बड़े सधे कदमों के साथ अमित शाह ने की थी कश्मीर की यात्रा, समझें उनके दौरे की रणनीति

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बड़े सधे कदमों के साथ अमित शाह ने की थी कश्मीर की यात्रा, समझें उनके दौरे की रणनीति

नई दिल्ली
गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ ही दिनों पहले जम्मू कश्मीर (Amit Shah three Day Kashmir Visit) की तीन दिवसीय यात्रा की। शाह का कश्मीर (Amit Shah Kashmir Visit) दौरा कई मायनों में बेहद खास था। कुछ आलोचकों ने इस दौरे को लेकर आलोचना भी की लेकिन जिस वक्त कश्मीर में टारगेट किलिंग (Target Killing In Jammu Kashmir) हो रही थी उस वक्त अमित शाह का कश्मीर सुखद संदेश देने जैसा है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने ,जम्मू और कश्मीर राज्य को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के ऐतिहासिक निर्णय के दो साल बाद पहली बार शाह कश्मीर दौरे पर गए थे।

आर्टिकल 370 के बाद घाटी में बदलाव
कश्मीर से आर्टिकल 370 (Kashmir Article 370) को खत्म करने के ऐतिहासिक फैसले के दो साल बाद जम्मू-कश्मीर, खासकर कश्मीर घाटी में काफी बदलाव आया है। टूरिज्म सेक्टर फल-फूल रहा है और आतंकवादी हमलों में गिरावट देखी गई है। कश्मीर में बाहरी राज्यों से आए लोगों को आतंकियों ने निशाना बनाया। इसमें हिंदुओं, सिखों और दैनिक वेतन भोगियों की पहचान करके उनकी हत्याएं की गईं। इसके बावजूद सामान्य रूप से केंद्र शासित राज्य में जीवन आसान है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वहां पर लगातार टूरिस्ट आ रहे हैं।

कई मायनों में खास है शाह का कश्मीर दौरा
गृह मंत्री अमित शाह का कश्मीर दौरा व्यापक था और कश्मीर में कई तरह के संदेश देने वाला था। अमित शाह ने विभिन्न पक्षों के साथ चार घंटे की लंबी सुरक्षा समीक्षा बैठक की। इस दौरान शाह ने जम्मू-कश्मीर की जमीनी हकीकत और पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में हिंसा को बढ़ाने और सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने के हालिया प्रयासों के बारे में सुझाव मांगे। उसके बाद शाह ने घाटी में घुसपैठ को रोकने और आतंकवादियों द्वारा हमलों को नियंत्रित करने का आदेश दिया, उनका निर्देश मैराथन समीक्षा बैठक में विचार-विमर्श से उपजा होगा।

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सुरक्षाबलों के साथ अमित शाह ने बिताया वक्त
हालांकि हाल ही में हुई हिंसा में यह लग सकता है कि जम्मू-कश्मीर में कानून और व्यवस्था बिगड़ रही है। टारगेट किलिंग की घटनाओं से अवगत अमित शाह ने सुरक्षा कर्मियों के परिवारों से मिलने का फैसला किया, जिन्होंने कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान दिया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के निचले तबके ने वर्षों से आतंकवादी हमलों का दंश झेला है।

शाह ने बीएसएफ की संचालित सीमा चौकियों की भी यात्रा की। उसके बाद सीआरपीएफ शिविर में उनका रातभर रहना, उनके साथ भोजन करना और पुलवामा स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करना, विभिन्न केंद्रीय पुलिस संगठनों में सेवा करने वाले औसत जवानों के आत्मविश्वास को बढ़ावा देगा जो सीधे केंद्रीय बलों के अंतर्गत आते हैं।

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युवा कनेक्ट
सुरक्षा व्यवस्था के अलावा जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान गृह मंत्री का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के 50,000 से अधिक युवाओं के साथ उनकी बातचीत थी। युवाओं के लिए उनका सिर्फ एक संदेश था (यूटी की आबादी का लगभग 70% युवा हैं)। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं आपसे दोस्ती करने आया हूं। मैं आपका दोस्त हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा शुरू की गई जम्मू-कश्मीर के लिए सरकार की विकास पहल के साथ हाथ मिलाएं।’ उन्होंने बड़े पैमाने पर लोगों को याद दिलाया कि 2019 तक कश्मीर से आने वाली खबरों में पथराव, हत्या और आतंकवाद की खबरों का बोलबाला हुआ करता था। आज विकास, कौशल वृद्धि, नौकरियों और शिक्षा के बारे में है।

पाकिस्तान के लिए संदेश
शाह के पास सबसे बड़ा संदेश निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए था। अगस्त 2019 के बाद भारत सरकार के खिलाफ किसी भी प्रकार का विद्रोह नहीं हुआ। पाकिस्तान इसको देखकर हताश हो गया जबकि पाक पीएम इमरान खान ने खूब रोना रोया लेकिन उनकी कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई। इससे निराश होकर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम के बाद फिर से जम्मू-कश्मीर में दखल देने की कोशिश की। हालांकि अमित शाह ने स्पष्ट बयान दिया कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के भविष्य के बारे में पाकिस्तान से नहीं बल्कि कश्मीर के लोगों से बात करेगी। शाह ने इस बात से पाक को साफ संकेत दिया है कि वह अब कश्मीर के भविष्य में किसी भी हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकता है।

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नियमित चुनावों की प्रक्रिया चालू रखें
बेशक केंद्र को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक रोडमैप को कैलिब्रेट करने में सावधानी बरतनी होगी, कहीं ऐसा न हो कि वह मौजूदा गति को खो दे। जिला विकास परिषदों के लिए सफल चुनाव आयोजित करना प्रशासन ने लिए एक अच्छी खबर है। राजनीतिक प्रक्रिया को नियत समय में आगे बढ़ाने की जरूरत है। शाह का सबसे बड़ा कार्य वास्तव में आगे है। उन्हें और उनके मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केंद्र शासित प्रदेश के लिए परिकल्पित सभी विकास योजनाओं को ईमानदारी और समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि भारत जम्मू-कश्मीर में नए अवसर को न गंवाए, जो अगस्त 2019 में पुरानी व्यवस्था को खत्म करने के साहसिक निर्णय द्वारा प्रदान किया गया था।

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पीएम के दिल में बसता है कश्मीर- शाह
अमित शाह ने कहा क‍ि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द‍िल जम्‍मू-कश्‍मीर बसता है। कश्‍मीर के लोगों को बराबरी का अध‍िकार म‍िले, इसके ल‍िए हमारी सरकार ने सभी जरूरी कदम उठाए हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि फारुख साहब (फारुख अब्दुल्ला) ने भारत सरकार को पाकिस्तान से बात करने की सलाह दी… मैं घाटी के युवाओं से बात करना चाहता हूं। मैंने घाटी के युवाओं के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। घाटी, जम्मू और नए बने लद्दाख का विकास पाक़ीज़ा मकसद से उठाया गया है कदम है।

‘अनुच्छेद 370 हटने के बाद बहुत लोगों ने सवाल उठाए’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा क‍ि बहुत लोगों ने सवाल उठाए कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी के लोगों की ज़मीन छीन ली जाएगी… ये लोग विकास को बांध कर रखना चाहते हैं, अपनी सत्ता को बचाकर रखना चाहते हैं, 70 साल से जो भ्रष्टाचार किया है उसको चालू रखना चाहते हैं।



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