा जा सकता है कि जो शख्स सीएम बनने वाला हो, उसके लिए लिए शपथ से पहले का एक-एक पल कितनी मुश्किल से कटता है लेकिन नारायण राणे कर भी क्या सकते थे! वह तीनों पर्यवेक्षकों के साथ दिल्ली रवाना हो गए। रात में उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात भी कराई गई, यह तय हुआ कि अगले दिन 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में नए सीएम के नाम का औपचारिक एलान हो जाएगा।

टीवी खोला तो प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी
नारायण राणे ने किसी तरह से रात काटी और सुबह हुई तो 11 बजने का इंतजार करने लगे। लेकिन उससे पहले बहुत कुछ बदलने लगा था। पहले अहमद पटेल का फोन आया, यह कहने के लिए कि एक बार शरद पवार से बात करके उनकी ‘एनओसी’ दिलवा दीजिए। सहयोगी दल हैं, उनके समर्थन के बिना तो सरकार नहीं चल सकती। नारायण राणे ने शरद पवार को फोन लगाया। उन्होंने कहा, ‘राणे तुम्हारे नाम पर मुझे कोई एतराज नहीं लेकिन तुम्हें तो कांग्रेस सीएम बना नहीं रही है।’ शरद पवार के फोन के बाद सोनिया गांधी का फोन नारायण राणे के पास आया। उन्होंने कुछ और जानकारी दी। बताया कि पर्यवेक्षकों का कहना है कि विधानमंडल दल में विधायकों का पर्याप्त समर्थन तुम्हारे साथ नहीं है।

मेरे हक में विधायक नहीं थे तो फिर दिल्ली क्यों लाए
राणे ने सवाल किया कि अगर मेरे हक में विधायक नहीं थे तो फिर मुझे महाराष्ट्र से दिल्ली क्यों लाया गया? अगर आपको कोई शक-सुबहा हो तो विधायकों को आप दिल्ली बुलाकर अपने सामने राय ले लीजिए। लेकिन नारायण राणे के तर्क उनके हक में जाते नहीं दिखे। उधर 11 बजे बज गए थे। नारायण राणे ने टीवी ऑन किया। प्रणब दा की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी। वह बता रहे थे कि विधायकों की इच्छा को देखते हुए अशोक चव्हाण को महाराष्ट्र का नया सीएम घोषित किया गया। नारायण राणे के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो गया था कि उनके खिलाफ साजिश में कोई एक-दो शामिल हैं या सारे के सारे? वैसे महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स के जानकार कहते हैं कि नारायण राणे विलासराव और अहमद पटेल के जाल में फंस गए थे। फिर कांग्रेस में उनके मुख्यमंत्री बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो सका।



Source link