बिहार में कोइरी के दोनों हाथ में लड्डू; उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी बीजेपी, सम्राट चौधरी का ऐलान

7
बिहार में कोइरी के दोनों हाथ में लड्डू; उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी बीजेपी, सम्राट चौधरी का ऐलान

बिहार में कोइरी के दोनों हाथ में लड्डू; उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी बीजेपी, सम्राट चौधरी का ऐलान

बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद और आगामी विधानसभा इलेक्शन से पहले कोइरी यानी कुशवाहा पॉलिटिक्स चरम पर है। इस जाति के एनडीए में बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्यसभा भेजने जा रही है। हाल ही में लोकसभा जीतकर संसद पहुंचे बीजेपी के विवेक ठाकुर और आरजेडी की मीसा भारती की राज्यसभा छोड़ने से दो सीटें खाली हुई हैं। इन पर आगामी दिनों में उपचुनाव होने वाले हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मंगलवार को कहा कि पार्टी अपने कोटे से एक सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी। वहीं, एक अन्य सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अपना उम्मीदवार उतारेगी। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी के बागी पवन सिंह के निर्दलीय उतरने से काराकाट में हार का सामना करना पड़ा था।

चुनाव से पहले एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी ने एक लोकसभा सीट के साथ एक विधान परिषद यानी एमएलसी सीट देने का वादा किया था। बिहार के बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े ने इस बारे में अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था। इस फॉर्मूले के अनुसार कुशवाहा को लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट मिली, लेकिन वहां पवन सिंह फैक्टर के आने से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। सीपीआई माले के राजाराम सिंह काराकाट से जीत गए। पवन सिंह दूसरे नंबर पर रहे और उपेंद्र कुशवाहा तीसरे नंबर पर खिसक गए। 

लोकसभा चुनाव के बाद कुशवाहा राजनीति हाई, बिहार इलेक्शन से पहले एनडीए और INDIA की कोइरी वोटों पर नजर

इसके बाद आरजेडी के एमएलसी रहे रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई विधान परिषद की एक सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई। मगर नीतीश कुमार की जेडीयू ने इस पर अपना कैंडिडेट उतार दिया। जेडीयू ने कोइरी जाति के ही भगवान सिंह कुशवाहा को टिकट दिया, जो मंगलवार को अपना नामांकन भी करने जा रहे हैं। इस वजह से उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की नाराजगी सामने आई। पिछले दिनों आरएलएम के वरिष्ठ नेता माधव आनंद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर विनोद तावड़े का पुराना ट्वीट शेयर किया और बीजेपी को अपना वादा याद दिला दिया। 

अब उपेंद्र कुशवाहा को मनाने के लिए उन्हें राज्यसभा की सीट ऑफर की गई है। सम्राट चौधरी ने घोषमा कर दी है कि आगामी राज्यसभा उपचुनाव में एक सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया जाएगा। बीजेपी सांसद विवेक ठाकुर के इस्तीफा देने से खाली हुई सीट कुशवाहा को दी जाएगी। वहीं, आरजेडी की मीसा भारती के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा सीट पर उपचुनाव में जेडीयू से कैंडिडेट उतारा जाएगा।

default -लालू-तेजस्वी से कोइरी वोट बचाने की कोशिश में जेडीयू? नीतीश ने बिहार चुनाव से पहले कुशवाहा पर खेला दांव

दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में लालू यादव की आरजेडी से भी एक कैंडिडेट उतारे जाने की चर्चा है। ऐसी स्थिति में राज्यसभा उपचुनाव के लिए मतदान होगा। बिहार विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के हिसाब से दोनों सीटों पर एनडीए की जीत की संभावना ज्यादा है, क्योंकि दोनों ही सीटों पर अलग-अलग नोटिफिकेशन निर्वाचन आयोग की ओर से निकाला जाएगा। लेकिन, क्रॉस वोटिंग होने पर खेल बिगड़ सकता है। इसी साल फरवरी में बिहार विधानसभा में नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान आरजेडी के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। 

लोकसभा चुनाव में कुशवाहा फैक्टर रहा हावी 

बिहार अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है। उससे पहले ओबीसी वर्ग की कोइरी जाति पर सभी दलों की नजरें टिकी हुई हैं। पिछले साल हुई जातिगत गणना के आंकड़ों के अनुसार बिहार में कोइरी (कुशवाहा) जाति की आबादी करीब 4 फीसदी है। आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी सभी दल इस जाति को खुश करने में लगे हुए हैं। इसका कारण यह है कि बीते लोकसभा चुनाव में कुशवाहा फैक्टर बहुत निर्णायक साबित हुआ था। खासकर आखिरी चरण की 8 सीटों पर इस कुशवाहा समुदाय के पोलराइज होने से महागठबंधन को फायदा मिला। 

default -कुशवाहा गोलबंदी से राजपूत भड़के तो और छिटके कोइरी, सवर्ण और पासवान भी नाराज; हार पर बीजेपी का मंथन

दक्षिण बिहार की औरंगाबाद लोकसभा सीट पर आरजेडी ने कोइरी दांव खेला और पहली बार गैर राजपूत उम्मीदवार के रूप में अभय कुशवाहा ने जीत दर्ज की। लालू यादव ने इस जाति को साधने के लिए एक कदम और बढ़ाया और अभय कुशवाहा को लोकसभा में आरजेडी संसदीय दल का नेता भी बना दिया। बता दें कि कोइरी और कुर्मी जेडीयू के कोर वोटर माने जाते हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम भी इसी वर्ग को ध्यान में रखकर राजनीति करती है। 

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया था कि काराकाट लोकसभा सीट पर पवन सिंह के आने से राजपूत उनके पक्ष में गोलंबद हो गए। इससे कुशवाहा समेत ओबीसी वोटर एनडीए से खफा होकर महागठबंधन के पक्ष में चले गए। इसका असर मगध और शाहाबाद की अन्य सीटों पर भी पड़ा। यही वजह रही कि काराकाट के साथ-साथ आरा, बक्सर, सासाराम, पटना साहिब पर एनडीए प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा और महागठबंधन के उम्मीदवार जीत गए।

default -नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री: बिहार से राजपूत और कोइरी नेताओं को क्यों नहीं मिली जगह?

कोइरी के दोनों हाथ में लड्डू

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से कुशवाहा पॉलिटिक्स बिहार में हाई हो गई। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए अब सभी दल इस वर्ग को खुश करने में जुटे हुए हैं। इसकी शुरुआत सबसे पहले बीजेपी ने इस जाति से आने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर की थी। बीजेपी ने उन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया। दूसरी ओर, नीतीश कुमार की पार्टी पहले से इस जाति को केंद्र में रखते हुए राजनीति करती आ रही है। उमेश सिंह कुशवाहा बिहार के जेडीयू अध्यक्ष भी हैं। वहीं, अब यादवों को केंद्र में रखकर राजनीति करने वाली लालू एवं तेजस्वी की पार्टी आरजेडी भी कोइरी को खुश करने में लगी है। ऐसे में कोइरी जाति के दोनों हाथ में लड्डू हैं। 2025 के बिहार चुनाव तक इस जाति को साधने के लिए राजनीतिक दल और भी कदम उठा सकते हैं।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News