जिला को 2030 तक मलेरियामुक्त बनाने की कवायद शुरू

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जिला को 2030 तक मलेरियामुक्त बनाने की कवायद शुरू

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जिला को 2030 तक मलेरियामुक्त बनाने की कवायद शुरू

विश्व मलेरिया दिवस :

गांवों में लोगों को किया जाएगा जागरूक

टाइम टू डिलीवर जीरो मलेरिया : इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट थीम है इस वर्ष

बिहारशरीफ, निज संवाददाता।

जिला को 2030 तक मलेरियामुक्त बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसके लिए गांवों में लोगों को जागरूक किया जाएगा। विश्व मलेरिया दिवस मौके पर 25 अप्रैल को विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस वर्ष का थीम टाइम टू डिलीवर जीरो मलेरिया : इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट रखा गया है। इसके लिए जिला मुख्यालय से लेकर प्रखण्ड स्तर व गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चलेगा।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्री पदाधिकारी डॉ. राममोहन सहाय ने बताया कि मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है। इसकी गिरफ्त में कोई भी आ सकता है। इसमें कंपकंपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता है। कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है। यह बुखार आते-जाते रहता है। फेलसीपेरम मलेरिया (दिमारी मलेरिया) होने पर और तेज बुखार होता है। खून की कमी हो जाती है। इसमें बुखार दिमाग पर चढ़ जाता है। फेफड़े में सूजन हो जाती है। पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है। इसके जांच व इलाज की व्यवस्था सभी अस्पतालों में है। मलेरिया बीमारी फैलाने वाला मच्छर किसी स्थान पर ठहरे हुए साफ पानी और धीमी गति से बहने वाली नालियों में अंडे देती है। जहां वे पनपते हैं।

आशा को जांच कराने पर 15 रुपए प्रति रोगी मिलेगी प्रोत्साहन राशि :

आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर मलेरिया के संदिग्ध मरीजों की आरडीटी किट से जांच कर रही हैं। प्रति जांच उन्हें 15 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जबकि, रोगी मिलने पर उसका इलाज कराने पर 75 रुपये प्रति मरीज अलग से प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

मलेरिया से बचने के लिए बरतें सावधानी :

कुछ बातों का ध्यान में रखकर हम आसानी से मलेरिया बीमारी से बच सकते हैं। पूरे बदन को ढंकने वाले कपड़े पहनें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। घरों के आसपास जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें। जलजमाव वाले स्थानों पर केरोसिन तेल या डीजल डालें। नालों की सफाई करते रहें। मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में डीडीटी का छिड़काव कराया जाता है। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों को पूरा सहयोग करें।

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