बालरंग 2024: कोविड में माता पिता को खो चुके बच्चों की कलेक्टर बंगले में हुई होली | Children from poor families played Holi in Collector's bungalow | News 4 Social
बच्चों को साफा बांधने से हुई शुरुआत जब सभी बच्चे पहुंच गए तो सभी को साफा बांधने का क्रम शुरू हुआ। इस दौरान तक कलेक्टर बंगला बच्चों की किलकारियों से गूंजने लगा था। साफा बंधने के बाद मेजबान बने कलेक्टर ने बच्चों को खाने का निमंत्रण दिया। कुछ ही देर में बच्चे लजीज व्यंजनों पर टूट पड़े थे। उनके साथ अभिभावक में स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे थे। जिसको जो पसंद आ रहा था खा रहा था। कुछ छोटे बच्चों की नाक पर लगी आइसक्रीम उनके चेहरों को मनोहारी बना रही थी।
रंग गुलाल से सराबोर हो गया माहौल खाना खाने के साथ ही शुरू हुआ होली के रंगोत्सव का माहौल। कलेक्टर दंपति अपने साथ लिए रंग सभी बच्चों को लगाने लगे थे। इस दौरान यहां फूलों की वर्षा भी की जा रही थी। कुछ बच्चे अपने को रंग लगाता देख कलेक्टर को भी रंगने में पीछे नहीं रहे। इस बीच यहां अबीर गुलाल की बोरियों से रंगों की बारिश की जाने लगी। पूरा पंडाल उड़ते रंगों की रंगीनियत में डूब चुका था। इस बीच यहां मौजूद बच्चों के परिजन और अन्य अतिथियों ने होली का माहौल बना दिया और सब कुछ रंग में सराबोर हो चुका था।
डांस की मस्ती रंग गुलाल का दौर चल ही रहा था कि बैंड ने संगीत की धुन छेड दी। बच्चे भी इस माहौल में कहां रुकने वाले थे। वहां बनाए गए डांस फ्लोर पर जाकर नाचने कूदने लगे। माहौल इतना मस्ती भरा हो चुका था कि कलेक्टर दंपति भी बच्चों के बीच पहुंच नाचने लगे। फिर क्या था डांस का जो दौर चला तो क्या छोटे क्या बड़े सभी बारी बारी से यहां थिरकते नजर आए। यह माहौल काफी देर तक बना रहा।
गिफ्ट के साथ की विदाई लगभग तीन घंटे के रंगारंग कार्यक्रम के बाद सभी बच्चों को कलेक्टर दंपति ने अपनी ओर से गिफ्ट दिये। फिर उन्हें वापस वाहनों से परिजनों के साथ घर तक छोड़ा गया। इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा कि इन बच्चों के साथ त्यौहार में सहभागी बनना अंदर से एक नई उर्जा देता है तो जीवन से लड़ने की प्रेरणा तो देता ही है दिल को अलग सुकून भी मिलता है। यही एक अवसर होता है जब वे खुद को अफसर से ज्यादा बच्चा महसूस करते हैं और अपने बचपने में खो जाते हैं।
बच्चों को साफा बांधने से हुई शुरुआत जब सभी बच्चे पहुंच गए तो सभी को साफा बांधने का क्रम शुरू हुआ। इस दौरान तक कलेक्टर बंगला बच्चों की किलकारियों से गूंजने लगा था। साफा बंधने के बाद मेजबान बने कलेक्टर ने बच्चों को खाने का निमंत्रण दिया। कुछ ही देर में बच्चे लजीज व्यंजनों पर टूट पड़े थे। उनके साथ अभिभावक में स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे थे। जिसको जो पसंद आ रहा था खा रहा था। कुछ छोटे बच्चों की नाक पर लगी आइसक्रीम उनके चेहरों को मनोहारी बना रही थी।
रंग गुलाल से सराबोर हो गया माहौल खाना खाने के साथ ही शुरू हुआ होली के रंगोत्सव का माहौल। कलेक्टर दंपति अपने साथ लिए रंग सभी बच्चों को लगाने लगे थे। इस दौरान यहां फूलों की वर्षा भी की जा रही थी। कुछ बच्चे अपने को रंग लगाता देख कलेक्टर को भी रंगने में पीछे नहीं रहे। इस बीच यहां अबीर गुलाल की बोरियों से रंगों की बारिश की जाने लगी। पूरा पंडाल उड़ते रंगों की रंगीनियत में डूब चुका था। इस बीच यहां मौजूद बच्चों के परिजन और अन्य अतिथियों ने होली का माहौल बना दिया और सब कुछ रंग में सराबोर हो चुका था।
डांस की मस्ती रंग गुलाल का दौर चल ही रहा था कि बैंड ने संगीत की धुन छेड दी। बच्चे भी इस माहौल में कहां रुकने वाले थे। वहां बनाए गए डांस फ्लोर पर जाकर नाचने कूदने लगे। माहौल इतना मस्ती भरा हो चुका था कि कलेक्टर दंपति भी बच्चों के बीच पहुंच नाचने लगे। फिर क्या था डांस का जो दौर चला तो क्या छोटे क्या बड़े सभी बारी बारी से यहां थिरकते नजर आए। यह माहौल काफी देर तक बना रहा।
गिफ्ट के साथ की विदाई लगभग तीन घंटे के रंगारंग कार्यक्रम के बाद सभी बच्चों को कलेक्टर दंपति ने अपनी ओर से गिफ्ट दिये। फिर उन्हें वापस वाहनों से परिजनों के साथ घर तक छोड़ा गया। इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा कि इन बच्चों के साथ त्यौहार में सहभागी बनना अंदर से एक नई उर्जा देता है तो जीवन से लड़ने की प्रेरणा तो देता ही है दिल को अलग सुकून भी मिलता है। यही एक अवसर होता है जब वे खुद को अफसर से ज्यादा बच्चा महसूस करते हैं और अपने बचपने में खो जाते हैं।