महाराष्ट्र राजनीति: बागी विधायकों की सुप्रीम राहत, 5 पॉइंट्स में समझिए पूरा मामला

76

महाराष्ट्र राजनीति: बागी विधायकों की सुप्रीम राहत, 5 पॉइंट्स में समझिए पूरा मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के बागी विधायकों को बड़ी राहत दी है। डेप्युटी स्पीकर की ओर से भेजे गए 16 बीगी विधायकों को अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए कोर्ट ने समय सीमा बढ़ा दी है। कोर्ट ने विधायकों को 12 जुलाई तक जवाब देने को कहा है। महाराष्ट्र के डेप्युटी स्पीकर ने बागी विधायकों को जवाब देने के लिए 27 जून की शाम तक का समय दिया था।

एकनाथ शिंदे समूह ने डेप्युटी स्पीकर की ओर से बागी 16 विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी करने और शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में अजय चौधरी की नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनावई की। आइए 5 पॉइंट्स में समझते हैं कि कैसै मिली बागी विधायकों को राहत।

बागी विधायकों को राहत
बागी विधायकों को राहत देते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने आदेश में कहा कि डेप्युटी स्पीकर की ओर बागी विधायकों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए आज शाम 5:30 बजे तक का समय दिया गया, जिसे 12 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता और अन्य विधायक अपना जवाब देने के लिए स्वतंत्र हैं।

कोर्ट ने 5 दिन में मांगा जवाब
एकनाथ शिंदे और अन्य बागी विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर, महाराष्ट्र सरकार, अजय चौधरी, सुनील चौधरी, केंद्र सरकार और महाराष्ट्र के डीजीपी को नोटिस जारी कर 5 दिन में जवाब मांगा है।

स्पीकर को हटाने के लिए नोटिस लंबित है
सुप्रीम कोर्ट ने डेप्युटी स्पीकर को हलफनामा दाखिल करने और बागी विधायकों द्वारा उन्हें दिए गए अविश्वास नोटिस को रिकॉर्ड में रखने के लिए कहा है। वहीं, सुनवाई के दौरान शिवसेना के बागी विधायकों ने तर्क दिया कि उनके खुद के हटाने के लिए नोटिस लंबित है तो डेप्युटी स्पीकर अयोग्यता याचिका पर फैसला करने के लिए सक्षम नहीं हैं। पीठ ने टिप्पणी की कि कोर्ट के सामने मुद्दा यह है कि क्या डेप्युटी स्पीकर विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला कर सकते हैं, जबकि विधायकों द्वारा खुद डेप्युटी स्पीकर को हटाने की मांग की गई है।

फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से कोर्ट का इन्कार
अजय चौधरी और सुनील प्रभु के वकील देवदत्त कामथ ने आग्रह किया कि कोर्ट आदेश दे कि जब तक अदालत में यह मामला तय नहीं होता, तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जाए। अगर इस बीच फ्लोर टेस्ट हो गया और स्थिति बदल गई तो क्या होगा? इसलिए कोर्ट फ्लोर टेस्ट पर रोक लगा दे। इस पर पीठ ने कोई आदेश देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गैर कानूनी होता है तो अदालत आ सकते हैं।

बागी विधायकों और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और शिंदे कुट के सभी विधायकों के जीवन और स्वतंत्रा की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए। उनकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे। सरकार सभी विधायकों और उनके परिवार को तुरंत उचित सुरक्षा मुहैया कराए। सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे और अन्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इन विधायकों को धमकियां दी गई हैं और कहा गया है कि 40 विधायकों के शव मुंबई आएंगे।

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News

Source link