टेलिकॉम सेक्टर में टूटेगा चीन का दबदबा, भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई उड़ान देगा ORAN

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टेलिकॉम सेक्टर में टूटेगा चीन का दबदबा, भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई उड़ान देगा ORAN

टेलिकॉम सेक्टर में टूटेगा चीन का दबदबा, भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई उड़ान देगा ORAN

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अमेरिका दौरे में कई बिजनस डील की हैं। भारत और अमेरिका टेलिकॉम सेक्टर में चीन के दबदबे को तोड़ना चाहते हैं। इसके लिए ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ORAN) को सबसे अहम माना जा रहा है। इसका मकसद सेल्युलर नेटवर्क में इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को इंटरऑपरेट की सुविधा देना है, चाहे वेंडर कोई भी हो। कई देशों में इस पर काम हो रहा है। इससे भारत और अमेरिका जैसे देशों को मिलकर मल्टी-वेंडर नेक्स्ट जेनरेशन टेलिकॉम सॉल्यूशन विकसित करने में मदद मिल सकती है। इससे दोनों देशों की कंपनियों को फायदा होगा। अभी 4जी, 5जी और 6जी टेक्नोलॉजी में चीन और कुछ यूरोपीय देशों का दबदबा है।

भारत ORAN मॉडल के के तहत टेलिकॉम सॉल्यूशन के लिए एक अलग अप्रोच लेकर चल रहा है। इसके तहत अलग-अलग कंपनियां कॉम्प्लेक्स, इंटिग्रेटेड नेटवर्क्स बनाती हैं। भारत और अमेरिका के बीच हाई लेवल मीटिंग्स में ORAN पर चर्चा हो चुकी है। हाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अमेरिका के जैक सुलीवन के बीच हुई बैठक में भी यह मामला उठा था। साथ ही क्वाड की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई थी। चीन के टेलिकॉम कंपनियों को कई देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। इसलिए टेलिकॉम सेक्टर में चीन की बादशाहत को तोड़न के लिए कई देश सक्रियता दिखा रहे हैं।

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क्या है प्लान

सिस्को (Cisco) जैसी अमेरिका की कई कंपनियों ने 4जी और 5जी सॉल्यूशन के रोलआउट और 6जी के विकास में भारतीय कंपनियों के साथ काम करने की इच्छा जताई है। जनवरी में भारत और अमेरिका के बीच लॉन्च क्रिटिकल एंड एमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) की प्राथमिकता लिस्ट में भी इसे जगह मिली है। इसका मकसद एआई, टेलिकॉम, ORAN, स्पेस, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर्स जैसे सेक्टर्स में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। भारत को ORAN के तहत कुछ शुरुआती फायदा मिला है। इसके लिए देसी कंपनियों ने एक कंसोर्टियम बनाया है। इसने 4जी और 5जी सॉल्यूशंस के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही देश में अपना टेलिकॉम स्टैक बनाने की भी कोशिश की जा रही है। इससे भारत को Huawei, ZTE, Nokia और Ericsson जैसी कंपनियों के दबदबे को तोड़ने में मदद मिलेगी। भारत सरकार का मानना है कि भारत की सस्ती और सुरक्षित टेक्नोलॉजी दुनिया की उभरती इकॉनमीज और अमेरिका जैसे बड़े देशों के लिए आकर्षक हो सकती है।

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