दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज तैयार, आज से ऑफलाइन मोड में खुल गया कैंपस
नई दिल्ली:दिल्ली यूनिवर्सिटी के क्लासरूम आज से स्टूडेंट्स के लिए खुल रहे हैं। कॉलेजों की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है, सेनेटाइजेशन से लेकर मरम्मत का काम कैंपस में पिछले एक हफ्ते में चला है। एक ओर, पहली बार कैंपस आने के लिए फर्स्ट और सेकंड ईयर के कई स्टूडेंट्स उत्साहित हैं, दूसरी ओर बाहर के रहने वाले कई स्टूडेंट्स को अपनी क्लासेज पहुंचने में अभी कुछ वक्त लगेगा। स्टूडेंट का यह भी कहना है कि यूनिवर्सिटी ने जल्दबाजी में ऑफलाइन क्लासेज शुरू करने का फैसला लिया है और उन्हें इतनी जल्दी हॉस्टल और पीजी के इंतजाम में दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा, फर्स्ट सेमेस्टर के अगले महीने से सेमेस्टर एग्जामिनेशन हैं, इसलिए कई स्टूडेंट्स अभी आने के मूड में नहीं हैं और कई फाइनल ईयर स्टूडेंट्स सिर्फ दो महीने के लिए कैंपस नहीं आना चाहते। स्टूडेंट्स हाइब्रिड मोड में क्लासेज चाहते हैं।
स्टूडेंट का स्वागत करने के लिए कैंपस तैयार
डीयू के कॉलेज अपने स्टूडेंट्स को वेलकम करने के लिए तैयार हो चुके हैं, मगर हॉस्टल्स के लिए इंतजार करना होगा। डीयू के ऑफलाइन मोड में खुलने के ऐलान के बाद से ही कॉलेजों से पैरंट्स पूछताछ करने लगे थे। कई स्टूडेंट्स ने तुरंत कॉलेज जॉइन ना कर पाने की मजबूरियां भी बताई हैं। कमला नेहरू कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. कल्पना भाकुनी बताती हैं, हमारे पास रोजाना कई पैरंट्स की कॉल्स, ईमेल्स आ रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें पीजी वगैरह के इंतजाम के लिए कुछ वक्त मिलना चाहिए। बच्चे भी पैनिक हो रहे हैं तो हमने शुरुआत के दो हफ्ते तीनों ईयर के लिए दो-दो ऑफलाइन क्लासेज ही रखी हैं। हाइब्रिड मोड रखा नहीं जा सकता, क्योंकि इतने संसाधन नहीं हैं। रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मनोज खन्ना कहते हैं, स्टूडेंट्स से मिक्स रिएक्शन मिल रहा है। कुछ बच्चों के पैरंट्स ने बताया है कि वे पहुंच चुके हैं। कुछ स्टूडेंट्स रुक भी रहे हैं। स्टूडेंट्स आएंगे मगर कितने यह आइडिया उसी दिन मिलेगा। अभी हम ऑफलाइन क्लास ही शुरू करेंगे, उसके बाद अटेंडेंस देखकर आगे के लिए फैसला लिया जाएगा।
श्री अरबिंदो कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विपिन कुमार अग्रवाल कहते हैं, मुझे लगता है कि स्टूडेंट्स अच्छी संख्या में पहुंचेंगे। हमारे पास कई पैरंट्स पूछताछ के लिए भी आ रहे हैं। स्टूडेंट्स को थोड़ा बेचैनी भी है, क्योंकि वे पहली बार कैंपस आएंगे। हमने कैंपस में सैनेटाइजेशन मशीनें लगवा दी हैं, थर्मल स्क्रीनिंग मशीन खरीद ली हैं। क्लासरूम छोटे हैं, स्टूडेंट्स ज्यादा, तो सोशल डिस्टेंसिंग मसला है मगर स्टूडेंट्स मास्क हमेशा पहनें, इस पर हमारी कोविड टास्क फोर्स पूरा ध्यान देगी। राजधानी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ राजेश गिरी कहते हैं, पिछले दो दिनों से कॉलेज में साफ-सफाई, सैनेटाइजेशन चल रहा है। फर्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स तो करीब दो साल बाद कैंपस पहुंचेंगे, कॉलेजों की रौनक लौटेगी। हमें लग रहा है कि फर्स्ट सेमेस्टर वालों की क्लासेज खत्म होने वाली हैं, प्रैक्टिकल और अगले महीने एग्जाम भी ऑनलाइन होंगे इसलिए वे कम संख्या में पहुंचेंगे। फाइनल ईयर वाले भी आखिरी दो महीने कम ही पहुंचते हैं क्योंकि वे पीजी की भी तैयारी करते हैं। इसके अलावा, हम स्टूडेंट्स के वैक्सीनेशन का स्टेटस भी चेक कर रहे हैं, जरूरत पड़ने पर हम कैंप भी लगा सकते हैं।
‘इतनी जल्दी कैसे ढूंढे पीजी, दो महीने के लिए क्यों आएं कैंपस!’
ऑफलाइन क्लासेज के लिए कई स्टूडेंट्स दिल्ली पहुंच चुके हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से डीयू बीए सेकंड ईयर के स्टूडेंट नमन यादव का कहना है, यह मेरा दूसरा साल है मगर आज तक कॉलेज नहीं गया, तो टेंपल जाने और दोस्तों से मिलने के लिए एक्साइटेड हूं। मुझे पीजी का भी इंतजाम करना है इसलिए सोमवार को पहुंचा हूं। वहीं, रेवाड़ी की रहने वालीं बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट अदिति शर्मा का कहना है कि मेरे प्रैक्टिकल शुरू होने वाले हैं, तो मैं एग्जाम के बाद कैंपस जाना चाहती थी मगर अब आना पड़ा। हॉस्टल के लिए अप्लाई किया है, तो उसका भी इंतजार कर रही हूं, तब तक रिश्तेदार के घर रहूंगी। दूसरी ओर, फाइनल ईयर स्टूडेंट्स तो वीसी के नाम ऑनलाइन पिटिशन साइन कर हाइब्रिड मोड की मांग कर रहे हैं। इसे 45 हजार स्टूडेंट्स साइन कर चुके हैं। डीयू फाइनल ईयर स्टूडेंट शताक्षी राज कहती हैं, सिलेबस आधे से ज्यादा पूरा हो चुका है और जब सालभर ऑनलाइन क्लासेज पढ़ी हैं तो अब दो महीने के लिए क्लासेज और एग्जाम ऑफलाइन क्यों! फाइनल ईयर स्टूडेंट प्रांजल गुप्ता कहते हैं, दिल्ली आने का खर्चा और फिर पीजी ढूंढना, जिनके रेट दोगुने हो चुके हैं। डीयू को हाइब्रिड मोड रखना चाहिए।
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स्टूडेंट का स्वागत करने के लिए कैंपस तैयार
डीयू के कॉलेज अपने स्टूडेंट्स को वेलकम करने के लिए तैयार हो चुके हैं, मगर हॉस्टल्स के लिए इंतजार करना होगा। डीयू के ऑफलाइन मोड में खुलने के ऐलान के बाद से ही कॉलेजों से पैरंट्स पूछताछ करने लगे थे। कई स्टूडेंट्स ने तुरंत कॉलेज जॉइन ना कर पाने की मजबूरियां भी बताई हैं। कमला नेहरू कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. कल्पना भाकुनी बताती हैं, हमारे पास रोजाना कई पैरंट्स की कॉल्स, ईमेल्स आ रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें पीजी वगैरह के इंतजाम के लिए कुछ वक्त मिलना चाहिए। बच्चे भी पैनिक हो रहे हैं तो हमने शुरुआत के दो हफ्ते तीनों ईयर के लिए दो-दो ऑफलाइन क्लासेज ही रखी हैं। हाइब्रिड मोड रखा नहीं जा सकता, क्योंकि इतने संसाधन नहीं हैं। रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मनोज खन्ना कहते हैं, स्टूडेंट्स से मिक्स रिएक्शन मिल रहा है। कुछ बच्चों के पैरंट्स ने बताया है कि वे पहुंच चुके हैं। कुछ स्टूडेंट्स रुक भी रहे हैं। स्टूडेंट्स आएंगे मगर कितने यह आइडिया उसी दिन मिलेगा। अभी हम ऑफलाइन क्लास ही शुरू करेंगे, उसके बाद अटेंडेंस देखकर आगे के लिए फैसला लिया जाएगा।
श्री अरबिंदो कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विपिन कुमार अग्रवाल कहते हैं, मुझे लगता है कि स्टूडेंट्स अच्छी संख्या में पहुंचेंगे। हमारे पास कई पैरंट्स पूछताछ के लिए भी आ रहे हैं। स्टूडेंट्स को थोड़ा बेचैनी भी है, क्योंकि वे पहली बार कैंपस आएंगे। हमने कैंपस में सैनेटाइजेशन मशीनें लगवा दी हैं, थर्मल स्क्रीनिंग मशीन खरीद ली हैं। क्लासरूम छोटे हैं, स्टूडेंट्स ज्यादा, तो सोशल डिस्टेंसिंग मसला है मगर स्टूडेंट्स मास्क हमेशा पहनें, इस पर हमारी कोविड टास्क फोर्स पूरा ध्यान देगी। राजधानी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ राजेश गिरी कहते हैं, पिछले दो दिनों से कॉलेज में साफ-सफाई, सैनेटाइजेशन चल रहा है। फर्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स तो करीब दो साल बाद कैंपस पहुंचेंगे, कॉलेजों की रौनक लौटेगी। हमें लग रहा है कि फर्स्ट सेमेस्टर वालों की क्लासेज खत्म होने वाली हैं, प्रैक्टिकल और अगले महीने एग्जाम भी ऑनलाइन होंगे इसलिए वे कम संख्या में पहुंचेंगे। फाइनल ईयर वाले भी आखिरी दो महीने कम ही पहुंचते हैं क्योंकि वे पीजी की भी तैयारी करते हैं। इसके अलावा, हम स्टूडेंट्स के वैक्सीनेशन का स्टेटस भी चेक कर रहे हैं, जरूरत पड़ने पर हम कैंप भी लगा सकते हैं।
‘इतनी जल्दी कैसे ढूंढे पीजी, दो महीने के लिए क्यों आएं कैंपस!’
ऑफलाइन क्लासेज के लिए कई स्टूडेंट्स दिल्ली पहुंच चुके हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से डीयू बीए सेकंड ईयर के स्टूडेंट नमन यादव का कहना है, यह मेरा दूसरा साल है मगर आज तक कॉलेज नहीं गया, तो टेंपल जाने और दोस्तों से मिलने के लिए एक्साइटेड हूं। मुझे पीजी का भी इंतजाम करना है इसलिए सोमवार को पहुंचा हूं। वहीं, रेवाड़ी की रहने वालीं बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट अदिति शर्मा का कहना है कि मेरे प्रैक्टिकल शुरू होने वाले हैं, तो मैं एग्जाम के बाद कैंपस जाना चाहती थी मगर अब आना पड़ा। हॉस्टल के लिए अप्लाई किया है, तो उसका भी इंतजार कर रही हूं, तब तक रिश्तेदार के घर रहूंगी। दूसरी ओर, फाइनल ईयर स्टूडेंट्स तो वीसी के नाम ऑनलाइन पिटिशन साइन कर हाइब्रिड मोड की मांग कर रहे हैं। इसे 45 हजार स्टूडेंट्स साइन कर चुके हैं। डीयू फाइनल ईयर स्टूडेंट शताक्षी राज कहती हैं, सिलेबस आधे से ज्यादा पूरा हो चुका है और जब सालभर ऑनलाइन क्लासेज पढ़ी हैं तो अब दो महीने के लिए क्लासेज और एग्जाम ऑफलाइन क्यों! फाइनल ईयर स्टूडेंट प्रांजल गुप्ता कहते हैं, दिल्ली आने का खर्चा और फिर पीजी ढूंढना, जिनके रेट दोगुने हो चुके हैं। डीयू को हाइब्रिड मोड रखना चाहिए।