जानिए लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा? कैसे हुई इसकी शुरुआत

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नई दिल्लीः दिल्ली का लाल किला ना सिर्फ भारतीय अस्मिता का प्रतीक है बल्कि यह किला इतिहास की कई घटनाओं का साक्षी भी रहा है, जिसने भारत को पूरी तरह से बदलकर रख दिया. मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद लाल किला चर्चा में आ गया है. दरअसल किसान आंदोलन के दौरान कुछ उपद्रवियों ने लाल किले में घुसकर आतंक मचाया और वहां अपना झंडा फहरा दिया. बता दें कि हर गणतंत्र दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराते हैं. लाल किला सिर्फ एक किला ना होकर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है. यही वजह है कि इसे यूनेस्को ने साल 2007 में अपनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया था. क्या आप लाल किले का इतिहास जानते हैं? नहीं तो आइए जानते हैं लाल किले की कुछ रोचक बातें और इसका इतिहास-

लालकिले का इतिहास
मुगल बादशाह शाहजहां ने लाल किले का निर्माण कराया. दरअसल उस वक्त मुगलों की राजधानी आगरा थी लेकिन शाहजहां ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाने का फैसला किया. इसी के चलते शाहजहां ने दिल्ली में लाल किले का निर्माण कराया. साल 1638 में लालकिले की नींव पड़ी. करीब 10 सालों की कड़ी मेहनत के बाद लाल किले का निर्माण पूरा हुआ. 

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक लाल किले का कुछ हिस्सा सफेद था लेकिन जब इस सफेद हिस्से की चमक फीकी पड़ने लगी तो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान लाल किले को लाल रंग में रंग दिया था. किले को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसकी दीवारों को काफी ऊंचा बनाया गया था.

मुगल दौर के ढलान पर लाल किले का कम हो गया था रुतबा
शाहजहां और औरंगजेब के कार्यकाल में लालकिले का रुतबा चरम पर रहा लेकिन जब मुगल दौर ढलान पर आ गया तो लाल किले का रुतबा भी कम हो गया था. दरअसल इसकी वजह ये थी कि लाल किले के रखरखाव के लिए काफी पैसा लगता था. जिसके चलते करीब 30 साल तक लाल किला बेरुखी का शिकार रहा. 

साल 1739 में फारस के शासक नादिर शाह ने मुगलों को हराकर लाल किले को लूट लिया था. इसके बाद भी मुगल बादशाह लाल किले में रहते रहे लेकिन तब तक लाल किला अपना वैभव लगभग खो चुका था. करीब 200 साल तक मुगलों के प्रभाव में रहने के बाद लाल किले ने अंग्रेजों का शासन भी देखा. 

भारत की राजनीति का रहा केन्द्र बिंदु
साल 1857 में हुए गदर की तैयारी में लाल किले का अहम किरदार रहा. उस वक्त अंग्रेजों के खिलाफ उठी विद्रोह की चिंगारी को आग बनाने में लाल किले की अहम भूमिका रही. मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में लाल किला राजनीति का केन्द्र बना रहा. हालांकि इस गदर के असफल होते ही अंग्रेजों ने आखिरी मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को कैद करके रंगून भेज दिया और लाल किला पूरी तरह से अंग्रेजों के कब्जे में आ गया. जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए तो अंग्रेज भी यहां से कई कीमती चीजें जिसमें कोहिनूर हीरा समेत कई कीमती चीजें थीं. यहां तक कि किले का फर्नीचर तभी अंग्रेज अपने साथ ब्रिटेन ले गए. 

लालकिले पर ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा
आजादी के बाद लाल किले से ब्रिटिश झंडा उतारकर तिरंगा फहराया गया. जिसे एक बार फिर लाल किले को सत्ता के केन्द्र के रूप में स्थापित करने के तौर पर देखा गया. राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है. यही वजह है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया. उसके बाद से प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं. 

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