‘पावर संकट पर ये कैसा उपाय’, राजस्थान में सिंचाई को रात में बिजली देने के फैसले पर भड़के किसान

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‘पावर संकट पर ये कैसा उपाय’, राजस्थान में सिंचाई को रात में बिजली देने के फैसले पर भड़के किसान

‘पावर संकट पर ये कैसा उपाय’, राजस्थान में सिंचाई को रात में बिजली देने के फैसले पर भड़के किसान

जयपुर: राजस्थान में बिजली संकट के बीच राज्य सरकार ने किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए रात में बिजली आपूर्ति प्रदान करने की घोषणा की थी। बताया जा रहा था कि बिजली की खपत मांग से ज्यादा हो रही है। ऐसे में गहलोत सरकार ने किसानों को रात में ही बिजली देने का फैसला किया था, लेकिन गहलोत सरकार के इस फैसले को किसान व्यर्थ मान रहे हैं। किसानों मानना है कि रात में सिंचाई करने से उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी।

कोटा के किसान जगदीश कुमार ने कहा, ‘सरकार हमसे क्या करने की उम्मीद करती है? दिन भर काम करें और फिर पूरी रात जागते रहें। किसानों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता नहीं है। रात में सिंचाई में इस बात की अधिक संभावना है कि किसानों को सांप या जहरीले कीड़े काट लेंगे। हमें नहीं लगता कि रात में सिंचाई के लिए बिजली देना किसी भी तरह का समाधान है।’

सीएम गहलोत ने किया था नाइट में किसानों को बिजली का फैसला

दरअसल बीते सप्ताह की शुरुआत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में बिजली की कमी के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए एक बैठक की थी। श्री गंगानगर, जोधपुर और अन्य क्षेत्रों में किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते सरकार ने घोषणा की कि वह उद्योगों को बिजली की आपूर्ति में कटौती करेगी। इसे किसानों और आम लोगों को देगी।

सूरतगढ़ के किसान राकेश बिश्नोई ने कहा कि ‘ऑर्डर देना आसान है, लेकिन वर्तमान में रात में बिजली आपूर्ति के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। पानी खींचने के लिए पर्याप्त ट्यूबवेल नहीं हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि रात में बिजली उपलब्ध कराने की सरकार की योजना कैसे उपयोगी होने वाली है।’

बारिश नहीं होने की वजह से बढ़ गई बिजली की खपत

मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले साल अगस्त में औसत बिजली की खपत 2,300 लाख यूनिट थी, लेकिन इस साल मानसून के मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से सिंचाई के लिए बिजली की खपत बढ़ गई है। राज्य में बिजली की औसत खपत प्रतिदिन 3,400 लाख यूनिट को पार कर गई है। बिजली की अधिकतम मांग लगभग 17,000 मेगावाट तक पहुंच गई है।

किसानों ने कहा कि उन्होंने लगभग 20 जुलाई तक अच्छी मानसून देखी। और तब से राज्य में बारिश कम हो रही है। इसके कारण कई फसलों के नष्ट होने का खतरा है। किसान राकेश बिश्नोई ने कहा कि ‘हमारे क्षेत्र में 192 किसानों ने लिखा है कि कम वोल्टेज के कारण उनकी मोटरें जल गई हैं। उनकी मरम्मत की लागत लगभग 14, 500 हजार रुपये है। किसानों के लिए इस तरह के खर्चे उठाना संभव नहीं है।’

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‘सरकार ने दिन में बिजली आपूर्ति का वादा किया था, लेकिन फेल हो गई’

अखिल भारतीय खेत मजदूर संघ के अध्यक्ष राम रतन बागडिया ने कहा कि, ‘सरकार ने दिन में बिजली आपूर्ति का वादा किया था, लेकिन सरकार इसमें फेल रही। आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट आने पर रात में सिंचाई करना संभव नहीं है। सरकार ने ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्रोतों, विशेष रूप से सौर ऊर्जा से संबंधित कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन किसान अभी तक उनसे कोई लाभ नहीं उठा पाए हैं। बीकानेर जैसे क्षेत्रों, जहां जल स्तर कम है, उसके लिए रात में बिजली मिलना बड़े झटके जैसा है।’ उन्होंने कहा कि अगर सरकार समय पर बिजली की आपूर्ति करती है तो कुछ फसलों को बचाया जा सकता है।

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