…ताकि ‘जॉली LLB’ वाला हाल न हो जाए, 10 पैमानों पर खरे उतरेंगे तभी बन पाएंगे दिल्ली में थानेदार
डीसीपी हेडक्वॉर्टर की तरफ से दो या ज्यादा लगातार बैच वाले इंस्पेक्टरों की लिस्ट वरिष्ठता के आधार पर जारी की जाएगी। इसे एसएचओ बनने योग्य सूची कहा जाएगा। सभी इंस्पेक्टरों को फोन और ई-मेल से लिस्ट साझा की जाएगी। तीन दिन के भीतर उन्हें एसएचओ बनने या नहीं बनने का जवाब देना होगा। अगर इस बार इंस्पेक्टर ने मना किया है तो छह महीने बाद वाली एलिजिबल लिस्ट में उसका नाम होगा और उससे फिर से पूछा जाएगा और रजामंदी देने पर उसे फाइनल लिस्ट में शामिल किया जाएगा।
इन इंस्पेक्टरों का स्क्रीनिंग कमिटी इंटरव्यू लेगी। इसमें स्पेशल सीपी एचआरडी, दोनों जोन के स्पेशल सीपी लॉ एंड ऑर्डर, स्पेशल सीपी विजिलेंस और स्पेशल सीपी इंटेलिजेंस होंगे। ये कमिटी दस पैरामीटर्स पर इंटरव्यू लेगी। इसकी विडियोग्राफी होगी, जिसे अगली स्क्रीनिंग प्रक्रिया तक सुरक्षित रखा जाएगा। सभी 70 फीसदी या उससे ज्यादा नंबर हासिल करने वाले इंस्पेक्टरों को सिलेक्ट लिस्ट पैनल में रखा जाएगा। इन्हीं में से एसएचओ की पोस्टिंग होगी। इसके खिलाफ अपील की जा सकती है, जिसे सीपी की कमिटी सुनेगी।
दस पैरामीटर पर परखे जाएंगे इंस्पेक्टर
एसएचओ बनने के लिए इंस्पेक्टरों को दस कसौटियों पर कसा जाएगा, जो कुल 125 नंबर के हैं। सबसे ज्यादा नंबर वरिष्ठता के हैं, जिसमें 1994 बैच वालों को 20, 1995 वालों को 15 तो 1996 या बाद वालों को 10 अंक मिलेंगे। पांच साल के एसीआर में आउटस्टैंडिंग के 10 और वेरी गुड के 6 अंक रखे गए हैं। पुलिस मेडल्स के अधिकतम 5 तो कम्युनिकेशन स्किल्स के अधिकतम 10 अंक हैं। थाने में एक साल तक इंस्पेक्टर रहने के 5 अंक मिलेंगे। स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, स्पेशल ब्रांच, जिले के साइबर थानों में एक साल इंस्पेक्टर रहने वालों को 5 अंक मिलेंगे।
इसी तरह अपियरेंस, फिटनेस और टर्नआउट के अधिकतम अंक 10, बतौर एसआई थाने, सीबीआई, ईडी, एनआईए और एक्साइज में रहने वालों को अधिकतम 10 अंक, प्रफेशनल-लीगल नॉलेज के साथ पुलिसिंग में काम आने वाली डिग्री के लिए अधिकतम 10 अंक रखे गए हैं। पांच साल के दौरान किसी तरह की बड़ी सजा वालों के 10 तो छोटी सजा वालों के 5 अंक काटे जाएंगे।