प्रभाकर सेल की मौत से कितना बदलेगा Aryan Khan Case, अब NCB क्‍या करेगी, क्‍या जिसका डर था वही हुआ?

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प्रभाकर सेल की मौत से कितना बदलेगा Aryan Khan Case, अब NCB क्‍या करेगी, क्‍या जिसका डर था वही हुआ?

शाहरुख खान (Shahrukh Khan)के लाडले आर्यन खान से जुड़े क्रूज ड्रग्‍स केस (Aryan Khan Crusie Drugs Case) में अहम गवाह और पंच प्रभाकर सेल की मौत (Prabhakar Sail Death) से नया ट्विस्‍ट आ गया है। प्रभाकर सेल वह शख्‍स था, जिसके खुलासों ने क्रूज ड्रग्‍स केस को पूरी तरह उलट-पुलटकर रख दिया था। वह प्रभाकर ही था, जिसने केस की जांच कर रहे एनसीबी के जोनल डायरेक्‍टर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) पर 8 करोड़ रुपये की रिश्‍वखोरी के आरोप लगाए। वह प्रभाकर ही था, जिसने यह कहकर सबको चौंका दिया कि जिस 2 अक्‍टूबर 2021 की रात आर्यन खान को क्रूज से हिरासत में लिया उस रात शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी (Pooja Dadlani) भी किरण गोसावी (Kiran Gosavi) से आकर मिली थी। वही गोसावी, जिसकी सेल्‍फी आर्यन खान के साथ एनसीबी दफ्तर से वायरल हुई थी। प्रभाकर सेल ने उस रात की पूरी कहानी सुनाई थी। हलफनामा दिया था कि उसकी जान को खतरा है। बहरहाल, प्रभाकर के वकील तुषार खंडारे ने बताया है कि चेंबूर के माहुल इलाके में उसकी मौत शुक्रवार को हार्ट अटैक (Prabhakar Sail Death Reason) से घर पर ही हुई है। यहां एक बात और गौर करने वाली है, प्रभाकर की मौत ऐसे वक्‍त हुई है जब एक दिन पहले ही कोर्ट ने नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो को चार्जशीट दाख‍िल नहीं कर पाने के कारण फटकार लगी है। यह सब एक संयोग हो सकता है, लेकिन यह सब केस को प्रभावित जरूर करने वाले हैं।

एनसीबी की जांच, कोर्ट से 60 दिन और प्रभाकर सेल
प्रभाकर सेल को हलफनामे के बाद पुलिस सुरक्षा दी गई। समीर वानखेड़े को लेकर मामला इतना बढ़ा कि उस पर घनघोर राजनीति भी हुई। नतीजा यह निकला कि समीर वानखेड़े को केस से हटा दिया गया। कोर्ट ने क्रूज ड्रग्‍स केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को चार्जशीट दाख‍िल करने के लिए 60 दिनों का वक्‍त दिया है। एनसीबी का कहना है कि उसकी जांच अभी चल रही है। लेकिन इस केस का एक पक्ष यह भी है कि यह मामला पूरी तरह बिखर गया है। हाई कोर्ट से आर्यन खान की जमानत और उसके बाद अभी तक एनसीबी आर्यन खान या उनके दोस्‍त अरबाज मर्चेंट के ख‍िलाफ ऐसे कोई सबूत नहीं जोड़ पाई है, जिससे यह साबित हो कि दोनों ड्रग्‍स की तस्‍करी (मुख्‍य आरोप) में शामिल थे। दूसरी ओर, समीर वानखेड़े खुद विभागीय जांच का सामना कर रहे हैं।

Aryan Khan Drugs Case के पंच Prabhakar Sail की मौत, समीर वानखेड़े पर लगाए थे रिश्वतखोरी के आरोप
25 करोड़ की डीलिंग, 8 करोड़ की रिश्‍वत? उलझ गया केस
आर्यन खान केस में दो पंचों में से एक प्रभाकर सेल थे। सेल ने कोर्ट में एफिडेविट दिया था कि एनसीबी की तरफ से शाहरुख खान के बेटे पर केस न बनाने के लिए दूसरे पंच किरण गोसावी के जरिए रिश्वत मांगी गई थी। उसने दावा किया कि इसके लिए 25 करोड़ रुपये की डीलिंग हुई थी। इसमें एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे को 8 करोड़ रुपये देने की बात उन्होंने फोन पर सुनी थी। प्रभाकर ने खुद को प्राइवेट डिटेक्‍ट‍िव किरण गोसावी का बॉडीगार्ड बताया। जाहिर तौर पर प्रभाकर की मौत के अब इस केस में एनसीबी की जांच और कार्रवाई पर सवाल उठाने वाला दावेदार खत्‍म हो गया है। हालांकि, इससे उसके द्वारा किए गए दावों की जांच खत्‍म नहीं हो जाती। लेकिन अब दावों की पुष्‍ट‍ि या उसके लिए सबूत जुटाने में जांच टीम को मशक्‍कत तो करनी ही पड़ेगी। इतना ही नहीं, कोर्ट में वकीलों और एनसीबी को प्रभाकर सेल का भी पक्ष रखना होगा और अपना भी। लिहाजा, केस बिखरने के साथ ही उलझ भी गया है।

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प्रभाकर था उन 35 घंटों का चश्‍मदीद गवाह
प्रभाकर सेल की गवाही इस केस में कितनी अहम थी, उसकी तस्‍दीक उसी के किए गए दावों से की जा सकती है। किरण गोसावी के बॉडीगार्ड रहे प्रभाकर ने अपने दावों के साथ पुलिस को एक हलफनामा सौंपा था। जिसमें उसने दावा किया कि 2 अक्‍टूबर की सुबह 7:30 बजे से लेकिर 3 अक्‍टूबर की शाम तक वह सीधे तौर पर इस केस से जुड़ा हुआ था। उसने सबकुछ अपनी आंखों के सामने होता देखा। प्रभाकर को डर था कि NCB उसे भी गायब कर देगी या मार देगी। ऐसे में हलफनामा दायर कर प्रभाकर ने सनसीखेज खुलासे तो किए ही, अपने लिए सुरक्षा भी मांगी।

प्रभाकर सेल का हलफनामा: 2 अक्‍टूबर 2021 की सुबह 7:30 बजे से अगले 35 घंटों की पूरी कहानी-

– मैं प्रभाकर रगहोजी सेल, उम्र 40 साल। मैं कहना चाहूंगा कि मुझे किरण प्रकाश गोसावी ने 22 जुलाई 2021 को अपना पर्सनल बॉडीगार्ड रखा था। मैं तब से उनके साथ काम कर रहा हूं। मुझे पहले 30 जुलाई को क‍िरण गोसावी के घर श‍िफ्ट किया गया था। किरण गोसावी ने मुझे बताया कि उनका एक्‍सपोर्ट का बिजनस है। मैं उनके साथ मीटिंग्‍स और बाकी जगहों पर जाता था।

– 8 सितंबर को गोसावी वाशी इलाके में श‍िफ्ट हुए। 27 सितंबर को किरण गोसावी अपनी इनोवा कार से अहमदाबाद निकल गए। मुझसे कहा गया कि मैं वाशी में ही रहूं। 1 अक्‍टूबर को रात 9:45 बजे उन्‍होंने मुझे फोन किया और कहा कि सुबह 7:30 बजे तैयार रहना।

– 2 अक्‍टूबर की सुबह गोसावी ने मुझे 500 रुपये जी-पे से ट्रांसफर किए और वॉट्सऐप पर एक लोकेशन भेजा। मैं 8:45 बजे सीएसटी स्‍टेशन पहुंचा और लोकेशन चेक किया तो पता चला कि वह NCB दफ्तर है। मैं जब वहां पहुंचा तो गोसावी वहां पहले से मौजूद थे। उनकी इनोवा कार दफ्तर के बाहर लगी हुई थी। मैंने ड्राइवर विजय सूर्यवंशी से पूछा तो पता चला कि किरण गोसावी एनसीबी दफ्तर में हैं। थोड़ी देर बाद गोसावी और एक एनसीबी अध‍िकारी दफ्तर के बाहर आए और इनोवा में बैठकर कहीं चले गए। मुझसे कहा कि मैं वहीं उनका इंतजार करूं।

– करीब 12 बजे दोपहर में गोसावी ने मुझे फोन किया और ग्रीन गेट आने को कहा। जब मैं वहां पहुंचा तो कार में बैठने को कहा गया। वहां से हम खाने के लिए रोल्‍स, कोल्‍ड ड्रिंक्‍स, पानी और ये सब खरीदने के लिए आगे बढ़े। हम वापस ग्रीन गेट पहुंचे। हम बोर्डिंग पैड के पास गए। मुझसे कहा गया कि जो खाना लेकर आए हैं, वह बांट दो। वहां समीर वानखेड़े और दूसरे अध‍िकारी थे। मैंने सभी में रोल्‍स और बाकी चीजें बांटी। मुझसे कहा गया कि यहां से मत जाना और क्रूज एरिया में ग्रीन गेट के पास इंतजार करना।

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– करीब 1:23 बजे किरण गोसावी ने मुझे वॉट्सऐप पर कुछ तस्‍वीरें भेजीं, कहां कि मैं इन लोगों पर नजर रखूं। कहा गया कि यदि इनमें से कोई भी क्रूज पर बोर्डिंग करता हुए दिखे तो उन्‍हें बताऊं। मैं वहां इंतजार कर रहा था। मुझे उन तस्‍वीरों में से एक इंसान वहां दिखा। मैंने उन लोगों को चैट पर बताया कि उस शख्‍स ने बस नंबर 2700 बोर्ड किया है। 4:23 बजे उन्‍होंने वॉट्सऐप पर रिप्‍लाई किया। बताया कि जिस शख्‍स को मैंने पहचाना था वह और बाकी 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

– मैं वहां ग्रीन ग्रेट पर 7 बजे शाम तक इंतजार करता रहा। गोसावी ने मुझे फोन किया और कहा कि इनोवा कार में बैठ जाओ और सीआईएसएफ से कहो कि इनोवा कार को समीर वानखेड़े ने अंदर जाने देने के लिए कहा है। सीआईएसएफ ने इनकार कर दिया और मुझे येलो गेट पर जाने को कहा। वहां भी CISF ने कार को अंदर जाने नहीं दिया। इसके बाद गोसावी खुद वहां आए, कार में बैठे, कपड़े बदले और फिर ग्रीन गेट से अंदर चले गए। रात 10:30 बजे किरण गोसावी ने मुझे बोर्डिंग एरिया में बुलया। मैंने वहां आर्यन खान को एक केबिन में देखा। मैंने एक लड़की मुनमुन धमेचा को भी देखा, जो एनसीबी के अध‍िकार‍ियों के साथ थीं।

– रात 12:30 बजे किरण गोसावी और एनसीबी अध‍िकारी आर्यन खान को इनोवा कार से ही एनसीबी के दफ्तर लेकर गए। मैं भी पैदल एनसीबी दफ्तर पहुंचा। अब करीब 1 बज चुके थे। मुझे गोसावी का फोन आया, कहा कि मुझे एक पंच के तौर पर दस्‍तखत करने होंगे। उन्‍होंने मुझे एनसीबी दफ्तर बुलाया। वहां समीर वानखेड़े ने मुझसे कहा कि मैं कागजों पर अपना नाम लिखूं और दस्‍तखत करूं। एनसीबी के ही एक सालेकर ने मुझे 10 खाली पन्‍नों पर दस्‍तखत करने के लिए दिए। सालेकर ने मुझसे आधार कार्ड के डिटेल्‍स मांगे। मुझसे वॉट्सऐप पर एक सॉफ्ट कॉपी भी भेजने को कहा गया। मैंने उन्‍हें भेज दिया। उन्‍होंने इसके बाद मुझे खाना खाने को कहा। ड्राइवर विजय सूर्यवंशी के लिए भी एक फूड पैकेट दिया।

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– कुछ देर बाद किरण गोसावी नीचे आए। उनके साथ एक और शख्‍स सैम डिसूजा था। दोनों एनसीबी दफ्तर से करीब 500 मीटर की दूरी पर खड़े थे। सैम ने गोसावी से करीब 5 मिनट बात की। फिर दोनों अंदर चले गए। इसके बाद दोनों फिर बाहर आए। गोसावी अपनी सफेद इनोवा में आगे बढ़े, पीछे सैम की इनोवा क्र‍िस्‍टा गाड़ी साथ-साथ चल पड़ी। इसके बाद अहम लोअर परेल ब्रिज के पास बिग बाजार के पास रुके। जब तक हम वहां पहुंचे गोसावी और सैम फोन पर बात कर रहे थे।

– गोसावी को मैंने फोन पर यह कहते हुए सुना कि तुमने 25 करोड़ का बम दे दिया है, इसे 18 पर फाइनल करते हैं, क्‍योंकि समीर वानखेड़े को भी 8 करोड़ रुपये देने है। थोड़ी देर बाद वहां एक ब्‍लू कलर की मर्सिडीज कार भी आकर रुकी। मैंने उस ब्‍लू मर्सिडीज कार में पूजा ददलानी को देखा। सैम, गोसावी और पूजा कुछ देर कार में बैठकर बात करते रहे। फिर 15 मिनट के बाद हम सभी वहां से निकल गए। गोसावी और मैं मंत्रालय पहुंचे। गोसावी ने फिर किसी से फोन पर बात की और फिर हम वाशी के लिए नि‍कले।

– वाशी पहुंचते ही गोसावी ने मुझसे कहा कि मैं इनोवा कार से इंडियाना होटल के पास सिग्‍नल पर जाऊं और 50 लाख रुपये कैश ले आऊं। मैं वहां सुबह 9:45 बजे पहुंचा। वहां एक सफेद रंग की कार आई और मुझे 2 बैग्‍स दिए गए। इनमें कैश भरा हुआ था। मैं इसे लेकर वाशी में गोसावी के घर आ गया। मैंने देखा कि गोसावी उस वक्‍त अपना बैग पैक कर रहे थे और कहीं निकलने वाले थे। गोसावी ने मुझे शाम को वाशी ब्रिज के पास आने को कहा। बाद में लोकेशन चेंज हुआ और इनऑर्बिट मॉल पर आना तय हुआ। वहां गोसावी ने मुझसे कहा कि मैं वो बैग सैम को दे दूं। सैम ने मुझे शाम के 6:15 मिनट पर फोन किया। बताया कि वह ट्राइडेंट होटल के पास है। मैं वहां पहुंचा। मैंने उसे कैश वाला बैग दे दिया। वह अपनी इनोवा क्र‍िस्‍टा कार में था। हालांकि, जब उसने कैश को गिना तो वह 38 लाख रुपये थे।

– मैं यह कहना चाहता हूं मुझे एनसीबी के अध‍िकारियों से डर लग रहा है। मुझे इसमें शामिल बाकी लोगों से भी डर लग रहा है, वो लोग मुझे मार देंगे या मेरा अपहरण कर लेंगे। जैसा कि बड़े-बड़े मामलों में होता है, गवाहों को अक्‍सर मार दिया जाता है ताकि सच को छुपाया जा सके।

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