तहसीलदार ने तीस लोगों के मुआवजे का 82 लाख 78 हजार की राशि एक व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दी | Tehsildar transferred the amount of 82 lakh 78 thousand of compensatio | Patrika News
सरदारी लाल नारंग पुत्र मथुरा दास, मैनेजिंग पार्टनर दी भोपाल लैंड एंड फायनेंस कॉर्पोरेशन नूर महल के द्वारा ग्राम बावडिय़ाकला स्थित भूमि खसरा क्र 398, 402, 404 पर भूमि का डायवर्सन कराकर टीएनसीपी से नक्षा पास कराया था। जिस पर गणेश नगर कॉलोनी बसाई गई। सरदारी लाल की तरफ से कॉलोनी में प्लॉटों का विक्रय किया गया। उनकी मृत्यु के बाद अशोक नारंग ने बचे हुए प्लॉट बेचे। वर्ष 2005 में अशोक की मृत्यु के बाद इनके पुत्र अजय नारंग ने गणेश नगर कॉलोनी के प्लॉट बेचे।
इसी बीच मास्टर प्लान की 200 फीट की सड़क जो आशिमा कॉल से गणेश नगर होते हुए आशाराम होते हुए कटारा तक स्वीकृत हुई। इस सड़क में कॉलोनी के 30 प्लॉट आ गए। लेकिन इसका मुआवजा इन लोगों को न मिलकर अजय नारंग ने साठगांठ कर ले लिया।
1800 वर्ग फीट के 30 प्लॉट थे गण्ेाश नगर में जिन 30 लोगों के प्लॉट गए उनके नाम भारती देवी, जेपी शाह, कमल शाह, जेपी शाह, सीपी खोसला, राजपाल सूद, आशारानी, सोहन सिंह, कृष्णा तिवारी, इसरार अहमद खान, महबूब अहमद, फूलवती, लक्ष्मी देवी, कामिल शाह, नसीम फातिम, फूलवती, तिलक सुंदरी, जयप्रकाश वर्मा, फूलवती, कुसुम शर्मा, इंदूबाला निगम, बीर देव मिड्डा, मिथलेश कुमार अग्रवाल, वेद प्रकाश वर्मा, बीएस कृष्णा स्वामी, वेद प्रकाश वर्मा, सीपी खोसला, आशा मालवीय, फूलवती देवी, किफायत अली, अब्दुल शकूर, बीडी श्रीवास्तव, राधा कृष्णा, गिर्राज देव तिवारी है। इन सभी के पास 1800 वर्ग फीट प्लाट की रजिस्ट्री है।
एक जमीन की दो नोईयत नहीं हो सकती कॉलोनी काटने के बाद जमीन बी-1 खसरे में आ गई, लेकिन मिलीभगत कर जमीन को कृषि भूमि भी बनाए रखा, जो कि संभव नहीं होता। एक जमीन की दो नोईयत नहीं हो सकती। तीस लोगों का मुआवजा मिलीभगत से अजय नारंग को दे दिया। इसका खुलासा तहसीलदार के पत्र से होता है। इसकी जांच होनी चाहिए।
श्याम नाथ शर्मा, पीडि़त एवं शिकायतकर्ता मैं तो अब रिटायर्ड हो गया हूं मैं ओ तब रिटायर्ड हो गया हूं, ये मामला तो मुझे ध्यान भी नहीं आ रहा। अगर भू अर्जन का मामला है तो केस बनकर शाखा से आया होगा। मेरा काम तो रुपए ट्रांसफर करने का रहता है। अब उस समय क्या रिपोर्ट लगी होगी, इसके बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सीपी निगम, तत्कालीन तहसीलदार टीटी नगर तैनाती वर्ष 17.7.2009 से 11.1.2011 —————————————————–
वर्जन
अगर सड़क में गए प्लॉटों के मुआवजे में किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई तो इस मामले की जांच कराई जाएगी। सही पाए जाने पर मुआवजा राशि वापस कराई जाएगी।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर
वर्जन इन लोगों ने मेरी पुलिस में की है, कोर्ट में कर रखी है। मुझे जहां जवाब देना है दे चुका हूं, मुआवजा मांगने मैं नहीं गया था। जिसकी जमीन थी उसे मिल गया।
अजय नारंग,
सरदारी लाल नारंग पुत्र मथुरा दास, मैनेजिंग पार्टनर दी भोपाल लैंड एंड फायनेंस कॉर्पोरेशन नूर महल के द्वारा ग्राम बावडिय़ाकला स्थित भूमि खसरा क्र 398, 402, 404 पर भूमि का डायवर्सन कराकर टीएनसीपी से नक्षा पास कराया था। जिस पर गणेश नगर कॉलोनी बसाई गई। सरदारी लाल की तरफ से कॉलोनी में प्लॉटों का विक्रय किया गया। उनकी मृत्यु के बाद अशोक नारंग ने बचे हुए प्लॉट बेचे। वर्ष 2005 में अशोक की मृत्यु के बाद इनके पुत्र अजय नारंग ने गणेश नगर कॉलोनी के प्लॉट बेचे।
इसी बीच मास्टर प्लान की 200 फीट की सड़क जो आशिमा कॉल से गणेश नगर होते हुए आशाराम होते हुए कटारा तक स्वीकृत हुई। इस सड़क में कॉलोनी के 30 प्लॉट आ गए। लेकिन इसका मुआवजा इन लोगों को न मिलकर अजय नारंग ने साठगांठ कर ले लिया।
1800 वर्ग फीट के 30 प्लॉट थे गण्ेाश नगर में जिन 30 लोगों के प्लॉट गए उनके नाम भारती देवी, जेपी शाह, कमल शाह, जेपी शाह, सीपी खोसला, राजपाल सूद, आशारानी, सोहन सिंह, कृष्णा तिवारी, इसरार अहमद खान, महबूब अहमद, फूलवती, लक्ष्मी देवी, कामिल शाह, नसीम फातिम, फूलवती, तिलक सुंदरी, जयप्रकाश वर्मा, फूलवती, कुसुम शर्मा, इंदूबाला निगम, बीर देव मिड्डा, मिथलेश कुमार अग्रवाल, वेद प्रकाश वर्मा, बीएस कृष्णा स्वामी, वेद प्रकाश वर्मा, सीपी खोसला, आशा मालवीय, फूलवती देवी, किफायत अली, अब्दुल शकूर, बीडी श्रीवास्तव, राधा कृष्णा, गिर्राज देव तिवारी है। इन सभी के पास 1800 वर्ग फीट प्लाट की रजिस्ट्री है।
एक जमीन की दो नोईयत नहीं हो सकती कॉलोनी काटने के बाद जमीन बी-1 खसरे में आ गई, लेकिन मिलीभगत कर जमीन को कृषि भूमि भी बनाए रखा, जो कि संभव नहीं होता। एक जमीन की दो नोईयत नहीं हो सकती। तीस लोगों का मुआवजा मिलीभगत से अजय नारंग को दे दिया। इसका खुलासा तहसीलदार के पत्र से होता है। इसकी जांच होनी चाहिए।
श्याम नाथ शर्मा, पीडि़त एवं शिकायतकर्ता मैं तो अब रिटायर्ड हो गया हूं मैं ओ तब रिटायर्ड हो गया हूं, ये मामला तो मुझे ध्यान भी नहीं आ रहा। अगर भू अर्जन का मामला है तो केस बनकर शाखा से आया होगा। मेरा काम तो रुपए ट्रांसफर करने का रहता है। अब उस समय क्या रिपोर्ट लगी होगी, इसके बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सीपी निगम, तत्कालीन तहसीलदार टीटी नगर तैनाती वर्ष 17.7.2009 से 11.1.2011 —————————————————–
वर्जन
अगर सड़क में गए प्लॉटों के मुआवजे में किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई तो इस मामले की जांच कराई जाएगी। सही पाए जाने पर मुआवजा राशि वापस कराई जाएगी।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर
वर्जन इन लोगों ने मेरी पुलिस में की है, कोर्ट में कर रखी है। मुझे जहां जवाब देना है दे चुका हूं, मुआवजा मांगने मैं नहीं गया था। जिसकी जमीन थी उसे मिल गया।
अजय नारंग,