भारत की समृद्ध धरोहर के रक्षक हैं आदिवासी

59
भारत की समृद्ध धरोहर के रक्षक हैं आदिवासी

भारत की समृद्ध धरोहर के रक्षक हैं आदिवासी

दरभंगा। आजादी के 75 वर्ष बाद भी आदिवासी समुदायों का समुचित विकास नहीं हुआ है।

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,दरभंगाWed, 10 Aug 2022 09:50 PM

दरभंगा। आजादी के 75 वर्ष बाद भी आदिवासी समुदायों का समुचित विकास नहीं हुआ है। यद्यपि उनके समावेशी विकास के लिए कई योजनाएं और नीतियां लागू की गई हैं। आदिवासी हमारे देश की समृद्ध धरोहर को जीवित रखे हुए हैं। स्वाधीनता संग्राम में उनका ऐतिहासिक योगदान है। ये बातें सीएम कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. आरएन चौरसिया ने कही। वे बुधवार को ‘विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में मारवाड़ी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव और आदिवासी समाज विषयक राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसका उद्घाटन प्राचार्य डॉ. दिलीप कुमार ने किया। उन्होंने भारतीय जनतंत्र द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों की ओर ध्यानाकर्षित करते हुए आजादी के 75 सालों में आदिवासी समाज की प्रगति पर चर्चा की। अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. विकास सिंह ने कहा कि इस वर्ष भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। ऐसे में तमाम वंचित समाज के लिए भारतीय जनतंत्र की उपलब्धियों पर चर्चा करना जरूरी है। आजादी के इन 75 सालों में आदिवासी समाज ने जल, जंगल, जमीन की लड़ाई से लेकर रायसीना तक का सफर तय किया है। द्रौपदी मुर्मू के रूप में भारतीय गणतंत्र को उसका पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिला है। मुख्य अतिथि लनामि विवि की उपकुलसचिव द्वितीय डॉ. दिव्या रानी हंसदा ने आदिवासी जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके क्रियाकलापों से लेकर जंगल की कठिनाइयों, शिक्षा के लिए प्रयासों, चिकित्सा और रोटी- कपड़ा जैसी बुनियादी सुविधाओं के संदर्भ में आदिवासियों के संघर्ष पर विस्तार से चर्चा की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. वीरेन्द्र मीणा ने मुख्य वक्तव्य देते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में आदिवासी समाज के संबंध में भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। आदिवासी समाज का राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कपिलवस्तु, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. बाल गंगाधर ने सम्मानित अतिथि के रूप में कहा कि डॉ. आम्बेडकर ने संविधान में आदिवासी शब्द के लिए अंग्रेजी में ट्राइब शब्द का इस्तेमाल किया लेकिन बाद में अंग्रेजी में लिखित संविधान का हिन्दी अनुवाद कुछ जातिवादी मानसिकता से ग्रसित लोगों ने अनुसूचित जनजाति किया, जबकि शेड्यूल्ड ट्राइब का अनुवाद अनुसूचित आदिवासी होता है। धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक, भूगोल विभाग डॉ. संजय कुमार ने किया। वेबिनार का संचालन एवं संयोजन मारवाड़ी कॉलेज की समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता कुमारी ने किया। तकनीकी संयोजन लनामि विवि के संस्कृत शोधार्थी बाल कृष्ण कुमार सिंह ने किया।

epaper

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News