पापा को मना किया फिर भी सिलेंडर उठाते हैं, टीम इंडिया में आने के बाद रिकू की जिंदगी कितनी बदली

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पापा को मना किया फिर भी सिलेंडर उठाते हैं, टीम इंडिया में आने के बाद रिकू की जिंदगी कितनी बदली


पापा को मना किया फिर भी सिलेंडर उठाते हैं, टीम इंडिया में आने के बाद रिकू की जिंदगी कितनी बदली

नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में कोलकाता नाइटराइडर्स को लगातार पांच छक्कों के साथ जीतकर दिलाकर सुर्खियां बटोरने वाले रिंकू सिंह आयरलैंड के आगामी दौरे और हांगझोउ एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम की ओर से छाप छोड़ने को तैयार हैं। रिंकू से जब भारतीय टीम में जगह बनाने पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, ‘हमारा काम सिर्फ रन बनाना है। मैच मिलेगा तो अच्छा करेंगे। मैं ज्यादा सोचता नहीं हूं। ऊपरवाला बस देख ले। अपने हाथ में तो सिर्फ मेहनत है। मेहनत करते रहेंगे, देखते हैं क्या होता है।’

मेरे हाथ में सिर्फ मेहनत

किशोरावस्था के दौरान अपने भाइयों और पिता खानचंद के साथ घरों और होटलों में एलपीजी सिलेंडर देने वाले रिंकू ने कहा, ‘बेशक मेरे माता-पिता, भाई, मेरे बचपन के कोच (मसूद अमीनी), सभी खुश हैं। यह हमारा सामूहिक सपना था। मैं ज्यादा नहीं सोचता। मैं वर्तमान में जीना पसंद करता हूं। उम्मीद करता हूं कि भगवान का आशीर्वाद बना रहेगा। कड़ी मेहनत करना मेरे हाथ में है और मैं ऐसा करता रहूंगा, फिर देखते हैं क्या होता है।’

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पापा मेरी बात नहीं मानते
आईपीएल में तीन सत्र और कुछ प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलकर रिंकू ने नया मकान बना लिया है जिसमें पूरा परिवार एक साथ रहता है। रिंकू ने हालांकि कहा कि उनके पिता आराम करने के उनके आग्रह को नहीं मानते। उन्होंने कहा, ‘मैंने पापा से कहा कि आप अब आराम कर सकते हैं, लेकिन वह अभी भी सिलेंडर देने जाते हैं। उन्हें अब भी वह काम पसंद है। एक स्तर पर, मैं उन्हें भी समझता हूं। अगर वह घर पर आराम करना शुरू कर देंगे तो वह तुरंत ऊब जाएंगे। अगर किसी ने अपने पूरे जीवन में काम किया है तो जब तक वह न चाहे, उसे रुकने के लिए कहना मुश्किल है।’

गरीब बच्चों के लिए बन रहा हॉस्टल

रिंकू खेल को कुछ वापस देना चाहते हैं और अलीगढ़ में मैदान के समीप एक छोटा हॉस्टल बनवा रहे हैं। उन्होंने अलीगढ़ में ही क्रिकेट के गुर सीखे। हॉस्टल में वंचित तबके के कम से कम 15 लड़कों को रखने की सुविधा होगी, जहां वे कोच अमीनी के मार्गदर्शन में अपने खेल को आगे बढ़ाएंगे। रिंकू ने कहा, ‘मैं एक हॉस्टल बनवा रहा हूं और इसके करीब क्रिकेट मैदान है इसलिए बच्चों के लिए आसानी होगी। मेरे बड़े भाई की तरह के एक व्यक्ति ने मुझे कहा कि इन बच्चों के लिए कुछ योजना बनाते हैं। हॉस्टल बनाते है, उन्होंने आधी धनराशि दी और मैंने दूसरा हिस्सा देने का फैसला किया।’

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