देश की पहली परखनली बछिया लक्ष्मी का हुआ जन्म, गाय बनने पर हर रोज देगी 40 लीटर दूध

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देश की पहली परखनली बछिया लक्ष्मी का हुआ जन्म, गाय बनने पर हर रोज देगी 40 लीटर दूध

देश की पहली परखनली बछिया लक्ष्मी का हुआ जन्म, गाय बनने पर हर रोज देगी 40 लीटर दूध

देश की पहली ABIP-IVF-ET बछिया का हुआ जन्म

महाराष्ट्र में सांगली के बगनी गांव में रहने वाले हैं सुशील खोट। उन्हीं के घर में IVF Embryo Transplant विधि से लक्ष्मी बछिया का जन्म हुआ है। इस बछिया को समृद्धि का अंकुर बताया जा रहा है। इसका जन्म भारत सरकार के पशुपालन एवं डेरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा चलाए जा रहे Accelerated Breed Improvement Program त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण (एबीआईपी-आईवीएफ-ईटी) प्रक्रिया के माध्यम से हुआ है। इस कार्यक्रम में डेरी किसानों के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु उच्च आनुवांशिक प्रजाति के भ्रूण को आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण के द्वारा दो लाख मादा संतति का लक्ष्य रखा गया है।

पिछले साल सितंबर में शुरू हुआ था कार्यक्रम

पिछले साल सितंबर में शुरू हुआ था कार्यक्रम

NDDB के फील्ड ऑपरेशन चलाने वाली एनडीडीबी डेरी सर्विसेज ने इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2022 के सितम्बर महीने में की थी। नौ महीने के प्रयासों का सुफल ही है कि आईवीएफ भ्रूणों के प्रत्यारोपण से अभी तक 13 स्वस्थ मादाओं का जन्म हो चुका है। महाराष्ट्र में सांगली के राजारामबापू पाटिल सहकारी दुग्ध संघ लिमिटेड, इस्लामपुर में आईवीएफ भ्रूण के प्रत्यारोपण से जन्मी लक्ष्मी पहली बछिया है। आने वाले समय में ऐसी 250 सरोगेट गाय और भैंस जन्म देने वाली हैं, जिनकी गर्भावस्था आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण के जरिए पुष्ट हो चुकी हैं।

एक दिन में 40 लीटर दूध देगी

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लक्ष्मी उच्च अनुवांशिक गुण के आईवीएफ भ्रूण से जन्मी है। इसकी क्षमता एक दिन में 35-40 लीटर दूध उत्पादन की है। यदि ऐसा होता है तो यह इस क्षेत्र के दूध किसानों के लिए समृद्धि का द्वार खोलेगगा। क्योंकि अभी उस क्षेत्र में डेरी किसानों के वर्तमान गौवंश के औसत दूध उत्पादन 20 लीटर तक ही है। इस कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए केंद्रीय पशुपालन एवं डेरी विभाग ने एनडीडीबी के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनडीएस को चुना था। एनडीएस ने पिछले साल सितम्बर में कार्यक्रम के कार्यान्वयन की शुरुआत महाराष्ट्र के इस्लामपुर से की थी।

अभी बहुत काम करने की आवश्यकता

अभी बहुत काम करने की आवश्यकता

इस कार्यक्रम में लगी टीम को बधाई देते हुए एनडीडीबी एवं एनडीएस अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा कि यहां तक की यात्रा आसान नहीं थी। शुरुआत में आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण की सफलता दर बेहद कम, 9% ही थी। आज कुछ मामलों में यह 46% तक पहुंच गई है। उनका कहना है कि परखनली शिशु की सफलता रेसिपिएंट के उचित चयन और उनके प्रबंधन पर निर्भर करती है। अभी भी इस क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है।

देश के कई राज्यों में चल रही है योजना

देश के कई राज्यों में चल रही है योजना

इस योजना पर एनडीएस की टीम बिना रुके एक साल से काम कर रही है। महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखण्ड, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों के 15 दुग्ध संघों तक कार्यक्रम को पहले से ही पहुंचाया जा चुका है। एनडीएस की टीम सितम्बर, 2022 से अब तक 1,436 भ्रूण प्रत्यारोपण कर चुकी है। इनमें से 1,211 की गर्भावस्था जांच हो चुकी है। इस साल भ्रूण प्रत्यारोपण गतिविधियों को बढाकर और 3,000 रेसिपिएंट को गर्भित का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

शर्तिया बछिया या कटिया ही होगी

शर्तिया बछिया या कटिया ही होगी

एनडीएस का कहना है कि इस तकनीक से जो भ्रूण तैयार होता है, उसमें 90 फीसदी मादा बच्चे पैदा होने की संभावना होती है। भ्रूण की नस्ल किसान चुनते हैं और छह गौवंश और एक भैंस की नस्ल के लिंग-पृथक्कृत (जेंडर-सॉर्टेड) आईवीएफ भ्रूण इस तरह से उपयोग में लाए गये हैं कि जन्म लेने वाले बच्चों में से 90 प्रतिशत मादा हों। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से पैदा हुए बच्चों में सरोगेट के कोई भी गुण नहीं होंगे । गिर और साहिवाल प्रजाति की गायों से दूध के उत्पादन की क्षमता 15-20 लीटर और मुर्राह भैंस प्रजाति से 20 लीटर प्रतिदिन तक होगी।

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