जेपी नड्डा की टीम में क्यों कम हो गई मध्यप्रदेश के नेताओं की हिस्सेदारी?

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जेपी नड्डा की टीम में क्यों कम हो गई मध्यप्रदेश के नेताओं की हिस्सेदारी?

जेपी नड्डा की टीम में क्यों कम हो गई मध्यप्रदेश के नेताओं की हिस्सेदारी?

भोपाल: एमपी बीजेपी (MP Election News) के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने चौथी बार राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। विजयवर्गीय के पास पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से कोई जिम्मेदारी नहीं थी। लोकसभा चुनाव में अब 10 महीने का वक्त बचा है। इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 13 पार्टी उपाध्यक्षों और आठ महासचिवों की नई टीम की घोषणा की है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कैलाश विजयवर्गीय को पहली बार 2015 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस पद पर नियुक्त किया था। विजयवर्गीय के अलावा इस बार नड्डा की टीम में एमपी से दो लोग हैं।

पूर्व आरएसएस प्रचारक सौदान सिंह और आदिवासी नेता ओम प्रकाश धुर्वे हैं, जिन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव के पद पर बरकरार रखा गया है। मंदसौर से लोकसभा सांसद सुधीर गुप्ता को पार्टी कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। दो बार के सांसद और आरएसएस कार्यकर्ता, गुप्ता को हटाने से कई लोगों को आश्चर्य हुआ है क्योंकि उन्होंने ही 2017 में पुलिस गोलीबारी में मंदसौर के पांच किसानों की मौत के बाद हुए नुकसान को संभाला था।

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वहीं, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में चार महीने से भी कम का वक्त बचा है। केंद्र में नई टीम के गठन के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य का केंद्रीय संगठन में वजूद कम हो रहा है।

एमपी के नेताओं की भूमिका हो गई कम?

जेपी नड्डा की टीम में एमपी से सिर्फ तीन नेताओं को जगह मिली है। एक समय में केंद्रीय संगठन में एमपी का दबदबा रहता था। साथ ही पार्टी के लिए एमपी आदर्श राज्य था। इसने बीजेपी को अटल बिहारी वाजपेयी, विजयाराजे सिंधिया, कुशाभाऊ ठाकरे और प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे दिग्गज लोग दिए हैं। इस बार मध्यप्रदेश को सिर्फ तीन पद ही मिले हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश को तीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मिले हैं। इनमें सांसद रेखा वर्मा, लक्ष्मीकांत वाजपेयी और विधानस परिषद सदस्य तारिक मंसूर हैं। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव के रूप में सांसद अरुण सिंह और राधामोहन अग्रवाल हैं। एक राष्ट्रीय सचिव सांसद सुरेंद्र सिंह नागर और कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल भी वहीं से हैं। यहां तक की छत्तीसगढ़ से भी तीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, जिसमें पूर्व सीएम रमन सिंह, सांसद सरोज पंडे और लता उसेंडी हैं।
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विजयवर्गीय के पास नहीं थी कोई जिम्मेदारी

वहीं, ऐसा लगता है कि केंद्रीय टीम में एमपी बीजेपी के नेताओं की भागीदारी कम कर दी गई है। 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से विजयवर्गीय बिना किसी बड़ी जिम्मेदारी के हैं। वह फरवरी 2016 से बंगाल में पार्टी प्रभारी थे। यह सर्वविदित है कि विजयवर्गीय अमित शाह और जेपी नड्डा होनों के करीबी हैं। लेकिन बीजेपी की राष्ट्रीय टीम में उनकी अहमियत इस बात पर निर्भर करेगी कि भविष्य में पार्टी उन्हें किस तरह की जिम्मेदारी देती है।
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वहीं, सौदान सिंह विदिशा के रहने वाले हैं और आरएसएस के साथ लंबे समय से जुड़े रहने के कारण वह हमेशा एक संगठनात्मक व्यक्ति रहे हैं। वह लगभग दो दशकों तक छत्तीसगढ़ में पार्टी मामलों के प्रभारी रहे लेकिन कभी भी मध्यप्रदेश के राजनीतिक क्षेत्र में नहीं रहे। पिछले साल अगस्त में नड्डा ने उन्हें हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया था। हालांकि पार्टी विधानसभा चुनाव हार गई लेकिन नड्डा ने उन पर भरोसा बरकरार रखा है।

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वहीं, धुर्वे 2018 में डिडोंरी के शाहपुरा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन उन्हेंन आदिवासी चेहरे के रूप में राष्ट्रीय टीम में बरकारर रखा है। वह डिंडोरी जिले के एक आदिवासी समुदाय से आते हैं।

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