ट्रामा में गर्भवती महिलाएं जमीन पर लेटने को मजबूर, इधर खाली पड़ा करोड़ों का भवन | Pregnant women forced to lie on the ground in trauma | Patrika News

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ट्रामा में गर्भवती महिलाएं जमीन पर लेटने को मजबूर, इधर खाली पड़ा करोड़ों का भवन | Pregnant women forced to lie on the ground in trauma | Patrika News

ट्रामा में गर्भवती महिलाएं जमीन पर लेटने को मजबूर, इधर खाली पड़ा करोड़ों का भवन | Pregnant women forced to lie on the ground in trauma | Patrika News

भोपालPublished: Jun 24, 2023 09:21:03 pm

जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में गर्भवती महिलाओं के हालात इस कदर है कि दो महिलाओं को एक पलंग पर लेटना पड़ रहा है। इतना ही नहीं कई महिलाएं पलंग के अभाव में जमीन पर लेटी नजर आती है।

गर्भवती महिलाओं को प्रसव के पूर्व फर्श पर लेटना पड़ रहा

pregnant women have to lie on the floor before delivery

बैतूल। जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में गर्भवती महिलाओं के हालात इस कदर है कि दो महिलाओं को एक पलंग पर लेटना पड़ रहा है। इतना ही नहीं कई महिलाएं पलंग के अभाव में जमीन पर लेटी नजर आती है। पत्रिका ने जब ट्रामा सेंटर में मौजूद मेटरनिटी वार्ड की पड़ताल की तो यहां हालात बेहद खराब थे। एक बेड पर दो गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया गया है। वहीं कुछ गर्भवती महिलाएं जमीन पर लेटी हुई थी। वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल में ही करोड़ों रुपए की लागत से बना नया भवन फीता काटने के बाद से ही शोपीस बना हुआ है। अभी तक इस भवन में महिलाओं के प्रसव और बच्चों के इलाज को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मुख्यमंत्री से आनन-फानन में फीता कटवाकर लगभग दो महीने पहले शुभारंभ भी करवा दिया गया।
बेडो को हुआ बंटवारा
जिला अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में बेड तक उपलब्ध नहीं है। प्रसव के पूर्व गर्भवती महिलाओं को मेटरनिटी वार्ड में रखा जाता हैं लेकिन यहां बेड के अभाव में दो महिलाओं को एक बेड आवंटित कर दिया गया है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं आपसी समन्वय से बेड का इस्तेमाल कर रही है। ग्राम राठीपुर से आई गर्भवती महिला छाया करारे के परिजनों ने बताया कि वे शुक्रवार को भर्ती हुए हैं उन्हें बेड दिया गया हैं, लेकिन यहीं बेड एक अन्य महिला को भी मौखिक तौर पर आवंटित कर दिया गया हैं। ऐसे में जब एक महिला बेड पर लेटती हैं तो दूसरे को जमीन पर लेटना पड़ता हैं। मेटरिटी वार्ड में कुल 65 महिलाएं भर्ती बताई जाती हैं जबकि बेडो की संख्या महज 50 के लगभग हैं।
सुविधा नहीं होने से परिजनों भी परेशान
जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण परिजन भी खासे परेशान हैं। परिजनों का कहना था कि वार्ड में महिलाओं के लिए महज एक कूलर ही लगाया गया हैं। गर्मी के मारे बुरा हाल हैं। पंखे चल रहे हैं, लेकिन गर्म हवा फेकते हैं। वार्ड के अंदर ही महिलाओं की काफी भीड़ लगी रहती है। जिसके कारण काफी दिक्कतें आती है। स्टाफ भी देखने के लिए समय पर नहीं आता है। प्रसव के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। कोई सुनने वाला भी नहीं है।
जल्दबाजी में कर दिया नए भवन का उद्घाटन
वाहवाही लूटने के चक्कर में जल्दबाजी में अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री से करा दिया गया। पीआईयू ने बिल्डिंग भी जिला अस्पताल को हैंडओवर कर दी। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नई बिल्डिंग को शुरू किया जाना अभी संभव नहीं है, हमनें शासन को मानव संसाधान के लिए चतुर्थ श्रेणी के 40कर्मचारियों की भर्ती के लिए पत्र लिखा है। अस्पताल में अभी ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम और एसएनसीयू बनाया जाना है। नए बेड और फर्नीचर की आवश्यकता भी लगेगी। जब तक यह नहीं मिलता बिल्डिंग को शुरू नहंीं किया जा सका है।
जिला का भार अस्पताल पर
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए अस्पताल प्रशासन ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव सुविधा केंद्र बनाए हैं, लेकिन इन केंद्रों पर प्रसव की स्थिति नगण्य है, क्योंकि यहां आने वाली महिलाओं को जटिल समस्या बताकर जिला अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। सिजेरियन डिलेवरी की सुविधा सिर्फ जिला अस्पताल में मौजूद हैं इसलिए भी यहां गर्भवती महिलाओं को रैफर कर किया जाता है। जबकि कलेक्टर स्वयं कई बार बैठकों में यह निर्देश दे चुके हैं कि रैफर की जाने वाली गर्भवती महिलाओं के बारे में पूरी डिटेल दी जाना जरूरी हैं। साथ ही कारण भी बताना होगा कि किस वजह से महिला को रैफर किया गया हैं, लेकिन इसका कोई पालन नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।

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