मराठा समुदाय पर लाठीचार्ज ने दिलाई जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद, संजय राउत बोले- महाराष्ट्र में 3 जनरल डायर

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मराठा समुदाय पर लाठीचार्ज ने दिलाई जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद, संजय राउत बोले- महाराष्ट्र में 3 जनरल डायर

मराठा समुदाय पर लाठीचार्ज ने दिलाई जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद, संजय राउत बोले- महाराष्ट्र में 3 जनरल डायर

मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा, धनगर और कुछ अन्य समुदाय आरक्षण के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मराठा समुदाय ने लाखों शांतिपूर्ण मार्च निकाले। मराठा आरक्षण की मांग कर रही भीड़ पर लाठीचार्ज किया गया। इसे लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस को निशाने पर लिया है। उन्होंने मराठा आरक्षण की मांग कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज करने की तुलना जलियांवाला बाग कांड से की। संजय राउत ने कहा कि मराठा समुदाय पर लाठीचार्ज का आदेश देने वाला जनरल डायर कौन है? संजय राउत ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने की उचित मांग का कोई मौका नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस की ट्रिपल इंजन सरकार ने इस मुद्दे पर प्रदर्शनकारियों पर अमानवीय लाठीचार्ज और गोलीबारी करके मराठा समुदाय के घावों पर नमक छिड़कने का राक्षसी कार्य किया है।

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में जो हुआ वह परेशान करने वाला है। पुलिस ने मराठा प्रदर्शनकारियों को चारों तरफ से इस तरह से घेर लिया कि जैसे उग्रवादियों या नक्सलियों पर हमला हो जाए। उन्होंने कहा कि मराठा प्रदर्शनकारियों पर अमानवीय हमला बोल गया।

‘जलियांवाला की आई याद’

संजय राउत ने कहा कि पुलिस का लाठीचार्ज इतना अंधाधुंध था कि पुलिस को पता ही नहीं चला कि वे निर्दोष महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का सिर फोड़ रहे हैं। इस भयानक हमले का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अमृतसर में अंग्रेजों के किए गए जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद दिलाना था।

‘जनरल डायर कौन?’

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि जालना लाठीचार्ज की जांच अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय सक्सेना के माध्यम से की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इस घटना की न्यायिक जांच भी करायी जायेगी। लेकिन यह जनरल डायर कौन है जिसने पूछताछ आदि से पहले ही गोली चलाने का आदेश दे दिया?

राउत ने कहा कि इस अंतराल में पुलिस के अत्यधिक बल प्रयोग को देखते हुए क्या शिंदे सरकार और फडणवीस का गृह मंत्रालय मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र में आग लगाना चाहता है? ऐसा सवाल शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे मराठा समुदाय और महाराष्ट्र के लोगों के लिए खड़ा हो गया है। उन्होंने ने कहा कि क्योंकि उन्हें लाठी और आग से हमला करना था, बीच में कुछ नहीं हुआ।

‘5 मिनट में क्या हुआ?’

संजय राउत ने कहा कि मराठवाड़ा में मराठा समुदाय को निजाम शासन के दौरान आरक्षण मिल रहा था। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग आरक्षण वापस दिलाने की थी और पुलिस की हिंसा के बावजूद इस मांग को लेकर भूख हड़ताल अब भी जारी है। इस मांग को लेकर मिंधे सरकार ने एक समिति नियुक्त की है; लेकिन प्रदर्शनकारी इस बात से नाराज़ थे कि इस समिति की बैठक भी नहीं हो रही थी। 30 अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से बात की। मनोज ने जारांगे पाटिल से कहा कि मुख्यमंत्री पांच मिनट में बता देते हैं कि कमेटी ने क्या किया है लेकिन इसके बाद अगले दिन मुख्यमंत्री का फोन रिसीव करने के बजाय पुलिस बल धरना स्थल पर पहुंच गया।

‘अनशनकारियों को हिरासत में लेने की कोशिश’

शिवसेना प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस ने पहले तो खराब स्वास्थ्य का बहाना बनाकर अनशनकारियों को हिरासत में लेने की कोशिश की। लगातार दो दिनों से पुलिस उन्हें भूख हड़ताल तुड़वाने के लिए खदेड़ रही थी, लेकिन ग्रामीणों और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के इस कदम को पहचान लिया। जारांगे और उनके साथियों ने पुलिस को बताया, ‘मेरा स्वास्थ्य ठीक है, मैं कहीं नहीं आऊंगा और विरोध प्रदर्शन खत्म नहीं करूंगा।’

वहीं, धरना स्थल पर मौजूद महिलाओं और ग्रामीणों के विरोध के चलते पुलिस अधिकारियों ने पीछे हटाने का नाटक किया। अधिकारी यह कहकर चले गए कि पुलिस तुम्हें यहां से उठाने के लिए मजबूर नहीं करेगी। इसलिए प्रदर्शनकारी असहाय बने रहे। जब तक यह समझ में आया कि फडणवीस पुलिस का इरादा प्रदर्शनकारियों को नजरअंदाज करने का है, तब तक 150 पुलिसकर्मियों के एक दल ने विरोध स्थल पर अंधाधुंध लाठीचार्ज शुरू कर दिया।

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