डाक्टरों व मेडिकल स्टोर के कमीशन के खेल में उजड़ रहे गरीबों के परिवार, बस चक्कर लगाते रहे मंत्री साहब | Doctors and Medical Stores working on Commission patients Fed up | Patrika News h3>
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लंबे समय से मरीजों के इलाज के नाम पर लंबा गोरखधंधा चल रहा है। इस काम में डॉक्टरों से लेकर कर्मचारी तक शामिल है। प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के सख्त निर्देश हैं कि अस्पताल आने वाले मरीजों को बाहर की दवा न लिखी जाए आवश्यकता पड़ने पर अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्र की ही दवा लिखी जाए। इसके बाद भी इमरजेंसी व ओपीडी में डॉक्टरों के द्वारा मरीजों को बाहर से महंगी दवा व इंजेक्शन लिखे जा रहे हैं। अस्पताल सूत्रों की माने तो डॉक्टरों व मेडिकल स्टोर संचालकों के बीच कमीशन का लंबा खेल चल रहा है। डॉक्टरों के द्वारा इस तरह दवा लिखी जाती है कि उसे मेडिकल स्टोर संचालकों व डॉक्टरों के अलावा और कोई नहीं पढ सकता है। जिला अस्पताल के सीएमएस को भी इस गोरखधंधे के बारे में सब जानकारी है लेकिन वह भी मूकदर्शक बने हुए हैं और मरीज व तीमारदार महंगी दवायें खरीदने को मजबूर हो रहे हैं।
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ऐसे लूट रहे मरीज 70 वर्षीय राधा कृष्ण जिनके परिवार में कोई भी नहीं है वह भरथना क्षेत्र के नगला चुन्नी में अपनी बहन शांति देवी के पास रहते हैं। मंगलवार की शाम सॉस में दिक्कत होने पर इमरजेंसी में पहुंचे थे। यहां पर उनसे इंजेक्शन के नाम पर 400 रुपये और शुगर की जांच के नाम पर 20 लिये गए थे। इसके बाद उन्हें जिरियाट्रिक वार्ड में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के द्वारा अन्य कई जांच भी लिखी गई थी जो जांचे बेड पर ही होनी चाहिए थी उसके लिए भी मरीज की बहन को भटकना पड़ा था। दूसरी मंजिल से शांति देवी व्हील चेयर पर राधा कृष्ण को बैठाकर जांच कराने पहुंची थी। शांति देवी ने रुपए लेने वाले स्टाफ को भी पहचान लिया था। उनका कहना है कि वह काफी गरीब है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
क्या कहते हैं जिम्मेदार सीएमओ डा. भगवान दास ने कहा कि शासन के सख्त निर्देश है कि मरीजों को बाहर की कोई दवा ना लिखी जाए। इसके लिए सीएमएस को पहले भी कई बार पत्र लिखे गए है। अगर मरीजों से बाहर की दवा मंगाई जा रही है तो वह इस मामले में जानकारी करेंगे और सीएमएस को दोबारा पत्र लिखकर इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने को कहेंगे। जिला अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवाएं है और जिरयाट्रिक मरीजों का सभी इलाज पूरी तरह से निशुल्क है। डॉक्टरों को बाहर की दवा नहीं लिखनी चाहिए।
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जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लंबे समय से मरीजों के इलाज के नाम पर लंबा गोरखधंधा चल रहा है। इस काम में डॉक्टरों से लेकर कर्मचारी तक शामिल है। प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के सख्त निर्देश हैं कि अस्पताल आने वाले मरीजों को बाहर की दवा न लिखी जाए आवश्यकता पड़ने पर अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्र की ही दवा लिखी जाए। इसके बाद भी इमरजेंसी व ओपीडी में डॉक्टरों के द्वारा मरीजों को बाहर से महंगी दवा व इंजेक्शन लिखे जा रहे हैं। अस्पताल सूत्रों की माने तो डॉक्टरों व मेडिकल स्टोर संचालकों के बीच कमीशन का लंबा खेल चल रहा है। डॉक्टरों के द्वारा इस तरह दवा लिखी जाती है कि उसे मेडिकल स्टोर संचालकों व डॉक्टरों के अलावा और कोई नहीं पढ सकता है। जिला अस्पताल के सीएमएस को भी इस गोरखधंधे के बारे में सब जानकारी है लेकिन वह भी मूकदर्शक बने हुए हैं और मरीज व तीमारदार महंगी दवायें खरीदने को मजबूर हो रहे हैं।
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