भारत में ISIS की एंट्री? कश्मीर में 3 आतंकी गिरफ्तार, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ऐसे किया पर्दाफाश
कश्मीर में आतंकवादी संगठन ISIS की मौजूदगी के सबूत मिलने लगे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसका पर्दाफाश किया है। दरअसल सोमवार को इसके संस्थापक सदस्यों में से एक कासिम खुरासानी और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। गौरतलब है कि भारतीय खुफिया एजेंसी पिछले एक साल से इन लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है। साल 2020 में अप्रैल में भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा, जम्मू-कश्मीर में आईएसआईएस मॉड्यूल के संस्थापक सदस्यों में से एक, उमर निसार भट उर्फ कासिम खोरासानी, जो वहां आईएस कैडरों की भर्ती में भी शामिल था, की पहचान एक मैसेजिंग ऐप पर की गई थी।
मैसेजिंग एप पर मिला कासिम खोरासानी
अब तक कासिम खोरासानी के बारे में माना जा रहा था कि वह अफगानिस्तान के खुरासान में है, लेकिन बाद में वह भारतीय और विदेशी एजेंसियों की मदद से अनंतनाग जिले के एक छोटे से शहर अचबल में मिला। यहां वह मैसेजिंग एप पर अपने समूह के सदस्यों के साथ पत्रिका स्वात अल-हिंद (वॉयस ऑफ इंडिया) के प्रोडक्शन और सर्कुलेशन के बारे में बातचीत कर रहा था।
Yesterday, NIA arrested 3 accused Umar Nisar (pic 1), Tanveer Ahmad Bhat (pic 2) & Rameez Ahmad Lone (pic 3) in connection with conspiracy of ISIS to radicalize & recruit impressionable youth in India to wage violent jihad against the Indian State: National Investigation Agency pic.twitter.com/tdSRXSmGMs
— ANI (@ANI) July 12, 2021
सीरिया से भारत की ओर आतंकियों का मार्च?
टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार, इस पत्रिका ने गज़वा-ए-हिंद (‘भारत के खिलाफ युद्ध’) का भी प्रचार किया, जिसके तहत आतंकवादी काले झंडे के साथ सीरिया से भारत की ओर मार्च करेंगे, जिहाद करेंगे और देश को इस्लामिक देश में बदल देंगे। पत्रिका स्वात अल-हिंद को विलायत अल-हिंद (भारत में इस्लामी राज्य प्रांत) के विचार का प्रचार करने के लिए तैयार किया गया है। विलायत अल-हिंद (भारत में इस्लामी राज्य प्रांत) की स्थापना मई 2019 में विशेष रूप से भारत की ‘गतिविधियों’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए की गई थी।
युवाओं को ऐसे करते हैं भर्ती
एनआईए ने कहा कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी भारत में अपने कैडर के साथ विभिन्न संघर्ष क्षेत्रों से काम कर रहे थे, और इन्होंने एक नेटवर्क बनाया है जिसमें आईएसआईएस से संबंधित प्रचार प्रसार किया जाता है और ऑनलाइन फर्जी आईडी के जरिए युवाओं को अपने यहां भर्ती किया जाता है।
कश्मीर में आतंकवादी संगठन ISIS की मौजूदगी के सबूत मिलने लगे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसका पर्दाफाश किया है। दरअसल सोमवार को इसके संस्थापक सदस्यों में से एक कासिम खुरासानी और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। गौरतलब है कि भारतीय खुफिया एजेंसी पिछले एक साल से इन लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है। साल 2020 में अप्रैल में भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा, जम्मू-कश्मीर में आईएसआईएस मॉड्यूल के संस्थापक सदस्यों में से एक, उमर निसार भट उर्फ कासिम खोरासानी, जो वहां आईएस कैडरों की भर्ती में भी शामिल था, की पहचान एक मैसेजिंग ऐप पर की गई थी।
मैसेजिंग एप पर मिला कासिम खोरासानी
अब तक कासिम खोरासानी के बारे में माना जा रहा था कि वह अफगानिस्तान के खुरासान में है, लेकिन बाद में वह भारतीय और विदेशी एजेंसियों की मदद से अनंतनाग जिले के एक छोटे से शहर अचबल में मिला। यहां वह मैसेजिंग एप पर अपने समूह के सदस्यों के साथ पत्रिका स्वात अल-हिंद (वॉयस ऑफ इंडिया) के प्रोडक्शन और सर्कुलेशन के बारे में बातचीत कर रहा था।
Yesterday, NIA arrested 3 accused Umar Nisar (pic 1), Tanveer Ahmad Bhat (pic 2) & Rameez Ahmad Lone (pic 3) in connection with conspiracy of ISIS to radicalize & recruit impressionable youth in India to wage violent jihad against the Indian State: National Investigation Agency pic.twitter.com/tdSRXSmGMs
— ANI (@ANI) July 12, 2021
सीरिया से भारत की ओर आतंकियों का मार्च?
टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार, इस पत्रिका ने गज़वा-ए-हिंद (‘भारत के खिलाफ युद्ध’) का भी प्रचार किया, जिसके तहत आतंकवादी काले झंडे के साथ सीरिया से भारत की ओर मार्च करेंगे, जिहाद करेंगे और देश को इस्लामिक देश में बदल देंगे। पत्रिका स्वात अल-हिंद को विलायत अल-हिंद (भारत में इस्लामी राज्य प्रांत) के विचार का प्रचार करने के लिए तैयार किया गया है। विलायत अल-हिंद (भारत में इस्लामी राज्य प्रांत) की स्थापना मई 2019 में विशेष रूप से भारत की ‘गतिविधियों’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए की गई थी।
युवाओं को ऐसे करते हैं भर्ती
एनआईए ने कहा कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी भारत में अपने कैडर के साथ विभिन्न संघर्ष क्षेत्रों से काम कर रहे थे, और इन्होंने एक नेटवर्क बनाया है जिसमें आईएसआईएस से संबंधित प्रचार प्रसार किया जाता है और ऑनलाइन फर्जी आईडी के जरिए युवाओं को अपने यहां भर्ती किया जाता है।