महाराष्ट्र में बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को पीछे कर शिंदे को आगे कर रही?
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने एक विज्ञापन देकर देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र की राजनीति में पीछे धकेलने का जो दांव खेला है, उसके बाद लाख टके का सवाल यह है कि क्या यह दांव खुद एकनाथ शिंदे ने खेला है या कंधा सिर्फ एकनाथ शिंदे का है और बंदूक बीजेपी की अंदरूनी राजनीति की है। इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एकनाथ शिंदे के करीबी लोगों से बात की। नाम न छापने की शर्त पर शिंदे के करीबी ने बताया, ‘जिस तरह से बीजेपी के कुछ नेता राज्य के एक बड़े बीजेपी नेता के इशारे पर एकनाथ शिंदे को उनके प्रभाव क्षेत्र ठाणे में घेरने की कोशिश कर रहे हैं। एकनाथ शिंदे के पांच मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटवाने की खबरें चलवा कर शिंदे को डिस्टर्ब करने की कोशिश कर रहे हैं, यह उसका जवाब है।’
राजनीति में शिवसेना हमेशा ड्राइविंग सीट पर रही
एकनाथ शिंदे के करीबी ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना हमेशा ड्राइविंग सीट पर रही है, लेकिन 2014 के बाद यह स्थिति बदल गई थी, एकनाथ शिंदे उस ड्राइविंग सीट वाली स्थिति को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। शिवसैनिकों को अपनी ओर खींचने के लिए भी यह स्थिति बनाना जरूरी है। एकनाथ शिंदे गुट का आकलन यह है कि कर्नाटक की हार के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का अंदाजा हो गया है कि 2024 चुनावों से पहले एनडीए को मजबूत करना जरूरी है।
इसी के तहत महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे), तमिलनाडु में एआईएडीएमके और कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व विशेष रणनीति बना रहा है। एकनाथ शिंदे इस स्थिति का लाभ लेने की फिराक में हैं।
शिंदे अपने मन से यह सब नहीं कर सकते?
अब सवाल यह है कि क्या शिवसेना (शिंदे) ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को विश्वास में लेकर यह दांव खेला है? बीजेपी के कई नेताओं को लगता है कि शिंदे अपने मन से यह सब नहीं कर सकते। खासकर तब जब इस समय एकनाथ शिंदे और उनके नेतृत्व वाली शिवसेना की पब्लिसिटी का काम दिल्ली के इशारे पर आई एक एजेंसी कर रही है। साथ ही शिंदे के एक खास ओएसडी गुजरात के है और शाह के करीबी हैं।
तो क्या इसका मतलब है कि बीजेपी की लीडरशिप ही महाराष्ट्र में ब्राह्मण चेहरे देवेंद्र फडणवीस को पीछे करके मराठा चेहरे एकनाथ शिंदे को आगे करना चाहती है? सवाल यह भी है कि क्या यह फडणवीस को महाराष्ट्र से हटाकर केंद्र में ले जाने के की प्रकिया की शुरुआत है? आने वाले वक्त में इन सवालों का जवाब मिलेगा।
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राजनीति में शिवसेना हमेशा ड्राइविंग सीट पर रही
एकनाथ शिंदे के करीबी ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना हमेशा ड्राइविंग सीट पर रही है, लेकिन 2014 के बाद यह स्थिति बदल गई थी, एकनाथ शिंदे उस ड्राइविंग सीट वाली स्थिति को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। शिवसैनिकों को अपनी ओर खींचने के लिए भी यह स्थिति बनाना जरूरी है। एकनाथ शिंदे गुट का आकलन यह है कि कर्नाटक की हार के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का अंदाजा हो गया है कि 2024 चुनावों से पहले एनडीए को मजबूत करना जरूरी है।
इसी के तहत महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे), तमिलनाडु में एआईएडीएमके और कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व विशेष रणनीति बना रहा है। एकनाथ शिंदे इस स्थिति का लाभ लेने की फिराक में हैं।
शिंदे अपने मन से यह सब नहीं कर सकते?
अब सवाल यह है कि क्या शिवसेना (शिंदे) ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को विश्वास में लेकर यह दांव खेला है? बीजेपी के कई नेताओं को लगता है कि शिंदे अपने मन से यह सब नहीं कर सकते। खासकर तब जब इस समय एकनाथ शिंदे और उनके नेतृत्व वाली शिवसेना की पब्लिसिटी का काम दिल्ली के इशारे पर आई एक एजेंसी कर रही है। साथ ही शिंदे के एक खास ओएसडी गुजरात के है और शाह के करीबी हैं।
तो क्या इसका मतलब है कि बीजेपी की लीडरशिप ही महाराष्ट्र में ब्राह्मण चेहरे देवेंद्र फडणवीस को पीछे करके मराठा चेहरे एकनाथ शिंदे को आगे करना चाहती है? सवाल यह भी है कि क्या यह फडणवीस को महाराष्ट्र से हटाकर केंद्र में ले जाने के की प्रकिया की शुरुआत है? आने वाले वक्त में इन सवालों का जवाब मिलेगा।
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