मंत्रिमंडल पुनर्गठनः दिल्ली पर टिकी हैं सभी की नजरें
– आलाकमान की इच्छा थी कि इसी सप्ताह निपट जाए मामला, लेकिन अब अगले सप्ताह पर निगाहें
मंत्रिमंडल पुनर्गठनः दिल्ली पर टिकी हैं सभी की नजरें
– राजनेता ही नहीं नौकरशाही में भी मंत्रियों के गुणाभाग को लेकर हो रही चर्चा – विभागों में कामकाज की रफ्तार धीमी पड़ी, रोजमर्रा के कामों पर ही फोकस – कुछ मंत्रियों के हटाने व बदले जाने की चर्चाओं के चलते अधिकारियों की काम में रुचि हुई कम
जयपुर। ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में अब मंत्रिमंडल पुनर्गठन की चल रही तैयारी को देखते हुए प्रदेश के नेताओं की ही नहीं नौकरशाहों की नजर भी अब दिल्ली पर टिकी हैं। फेरबदल के मामले को आलाकमान इसी सप्ताह निपाटना चाह रहा था, लेकिन मंत्रियों को हटाने और बनाए रखने जैसे असहमतियों के बीच अब ये अगले सप्ताह खिसकता दिख रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणूगोपाल और प्रदेश के प्रभारी महासचिव अजय माकन प्रदेश में मुख्यमंत्री और विधायक-मंत्रियों के साथ सचिन पायलट से मंत्रणा कर रिपोर्ट आलाकमान को सौंप चुके हैं। फिर भी, राजस्थान के मसले को लेकर माकन और वेणूगोपाल के बीच दिल्ली में लगातार बैठकें चल रही हैं। जानकारी के अनुसार दोनों नेता बुधवार को भी राजस्थान के मसले को लेकर व्यस्त रहे।
राजस्थान में कई मंत्रियों पर पुनर्गठन के चलते तलवार लटकी है। ऐसे में इन मंत्रियों के विभागों में ही नहीं पूरी नौकरशाही में अब कामकाज से ज्यादा चर्चा मंत्रिमंडल से कौन जाएगा और नया कौन शामिल होगा। इसी पर चल रही है। इससे विभागों में कामकाज की रफ्तार भी कुछ धीमी हो गई है। इसकी वजह यह भी है कि कुछ मंत्री रवाना होंगे और जो रह जाएंगे, उनके विभाग बदलने की चर्चा तेज है। ऐसे में अब अधिकारी उलझे हुए काम पर गौर नहीं कर रूटिन के कामकाज ही कर रहे हैं।
जिलों में पन्द्रह अगस्त को नए मंत्रियों के दिखेंगे चेहरे
दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान के नेताओं की चल रही तैयारी और वहां से आ रही खबरों के आधार पर प्रदेश के बड़े नेताओं की माने तो पन्द्रह अगस्त को जिलों में तिरंगा फहराने में कई नए मंत्रियों के चेहरे दिखना तय है। इनका कहना है कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर काउटंडाउन शुरू हो गया है। सप्ताहभर में यह इंतजार कभी भी खत्म हो सकता है।
मंत्रियों ने जोड़तोड़ में झौंकी ताकत
मंत्रिमंडल पुनर्गठन में जिन मंत्रियों पर तलवार लटकी हुई है। उन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए जयपुर से दिल्ली तक पूरी ताकत झौंक दी है। इन मंत्रियों के चहते नेताओं को पीसीसी व सरकारी महकमों में यह दावे करते हुए देखा जा सकता है कि उनके मंत्री नहीं जाने वाले। सबकुछ सैटल हो गया है। वहीं कुछ मंत्रियों के चहेते सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मंत्रियों के कामकाज के बखान कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि शायद इस कवायद से नेताजी की मंत्री की कुर्सी बच जाए।
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