नहीं लगा पैसा और हो गया चमत्कार, मेडिकल की यह तकनीक बनी 2 मासूमों के लिए वरदान, जानें पूरा मामला

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नहीं लगा पैसा और हो गया चमत्कार, मेडिकल की यह तकनीक बनी 2 मासूमों के लिए वरदान, जानें पूरा मामला

नहीं लगा पैसा और हो गया चमत्कार, मेडिकल की यह तकनीक बनी 2 मासूमों के लिए वरदान, जानें पूरा मामला

अजमेर : मेडिकल साइंस ने जिस तरह तरक्की रही है, वो कई बार चमत्कार जैसा लगता है। अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल (Jawar lal nehru hospital) में हाल ही में कुछ ऐसा हुआ, जिसे पढ़कर आपके चेहरे पर भी खुशी आ जाएगी। यहां अब चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा ( Chiranjeevi health scheme) योजना के तहत गूंगे बहरे (Deaf and Dumb) बच्चों के कॉकलियर इम्पलांट के ऑपरेशन संभव हो गए हैं। अजमेर में इस मेडिकल पद्धति के जरिए पहली बार दो सफल ऑपरेशन हुए है। हॉस्पिटल के ईएनटी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ दिग्विजय सिंह रावत और उनकी टीम ने ये ऑपरेशन किए हैं। इसके जरिए डॉक्टरों की टीम ने दो बच्चों को सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाकर खड़ा करने का प्रयास किया है। इसकी विस्तृत जानकारी जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर वीर बहादुर सिंह ने दी है।

जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर वीर बहादुर सिंह और अस्पताल अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि कान, नाक, गला रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिग्विजय सिंह रावत, डॉ. योगेश असेरी, डॉ. विक्रांत शर्मा ने इस पूरे ऑपरेशन में काफी मेहनत की। डॉक्टरों की टीम ने 4 वर्ष की आयु के दो बच्चों के सफल कॉकलियर इम्पलांट किए है। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों की इस तरह का ऑपरेशन जटिल होता है। वहीं यह ऑपरेशन काफी महंगा भी होता है। ऐसे में हर कोई इसे वहन नहीं कर सकता, लेकिन अब इसे मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत शामिल कर दिया गया है। इसकी जांच से लेकर थैरेपी तक को इसमें लिया गया है।

कॉकलियर इम्पलांट ने जरिए बोल सकते हैं ऐसे बच्चे
उन्होंने बताया कि दोनों चार वर्ष तक के बच्चे जन्म से गूंगे बहरे थे। उनका कॉकलियर इम्पलांट किया गया है। अब बच्चे सुनने लगे हैं। अब जल्द ही स्पीच थैरेपी पूरी होने के बाद बोलना भी शुरू कर पाएंगे। डॉ दिग्विजय सिंह ने कहा कि यदि कोई बच्चा जन्म से गूंगा बहरा है तो उसके परिजन जन्म के एक साल बाद ही चिकित्सक से सम्पर्क करें और वह जेएलएन में आकर इसकी जांच करवा लें। जितनी जल्दी कॉकलियर इम्पलांट होता है, उतना ही बच्चे को अधिक फायदा होता है। चार वर्ष के बाद इस ऑपरेशन का असर ना के बराबर रहता है।

परिजन ने जताया आभार
दोनों बच्चों के सफल ऑपरेशन के बाद परिजन ने डॉक्टर दिग्विजय सिंह रावत और उनकी टीम का आभार जताया। उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे। उन्होंने कहा कि वह सोच भी नहीं सकते थे कि उनका बच्चा भी अब सामान्य बच्चों की तरह हो सकेगा।

क्या होता है कॉकलियर इम्पलांट (what is cochlear implant)
डॉ दिग्विजय सिंह रावत ने कहा कि जो बच्चे जन्म से गूंगे बहरे होते हैं। उनके कान के पीछे शरीर के अंदर एक मशीन लगाई जाती है, जो कान की नसों तक जाती है। इस मशीन के जरिए बच्चों को सुनाई देने लगता है। मशीन को लगाने को ही कॉकलियर इम्पलांट कहा जाता है। इसके बाद उनकी स्पीच थैरेपी करवाई जाती है, जिससे बच्चा बोलने में भी सक्षम हो जाता है।
रिपोर्ट: नवीन वैष्णव

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