दिन भर निकलती है धूप, शाम को बौछारें-यह मानसून का पैटर्न ही नहीं

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दिन भर निकलती है धूप, शाम को बौछारें-यह मानसून का पैटर्न ही नहीं

शहर में मानसून आया, लेकिन बारिश का पैटर्न प्री मानसून जैसा ही

भोपाल. शहर में इस वर्ष मानसून का आगमन तय तारीख से एक सप्ताह पहले ही हो गया है। मौसम विभाग के रिकॉर्ड में लगभग 150 मिमी मानसूनी बारिश भी हो चुकी है, लेकिन इस बारिश का पैटर्न बेहद चौंकाने वाला है। दरअसल अब तक जून में जितनी बारिश हुई वह सभी शाम के वक्त ही हुई है, जबकि मानसूनी हवाओं के आने पर दिन से लेकर रात और सुबह तक किसी भी समय बारिश हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून का यह बदलता स्वरूप ग्लोबल वार्मिंग और अन्य कारणों के चलते बन रहा है और बार-बार अचानक तेज बारिश तो फिर लगातार अंतराल की एक्सट्रीम वेदर कंडीशन बन रही हैं।

स्थानीय बादलों का असर, शाम चार बजे की बारिश
विश्व के उष्णकटिबंधीय इलाकों खासतौर पर वनों में मौसम लगभग साल भर गर्म रहता है, लेकिन शाम को अक्सर बारिश होती है। इसके कई जगहों पर चार बजे की बारिश भी कहा जाता है। शहर में भी इन दिनों मौसम का मिजाज ऐसा ही हो गया है। मई के आखिरी सप्ताह से प्री मानसून की बारिश शुरू हुई, इसके बाद से जून के दो सप्ताह बीत चुके है, लेकिन आज तक एक भी दिन शाम के अलावा किसी और समय बारिश नहीं हुई। यह मिजाज स्थानीय बादलों से बारिश का है।

मानसून का शाब्दिक अर्थ ही है हवाओं की दिशा बदलना, जब लगातार नमी आती है तो न केवल हवाओं की दिशा बदलती है बल्कि नमी भी बढ़ती है जिससे लगातार और दिन-रात के किसी भी समय बारिश होती है। तब दिन में आसमान बार-बार पूरी तरह साफ नहीं होता। वर्तमान में लगातार जिस तरह शाम को बारिश हो रही है, वह मानसून के बदलते स्वरूप और बार-बार एक्सट्रीम वेदर कंडीशन बनने का संकेत हैं।
अजय शुक्ला, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक

सिस्टमों ने धकाया मानसून, नहीं बनी मानसून द्रोणिका भी

मानसून में सबसे महत्वपूर्ण कारक मानसून द्रोणिका होती है, लेकिन जो द्रोणिका परिवर्तित होकर मानसून द्रोणिका बनती है, वह अभी ऊपर है। लगातार सिस्टम आने के चलते मानसून तो तेज चाल से आगे बढ़ा लेकिन लगातार बारिश के कारक नहीं होने से यह अंतराल आया है।
एसके नायक, वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ











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