बोर्ड-निगमों के दावेदार अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष की दौड़ में, जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग तेज | Many congress leaders are race in district presidents | Patrika News
-बोर्ड-निगम और आयोगों में नंबर नहीं आता देख अब जिलाध्यक्ष बनकर पाना चाहते हैं राजनीतिक नियुक्तियां,सरकार ने हाल ही में कांग्रेस के 9 जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम समिति में उपाध्यक्ष बना कर दी है राजनीतिक नियुक्तियां, कांग्रेस के कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल
जयपुर
Published: January 09, 2022 11:05:19 am
जयपुर। सरकार के बोर्ड-निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियों की आस लेकर बैठे नेता भी अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल हो गए हैं। इसके लिए जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग तेज कर दी है। गहलोत सरकार ने हाल ही में कांग्रेस के 9 जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति में उपाध्यक्ष बनाकर राजनीतिक नियुक्तियों से नवाजा है। ऐसे में बोर्ड-निगमों और आयोगों में एडजस्ट होने की उम्मीद लेकर बैठे नेताओं ने भी अब पाला बदल लिया है और बोर्ड-निगमों की बजाए जिलाध्यक्ष बनने पर ज्यादा फोकस कर रखा है।
pcc jaipur
पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक जिलाध्यक्ष की दौड़ में
प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल 13 जिलाध्यक्षों की घोषणा हो पाई है। पार्टी में कुल 42 जिलाध्यक्ष बनाए जाने हैं, जिसे लेकर दिल्ली में उच्च स्तर पर मंथन में चल रहा है। जिलाध्यक्ष बनने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
जिलाध्यक्ष बनने के पीछे एक वजह यह भी
पार्टी के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्रियों की ओर से जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल होने की एक वजह यह भी है कि पार्टी नेताओं को लगता है कि बोर्ड-निगमों और आयोगों में दावेदारों की अधिकता के चलते उनका नंबर शायद ही लग लग पाए।
ऐसे में वे चाहते हैं कि जिलाध्यक्ष बंद कर सरकार में भागीदारी मिल जाए। बड़ी बात तो यह है कि जिलाध्यक्ष बनने के लिए वे नेता भी दौड़ में शामिल हो गए हैं जिन्होंने पूर्व में राजनीतिक नियुक्तियों की आस के चलते जिलाध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था।
सभी जिलाध्यक्षों को मिलेगी राजनीतिक नियुक्तियां
हाल ही में जहां गहलोत सरकार ने कांग्रेस के 9 जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्विति समिति(बीसूका) में जिला उपाध्यक्ष बनाकर राजनीति नियुक्ति से नवाजा है तो वहीं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सभी जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति में उपाध्यक्ष बनाकर राजनीतिक नियुक्ति देने के संकेत दिए थे। साथ ही कहा था कि इससे जिलाध्यक्ष और ज्यादा पावरफुल होगा और जिला प्रशासन के अंदर जनता के मुद्दों को जोर शोर से उठा सकेंगे और लोगों के जनहित के काम ज्यादा होंगे।
दिल्ली तक लॉबिंग
बताया जा रहा है कि जिलाध्यक्ष बनने के लिए पूर्व विधायक और पूर्व मंत्रियों ने दिल्ली में भी अपने आकाओं के यहां दस्तक देकर जिलाध्यक्ष बनने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन दिनों कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और शीर्ष नेताओं से मुलाकात करके जिला अध्यक्ष बनने की गुहार लगा रहे हैं।
बोर्ड-निगम के इंतजार में निकल गए तीन साल
वहीं बोर्ड-निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए कार्यकर्ताओं और नेताओं को इंतजार करते हुए सरकार के 3 साल निकल गए हैं और सरकार चौथे साल में प्रवेश कर चुकी है लेकिन बावजूद इसके अभी तक भी बोर्ड-निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पाई जिसके बाद से ही नेताओं ने संगठन में एडजस्ट होने के लिए पूरी ताकत लगा दी है।
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जयपुर
Published: January 09, 2022 11:05:19 am
जयपुर। सरकार के बोर्ड-निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियों की आस लेकर बैठे नेता भी अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल हो गए हैं। इसके लिए जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग तेज कर दी है। गहलोत सरकार ने हाल ही में कांग्रेस के 9 जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति में उपाध्यक्ष बनाकर राजनीतिक नियुक्तियों से नवाजा है। ऐसे में बोर्ड-निगमों और आयोगों में एडजस्ट होने की उम्मीद लेकर बैठे नेताओं ने भी अब पाला बदल लिया है और बोर्ड-निगमों की बजाए जिलाध्यक्ष बनने पर ज्यादा फोकस कर रखा है।
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पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक जिलाध्यक्ष की दौड़ में
प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल 13 जिलाध्यक्षों की घोषणा हो पाई है। पार्टी में कुल 42 जिलाध्यक्ष बनाए जाने हैं, जिसे लेकर दिल्ली में उच्च स्तर पर मंथन में चल रहा है। जिलाध्यक्ष बनने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
जिलाध्यक्ष बनने के पीछे एक वजह यह भी
पार्टी के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्रियों की ओर से जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल होने की एक वजह यह भी है कि पार्टी नेताओं को लगता है कि बोर्ड-निगमों और आयोगों में दावेदारों की अधिकता के चलते उनका नंबर शायद ही लग लग पाए।
ऐसे में वे चाहते हैं कि जिलाध्यक्ष बंद कर सरकार में भागीदारी मिल जाए। बड़ी बात तो यह है कि जिलाध्यक्ष बनने के लिए वे नेता भी दौड़ में शामिल हो गए हैं जिन्होंने पूर्व में राजनीतिक नियुक्तियों की आस के चलते जिलाध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था।
सभी जिलाध्यक्षों को मिलेगी राजनीतिक नियुक्तियां
हाल ही में जहां गहलोत सरकार ने कांग्रेस के 9 जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्विति समिति(बीसूका) में जिला उपाध्यक्ष बनाकर राजनीति नियुक्ति से नवाजा है तो वहीं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सभी जिलाध्यक्षों को 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति में उपाध्यक्ष बनाकर राजनीतिक नियुक्ति देने के संकेत दिए थे। साथ ही कहा था कि इससे जिलाध्यक्ष और ज्यादा पावरफुल होगा और जिला प्रशासन के अंदर जनता के मुद्दों को जोर शोर से उठा सकेंगे और लोगों के जनहित के काम ज्यादा होंगे।
दिल्ली तक लॉबिंग
बताया जा रहा है कि जिलाध्यक्ष बनने के लिए पूर्व विधायक और पूर्व मंत्रियों ने दिल्ली में भी अपने आकाओं के यहां दस्तक देकर जिलाध्यक्ष बनने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन दिनों कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और शीर्ष नेताओं से मुलाकात करके जिला अध्यक्ष बनने की गुहार लगा रहे हैं।
बोर्ड-निगम के इंतजार में निकल गए तीन साल
वहीं बोर्ड-निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए कार्यकर्ताओं और नेताओं को इंतजार करते हुए सरकार के 3 साल निकल गए हैं और सरकार चौथे साल में प्रवेश कर चुकी है लेकिन बावजूद इसके अभी तक भी बोर्ड-निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पाई जिसके बाद से ही नेताओं ने संगठन में एडजस्ट होने के लिए पूरी ताकत लगा दी है।
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