जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी से एंट्री मारेंगे निशांत? नीतीश के बेटे को राजनीति में लाने की मांग बढ़ रही है

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जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी से एंट्री मारेंगे निशांत? नीतीश के बेटे को राजनीति में लाने की मांग बढ़ रही है

जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी से एंट्री मारेंगे निशांत? नीतीश के बेटे को राजनीति में लाने की मांग बढ़ रही है

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बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के बेटे निशांत की राजनीति में एंट्री को लेकर चर्चा तेज है। कयास लगाए जा रहे हैं कि 29 जून को नई दिल्ली में होने वाली जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। जेडीयू नेता एवं राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने बिहार को युवा नेतृत्व की जरूरत बताते हुए निशांत कुमार को राजनीति में उतारने की मांग की है। इससे पहले इससे पहले जेडीयू के प्रदेश महासचिव राणा रणधीर सिंह ने भी सीएम नीतीश के बेटे को पॉलिटिक्स में लाने की मांग की थी।

जेडीयू नेता विद्यानंद विकल ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि बदलते राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बिहार को एक युवा नेतृत्व चाहिए। निशांत कुमार में युवा नेतृत्व के सारे गुण मौजूद हैं। जेडीयू के कई प्रदेश स्तरीय नेताओं के भी ऐसे ही विचार हैं। विकल ने कहा कि उनके मुताबिक निशांत कुमार को राजनीति में सक्रिय होने के लिए खुद पहल करनी चाहिए।

नीतीश ने फिर बुलाई जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, 29 जून को क्या होगा?

दूसरी ओर, जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने 29 जून को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। सियासी जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कई तरह के जरूरी फैसले लिए जाते हैं। करीब 6 महीने पहले भी जेडीयू ने इसी तरह की बैठक बुलाई थी, जिसमें ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली थी।

माना जा रहा है कि इस महीने होने वाली जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी सीएम नीतीश कुमार बड़ा फैसला ले सकते हैं। पार्टी के अंदर जिस तरह से निशांत को सक्रिय राजनीति में लाने की बातें हो रही हैं, उससे जेडीयू की दिल्ली मीटिंग पर सबकी नजरें रहेंगी।

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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक वंशवादी राजनीति के विरोधी रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान भी उन्होंने कई मौकों पर परिवारवाद पर हमला बोलते हुए आरजेडी एवं कांग्रेस को घेरा था। अपने भाषणों में सीएम ने यह भी जिक्र किया था कि वह अपने बेटे को कभी राजनीति में नहीं लेकर आए। मगर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने सिर्फ अपनी पत्नी, बेटों और बेटियों को ही आगे बढ़ाया।

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