दबाव बनाकर निवेशकों से MOU साइन कराए, नीतीश ने भाषण क्यों नहीं दिया? सुशील मोदी का आरोप

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दबाव बनाकर निवेशकों से MOU साइन कराए, नीतीश ने भाषण क्यों नहीं दिया? सुशील मोदी का आरोप

दबाव बनाकर निवेशकों से MOU साइन कराए, नीतीश ने भाषण क्यों नहीं दिया? सुशील मोदी का आरोप

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पटना में हुई बिहार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी नेता एवं पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिहार बिजनेस कनेक्ट 2023 में दबाव बनाकर निवेशकों से एमओयू पर साइन कराए गए। उन्होंने निवेशक सम्मेलन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण नहीं देने पर भी सवाल उठाए। साथ ही कहा कि अच्छा हुआ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस समिट में नहीं गए। बता दें कि दो दिवसीय निवेशक सम्मेलन में 300 कंपनियों ने बिहार में 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश का करार किया है।

बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि इन्वेस्टर मीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाषण क्यों नहीं किया? वे 2 घंटे रहे परंतु एक शब्द नहीं कहा। निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए मुख्यमंत्री का उद्बोधन अनिवार्य था। मगर उनके सलाहकारों ने बोलने से मना कर दिया क्योंकि फिर कहीं विधान मंडल में भाषण जैसा मुंह से कुछ न निकल जाए जिससे सरकार की फजीहत हो जाए। 

उन्होंने कहा कि निवेशक सम्मेलन में तेजस्वी यादव भी नहीं आए जबकि उद्योग विभाग आरजेडी के कोटे में है। तेजस्वी को तो मना किया गया क्योंकि उनको देखते निवेशकों को लालू राज की याद आ जाती है। मोदी ने कहा कि बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स मीट में आए हुए निवेशकों पर दबाव डालकर MOU हस्ताक्षर करवाया गया ताकि किसी तरह 50 हजार करोड़ का आंकड़ा पहुंचा जा सके। SIPB से जिनका प्रस्ताव पहले ही स्वीकृत हो चुका है, पहले से जो विस्तारीकरण में लगे हैं, उन सबको MOU में शामिल कर लिया गया है। लोगों पर दबाव बनाया गया कि निवेश करना हो या न करना हो परंतु कुछ भी भर दीजिए। मुश्किल से 5 हजार करोड़ के भी गंभीर प्रस्ताव नहीं है।

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सुशील मोदी ने कहा कि अदानी समूह को छोड़कर निवेशक सम्मेलन में टाटा, बिरला, अंबानी, मित्तल जैसा कोई बड़ा समूह नहीं आया। बिहार के ही वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल भी नहीं आए। बिहार के स्थानीय उद्योग संगठन की घोर उपेक्षा की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि 2011 और 2016 की औद्योगिक नीति के तहत निवेशकों का करीब 800 करोड़ बकाया है। इसकी वसूली के लिए निवेशकों को अवमानना का मुकदमा करना पड़ रहा है, तब भी भुगतान नहीं मिल रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम ने बियाड़ा में रद्द की गई 1500 इकाइयों को पुनः बहाल करने की भी मांग की।

उन्होंने कहा कि विदेशों से आए प्रतिनिधियों में दो प्रकार के लोग थे। एक तो वह लोग थे जो जाड़े में छुट्टियां मनाने बिहार आते हैं। दूसरा राजनयिक थे जो हर राज्य के बुलावे पर पहुंच जाते हैं। निवेशकों का भरोसा नीतीश, लालू, राहुल गांधी पर से समाप्त हो चुका है। भाजपा की सरकार बनेगी तभी गंभीर निवेशक बिहार आएंगे।

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