दिल्ली एमसीडी में कितनी है आधी आबादी की भागीदारी, AAP,BJP और कांग्रेस की महिला प्रतिनिधियों ने सब बता दिया

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दिल्ली एमसीडी में कितनी है आधी आबादी की भागीदारी, AAP,BJP और कांग्रेस की महिला प्रतिनिधियों ने सब बता दिया

दिल्ली एमसीडी में कितनी है आधी आबादी की भागीदारी, AAP,BJP और कांग्रेस की महिला प्रतिनिधियों ने सब बता दिया

दिल्ली में एमसीडी चुनावों के लिए प्रचार अब पूरे चरम पर है। सभी पार्टियों के नेता और उम्मीदवार खुलकर अपनी बातें रख रहे हैं और मुद्दे उठा रहे हैं। एमसीडी चुनावों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें रिजर्व होती हैं। ऐसे में हमने दिल्ली की तीनों प्रमुख पार्टियों की महिला प्रतनिधियों से एक साथ बात और महिलाओं के मुद्दों पर उनकी राय समझी। तीनों पार्टियों की महिला नेताओं ने अपने अनुभव के आधार पर राजनीति और एमसीडी में महिलाओं की भागीदारी पर खुलकर बात की। हमने बीजेपी की आरती मेहरा, आम आदमी पार्टी की प्रियंका कक्कड़ और कांग्रेस की अमता धवन को नवभारत टाअम्स के ऑफिस बुलाकर महिलाओं के बारे में उनके विचारों के बारे में जाना।

महिला पार्षदों में जज्बा होना चाहिए, उन्हें प्रॉक्सी से नहीं चलाया जा सकता : आरती मेहरा
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कितनी सशक्त हो, इस पर यूनिफाइड एमसीडी की पूर्व मेयर व बीजेपी की सीनियर लीडर आरती मेहरा ने अपनी बात रखी। उनका कहना था कि राजनीति में पहले महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 33 प्रतिशत ही थी। लेकिन मध्यप्रदेश में जब उनकी सरकार बनी, तब महिलाओं की भागीदारी 33 प्रतिशत से बढ़ा कर 50 प्रतिशत की गई। लेकिन अब इनकी संख्या इससे भी कहीं अधिक है।

उन्होंने कहा कि वह पहली ऐसी मेयर रहीं, जिन्हें लगातार दो साल तक इस पद पर बने रहने का अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने बड़े करीब से राजनीति में महिलाओं की जिम्मेदारियां व भूमिका समझने का मौका मिला। पार्षद बनने के बाद महिलाओं के पति, पिता या भाई का उनके कार्यों में दखलअंदाजी देखने को मिलती है। एक हद तक तो यह ठीक है कि परिवार के लोग उनके कार्यों में मदद कर रहे हैं, लेकिन जो राजनीतिक या समाजिक फैसले लेने हैं, वह महिलाएं खुद ही करें। इससे उनका कार्य बेहतर होगा और भविष्य में वे स्वतंत्र निर्णय ले सकती हैं।

पार्षद बनी महिलाओं को यह अहसास होना चाहिए कि अब उनकी जिम्मेदारियां सिर्फ घर-परिवार तक ही सीमित नहीं। समाज व जनता की समस्याओं के प्रति भी वही जवाबदेह हैं, क्योंकि जनता ने ही उन्हें चुनकर एमसीडी सदन में अपनी आवाज उठाने के लिए भेजा है। सफाई एक बड़ा मुद्दा है। सफाई का क्या महत्व है और उसे कैसे बेहतर किया जा सकता है, यह महिलाओं से बेहतर कौन जा सकता है। लेकिन, काम कराने के लिए महिला पार्षदों में जज्बा होना चाहिए। उन्हें मेहनत करनी पड़ेगी। काम कराने की संवैधानिक प्रक्रिया क्या है, यह ठीक से समझना होगा। एमसीडी काउंसलर बनना राजनीति के ककहरा की तरह है। यह एक इंस्टीट्यूशन की तरह है। यहीं से राजनीति सीखी जाती है और इस विरासत को आगे बढ़ाया जाता है। इसलिए महिलाओं को प्रॉक्सी से नहीं चलाया जा सकता।

‘महिला पार्षदों की ट्रेनिंग होनी चाहिए’
जो पहली बार पार्षद चुनकर आई हैं, उन महिला पार्षदों की ट्रेनिंग होनी चाहिए। इस दौरान उन्हें उन्हें कर्तव्य, जिम्मेदारियां व अधिकारों के बारे में बताया जाना चाहिए। महिलाएं 10-10 महिलाओं का एक समूह बनाकर अपने वॉर्ड की समस्याओं के बारे में जानें और समाधान करने की कोशिश करें। लेकिन, इसके लिए महिलाओ को खुद ही आगे आना होगा। उन्हें अपनी आवाज खुद ही उठानी होगी। उन्हें अपने अधिकारियों के बारे में जानने के लिए खुद ही आगे आना होगा। महिला पार्षद जिन पार्टियों से हैं, उन पार्टियों को भी इस तरह की ट्रेनिंग की व्यवस्था करनी चाहिए। आरती पहली ऐसी मेयर रही हैं जिन्हें यूनाइटेड नेशन में क्लाइमेट चेंज पर बोलने का अवसर प्राप्त हुआ था। देश भर के 86 मेयर्स ने समिट में जाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें से सिर्फ 4 चुने गए और उनमें से वह एक थीं। समिट में बोलते समय उन्होंने क्लाइमेट चेंज पर भारत का पक्ष रखा था। उनका कहना था कि वह कोई नॉमिनेटेड मेयर नहीं थी, बल्कि सिलेक्टेड मेयर थीं। चार लोगों का उस समय ऑनलाइन इंटरव्यू किया गया था, उसमें वह सिलेक्ट हुई थीं।

राउंट टेबल के दौरान आम आदमी पार्टी व कांग्रेस महिला प्रतिनिधियों ने एमसीडी में पिछले 15 सालों से सत्ता में रही बीजेपी पर महिलाओं की भागीदारी पर सवाल भी उठाए। जिस पर पूर्व मेयर आरती मेहरा ने कहा कि बीजेपी ऐसी पार्टी है, जिसने सबसे अधिक महिलाओं को टिकट दिया है। इस चुनाव में तो पार्टी ने करीब 54 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया है। पार्टी ने जो मेनिफिस्टो (संकल्प पत्र) तैयार किया है, उसमें महिलाओं के लिए विशेष सुविधा देने की बात कही है। इसमें महिलाओं के नाम से मकान होने पर उन्हें हाउस टैक्स में स्पेशल छूट, महिला उद्यमियों को टैक्स में छूट, महिलाओं को रोजगार के सुनहरे अवसर सहित कई ऐसे चीजे कर रही हैं, जिससे उन्हें सुविधा हो और महिलाओं को हर क्षेत्र में बेहतर अवसर प्राप्त हो। यह बीजेपी की महिलाओं के प्रति सोच है कि इस बार मेनिफेस्टो में भी महिलाओं के लिए कई तरह की सुविधाओं को शामिल किया गया है। बीजेपी कन्या योजना शुरू करने वाली है, जिसमें एमसीडी के मैटरनिटी सेंटर में जन्म लेने वाली बच्चियों को 5 हजार रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट किया जाएगा, जिसमें 18 सालों बाद 50 हजार रुपये मिलेंगे। 130 नए महिला स्वास्थ्य केंद्र भी खोले जाएंगे।

आज देश की राजनीति का स्तर काफी नीचे हो गया है, महिलाएं उसको सुधार सकती हैं : प्रियंका
एमसीडी में महिलाओं की भूमिका कैसे मजबूत हो और कैसे महिला पार्षद एमसीडी के सुधार में अहम भूमिका निभाएं, इस बारे में आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ का कहना था कि हमारी पार्टी हमेशा से राजनीति में महिलाओं की सशक्त भूमिका की पक्षधर रही है। आज हम गर्व के साथ यह कह सकते हैं कि हमारी पार्टी ने एमसीडी में महिलाओं के लिए तय 50 पर्सेंट रिजर्व कोटे से भी दो कदम आगे बढ़कर करीब 54-55 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के तीन प्रमुख सिद्धांतों को केंद्र में रखकर टिकट देती है। उम्मीदवार का कैरेक्टर अच्छा हो, वह भ्रष्टाचार में लिप्त ना हो और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड ना हो। मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि बीजेपी ने एक ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है, जो सीएम आवास पर हुए हमले में शामिल रहा था। यह बहुत निराशानजक है और ये मुद्दा उठाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर आप महिलाओं को राजनीति में प्रमोट कर रहे हैं, तो यह भी जरूरी है कि आप अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट ना दें। दिल्ली में तो वैसे ही महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।

यूपी की ग्राम पंचायतों समेत कुछ अन्य उदाहरण गिनाते हुए प्रियंका ने यह माना कि महिला पार्षदों को रिमोट कंट्रोल के रूप में नहीं, बल्कि अपनी स्वतंत्र सोच के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश की राजनीति का स्तर काफी नीचे हो गया है। मैं मानती हूं कि महिलाएं उसको सुधार सकती है। हमारी पार्टी जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है, वे सभी कहीं न कहीं महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं। हम चाहते हैं कि घरों के आस-पास साफ-सफाई रहे, ताकि लोग बीमार ना हो, एमसीडी के स्कूल और अस्पताल भी दिल्ली सरकार के स्कूल-अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों की तरह शानदार बनें। इससे अंतत: परिवार की महिलाओं को ही सबसे ज्यादा फायदा होता है और इनके अभाव में सबसे ज्यादा दिक्कत भी महिलाओं को ही उठानी पड़ती है। ये सब चीजें ठीक हों, इसके लिए जरूरी है कि केजरीवाल का विधायक और केजरीवाल ही पार्षद हो।

महिलाओं के प्रति हमारी पार्टी संवेदनशील
उन्होंने कहा कि एमसीडी जिन मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है, उनको दूर करना बेहद जरूरी हैं, क्योंकि अगर ये समस्याएं बनी रहीं, तो आप कितनी ही महिलाओं को चुनकर एमसीडी में भेज दें, वो कुछ नहीं कर पाएंगी। मसलन, अगर एमसीडी को मिल रहे पैसों का सही इस्तेमाल नहीं होगा और सफाई कर्मचारियों को समय पर सैलरी नहीं मिलेगी, तो ये समस्याएं बनी रहेंगी। प्रियंका का मानना है कि महिला पार्षद इन समस्याओं और उनके प्रभाव को बहुत अच्छी तरह से समझती हैं और इसलिए वे ज्यादा संवेदनशील तरीके से इन सब मुद्दों का समाधान निकाल सकती है। खासतौर से एमसीडी में करप्शन को खत्म करने में वे बहुत अहम भूमिका निभा सकती हैं।

प्रियंका ने कहा कि दिल्ली में हमारी सरकार शुरू से महिलाओं को लेकर काफी सजग रही है। डीटीसी बसों महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा से जहां महिलाओं को बहुत फायदा हो रहा है। सीसीटीवी कैमरों के विशाल नेटवर्क के जरिए महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद मिल रही है। सरकारी अस्पतालों में महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं। ये सब उदाहरण महिलाओं के प्रति हमारी पार्टी की संवेदनशीलता को दिखाते हैं।

फिर इसके बावजूद दिल्ली सरकार में कोई महिला मंत्री पद क्यों नहीं है? इस सवाल के जवाब में प्रियंका का कहना था कि हमारी डिप्टी स्पीकर एक महिला हैं और वो समय भी आएगा, जब कैबिनेट में आपको कोई महिला मंत्री भी दिखेंगी। हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती पार्टी हैं, जिसमें बहुत मेहनती, काबिल और सक्षम महिला वर्कर्स हैं, जिनको अब एमसीडी के जरिए भी सक्रिय राजनीति में मुख्य भूमिका निभाने का अवसर मिलने जा रहा है।

पुरानी नीति में भी दिल्ली में शराब की 849 दुकानें थीं
शराब की नई दुकानों को खोलने का महिलाओं द्वारा सबसे ज्यादा विरोध किए जाने के सवाल पर भी उनका कहना था कि पुरानी नीति में भी दिल्ली के अंदर शराब की 849 दुकानें थीं और नई नीति में भी उतनी ही दुकानें खोली गईं, बल्कि बाद में उससे भी कम हो गईं। केवल आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाने और हमारे नेताओं पर कीचड़ उछालने के लिए ये कहानियां उछाली गईं। प्रियंका ने दावा किया कि परिसीमन के बाद भी बीजेपी एमसीडी का चुनाव बुरी तरह हारेगी और जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो राहुल गांधी का चुनाव में कोई इंट्रेस्ट ही नहीं दिख रहा है।

महिलाएं राजनीति को चुनें और महिलाओं के लिए काम करें : अमृता धवन
एमसीडी चुनाव अब उस मोड़ पर पहुंच चुका हैं, जहां तीनों प्रमुख पार्टियां हर एक मुद्दे को भुनाने और जनता को मनाने में जुटी हैं। एमसीडी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मुद्दे पर कांग्रेस की प्रदेश महिला अध्यक्ष अमृता धवन का कहना है कि यह सोच कांग्रेस की है। सबसे पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही निर्णय लिया और आज एमसीडी में 50 पर्सेंट से ज्यादा महिलाओं को मौका मिल रहा है। बावजूद वर्तमान में हालात अच्छे नहीं हैं। मेरी अपनी राय है कि महिलाएं राजनीति को चुनें, महिलाओं के लिए काम करें और हर पार्टी की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि जो महिलाएं जमीन पर काम कर रही हैं, पार्टी उन्हें मौका दें। अमृता ने कहा कि सबसे पहले परिवार, समाज और सरकार के अंदर माइंडसेट को चेंज करने की जरूरत है। उन्हें इस बात को स्वीकार करना होगा कि क्या सच में वो महिलाओं की भागीदारी चाहते हैं या केवल कागज तक ही सीमित रखना चाहते हैं। क्योंकि आज भी महिलाओं की भागीदारी केवल निगम तक सीमित है, महिला रिजर्वेशन लोकसभा और राज्यसभा में भी होना चाहिए, तभी महिलाएं और मजबूत होंगी। उनके हित से जुड़े और बेहतर फैसले लिए जा सकेंगे, पॉलिसी बनाई जा सकेगी।

अपने निगम पार्षद चुने जाने का हवाला देते हुए अमृता ने कहा कि जब मैं डीयू प्रेजिडेंट थीं। तभी मेरे प्रदेश नेता राम बाबू शर्मा ने निगम चुनाव लड़ने को कहा, तब मैंने उन्हें बताया कि इसका अनुभव मेरे पास नहीं है। तब उन्होंने एक शब्द कहा कि क्षेत्र मिलेगा नहीं, बनाना पड़ता है। हालांकि मैं पहला चुनाव हार गई, मेरे घर में सभी रो रहे थे, लेकिन मैं नहीं रोई और उसी दिन से चुनाव में लग गई और अगले चुनाव में 2 हजार वोट से जीत दर्ज की। मेरा कहना है कि अगर महिला राजनीति में आती हैं, तो उसे अपने दायरे से बाहर निकलकर काम करना होगा। मैं 100 पर्सेंट इस बात से इत्तेफाक रखती हूं कि महिला रिजर्वेशन होना चाहिए।

परिवार और समाज की सोच बदलने की जरूरत
अमृता ने कहा कि आमतौर पर हर पार्टी में देखा जाता है कि पुरुष राजनीति करते हैं। अगर सीट रिजर्व हो जाती है, तो वह अपनी मां, बहन या पत्नी को अपने डमी के तौर पर उतारते हैं। कई बार ऐसी महिला पार्षद उस दायरे से बाहर नहीं निकल पाती हैं। हालांकि अधिकतर महिलाएं 6 महीने काम के बाद उस आत्मविश्वास को प्राप्त कर लेती हैं। बावजूद कुछ महिलाएं अपना फैसला नहीं ले पाती हैं। कहीं न कहीं उन पर प्रेशर होता है। इसलिए परिवार और समाज की सोच बदलने की जरूरत है। मैंने अपनी पार्टी के अंदर भी यह बात उठाई कि जो काबिल हैं, उन्हें टिकट मिले।

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में हम महिलाओं को भी एक साथ मिलकर सिस्टम से लड़ना होगा। निगम के अंदर भी महिलाओं का रोल बड़ा है। सैनिटेशन की बात करें, तो यह सीधे उनसे जुड़ा है। पिछले दिनों जब स्ट्राइक हुई, तो सबके पसीने छूट गए थे। इसलिए मेरी मांग है कि सभी महिला नेताओं की काउंसलिंग होनी चाहिए कि वो महिलाओं की बात उठाए। सरकार गिर जाए, लेकिन एक आवाज बनकर साथ खड़े रहें।

हां, इतना जरूर है कि जो महिला पार्षद चुनकर आती हैं, उनकी ट्रेनिंग होनी चाहिए। इस स्तर पर उन्हें अवेयर करना चाहिए कि पार्षद का काम, दायित्व, काम करने और कराने के तरीके, फंड कहां से आएंगे, कैसे खर्च होंगे, जनता की शिकायत, इन सब जिम्मेदारी से कैसे निपटा जाता है। यह सब पता हो। अगर एक महिला पार्षद बनती है, तो उसके लिए यह परिवार की तरह होता है। महिला अपने परिवार के साथ कभी भ्रष्टाचार नहीं होने देती। करप्शन अपने आप एमसीडी में कम हो जाएगा।

बीजेपी ने निगम को बनाया सबसे भ्रष्ट
राउंड टेबल के दौरान उन्होंने बीजेपी और आप के काम पर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि अभी इलेक्शन ओरिएंटेड राजनीति हो रही है। अच्छी नीयत से काम हो, लेकिन बीजेपी ने एमसीडी को सबसे करप्ट बना दिया है। 15 साल बाद भी समस्या जैस की तस है। पिछले 8 सालों से आप ने दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर बना दिया है। सांस लेना दूभर हो रहा है। दिल्ली की समस्या, कहीं न कहीं महिलाओं से भी जुड़ी है। इसलिए बदलाव की जरूरत है। आज फिर से लोग शीला दीक्षित वाली दिल्ली को याद कर रहे हैं। वह बदलाव और महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ा उदाहरण हैं। एकीकरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित ने एकीकरण पावर का विकेंद्रीकरण किया था। पावर नीचे तक जाए, लोगों को आसानी हो, काम आसान हो, लेकिन सरकार बदली और सब कुछ अधूरा रह गया। इन दोनों की आपसी लड़ाई में एमसीडी फेल हो गई।

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