पंजाब में महंगे बिजली अनुबंध होंगे निरस्त, राजस्थान में राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी ने उड़ाया फ्यूज

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पंजाब में महंगे बिजली अनुबंध होंगे निरस्त, राजस्थान में राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी ने उड़ाया फ्यूज

राजस्थान में मंत्री, विधायक, सांसद सब साधे हुए हैं मौन

जयपुर। पंजाब में महंगे और एकतरफा बिजली खरीद समझौता रद्द करने के आदेश दे दिए गए, लेकिन राजस्थान में राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी ने जनता पर करोड़ों का भार बढ़ा दिया है। यहां सालाना करीब 40 हजार करोड़ रुपए की बिजली खरीद प्रक्रिया में खर्च कर दिए और इसमें से 15 से 18 फीसदी रोकड़ महंगी बिजली खरीदने पर लुटा दी गई। महंगी बिजली के एकतरफ अनुबंध के कारण ऐसा हुआ।
ऐसे अनुबंधों के कारण भी राजस्थान देश में सबसे ज्यादा बिजली संकट से जूझ रहा है। क्योंकि, कई अनुबंध में निजी बिजली कंपनियों को बाजार में भी बिजली बेचने की छूट है। इस कारण भी कंपनियों का ज्यादा दर मिलने के कारण बाजार में बिजली बेचने पर ज्यादा फोकस रहा। जबकि, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को उन निजी कंपनियों के अनुबंध रद्द और समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं जो समय पर बिजली मांग पूरा करने में फेल रही।

पंजाब में सिद्धू ने दिखाई राह, यहां मंत्री, विधायक, सांसद सब मौन
पंजाब में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने महंगी बिजली अनुबंधों को निरस्त करने की राह दिखाई और उसके बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी एकतरफा अनुबंध को निरस्त करने के निर्देश दिए। लेकिन राजस्थान में 198 विधायक और 35 सांसदों (राज्यभा सहित) ने चुप्पी साधी हुई है। इनमें से मंत्री भी हैं। जबकि, वोट मांगते समय जनता की हर समस्या का समाधान कराने का वादा और दावा करते आए हैं। केवल, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ही बिजली संकट दूर करने में सक्रिय हैं।

उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा दर
देश के उत्तरी राज्यों में बिजली खरीद की मौजूदा बाजार दर सबसे ज्यादा राजस्थान के लिए है। विद्युत मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान में 12.76 रुपए प्रति यूनिट बाजार (मार्जिनल) दर है। जबकि, सबसे कम 3.78 रुपए प्रति यूनिट पंजाब के लिए है। विषय विशेषज्ञों के मुताबिक यह दर राज्यों में खुद के बिजलीघरों से विद्युत उत्पादन की स्थिति पर निर्भर करती है। राजस्थान में पिछले दिनों में 4 हजार मेगावाट तक विद्युत उत्पादन प्रभावित रहा है।
राजस्थान— 12.76
हरियाणा— 12.38
दिल्ली— 12.57
हिमाचल प्रदेश— 9.51
उत्तराखंड— 7.90
गुजरात— 8.90
मध्यप्रदेश— 3.21
पंजाब— 3.78
(दर रुपए प्रति यूनिट में है)

केवल एनटीपीसी को ही क्यों
एनटीपीसी के पांच प्लांटों से महंगी बिजली खरीद के कारण 225 से 250 करोड़ रुपए का ज्यादा लुटा रहे हैं। इनसे 15रुपए यूनिट तक बिजली खरीदने की बंदिश है। उर्जा महकम के निर्देश पर इनसे अनुबंध निरस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। उर्जा विकास निगम की याचिका पर राजस्थान राज्य विद्युत विनियामक आयोग जल्द एनटीपीसी को नोटिस जारी करेगा। लेकिन कोटा थर्मल प्लांट और कई निजी कंपनियों के महंगे अनुबंध को निरस्त करने के लिए सरकार आगे नहीं आ रही।





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