नामीबिया से मप्र आ रहे चीतों की 14 घंटे में पूरी होगी कूनो तक की यात्रा | Quarantine period of cheetahs coming from Namibia to MP is over | Patrika News

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नामीबिया से मप्र आ रहे चीतों की 14 घंटे में पूरी होगी कूनो तक की यात्रा | Quarantine period of cheetahs coming from Namibia to MP is over | Patrika News

नामीबिया से मप्र आ रहे चीतों की 14 घंटे में पूरी होगी कूनो तक की यात्रा | Quarantine period of cheetahs coming from Namibia to MP is over | Patrika News

पीएम मोदी करेंगे बटन दबाकर आजाद
16 सितंबर को चीता लेकर हवाई जहाज जोहान्सबर्ग से उड़ान भरेगा और दिल्ली पहुंचेगा। 12 से 14 घंटे में चीते ग्वालियर या जयपुर पहुंच जाएंगे। वहां से वायुसेना के चौपर इन्हें लेकर उड़ेंगे और कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में उतरेंगे। यहां मुख्य बाड़े के अंदर स्थित छोटे बाड़े में दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीतों को रिमोट का बटन दबाकर आजाद करेंगे। इन बाड़ों में उन्हें एक महीना क्वारंंटाइन में रखकर मुख्य बाड़े में छोड़ा जाएगा। सूत्र बताते हैं कि नामीबिया से जिस बॉक्स में चीते लाए जा रहे हैं, उसका गेट रिमोट से खुलेगा। चीता को छोडऩे के लिए बाड़े में अलग गेट रहेगा, जिससे सटाकर बॉक्स रखा जाएगा।

एक महीने से कम उम्र के चीतल मारकर खाएंगे चीते
क्वारंंटाइन अवधि में चीतों के बाड़ों में कम उम्र के चीतल छोड़े जाएंगे, ताकि वे उन्हें मारकर खा सकें। अधिकारियों का कहना है कि नए प्राणी को लेकर उनका डर भी खत्म होगा, क्योंकि अफ्रीका में चीतल नहीं पाए जाते हैं। उन जैसे ही दूसरे शाकाहारी वन्यप्राणियों को चीता मारकर खाते हैं।

बॉक्स में यूं लाए जाएंगे ….
नामीबिया से विशेष बॉक्स में बंद करके चीते लाए जाएंगे। एक बॉक्स में एक चीता रहेगा, जिनमें रोशनी और हवा जाने-आने के लिए रोशनदान होगा। बॉक्स में शिफ्ट करते हुए चीतों को एनस्थीसिया देकर बेहोश किया जा सकता है पर वे आधा से एक घंटे में होश में आ जाएंगे और फिर उन्हें बेहोश नहीं किया जाएगा।

तीन माह बाद खुले जंगल में छोड़ेंगे
चीतों का तीन माह तक व्यवहार देखा जाएगा। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो तीन माह बाद एक नर चीता को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। उसे रेडियो कॉलर लगाई जाएगी और लगातार मॉनीटरिंग होगी। करीब चार माह की सफलता के बाद एक मादा चीता को छोड़ा जाएगा।

पांच साल तक आएंगे चीते
दक्षिण अफ्रीका व नामीबिया से चीता लाने का सिलसिला पांच साल तक चलेगा। अभी नामीबिया से आठ व दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आ रहे हैं। इसके बाद आबादी बढ़ाने के लिए और चीते लाए जाएंगे।

कूनो क्यो बेहतर-
बताया गया कि वर्ष 1952 में भारत में चीता विलुप्त घोषित किया गया था। वर्ष 2009 में चीता पुनस्र्थापना के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों की चर्चा हुई। वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनस्र्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों में कूनो अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया। कूनो राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्तता है। इसके अतिरिक्त करीब हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिलों श्योपुर और शिवपुरी में चीतों विचरण के लिए उपयुक्त हैं।



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