जातीय सर्वे का चौका और आरक्षण का छक्का मारकर भी कैसे हिट विकेट हो गए नीतीश कुमार!

7
जातीय सर्वे का चौका और आरक्षण का छक्का मारकर भी कैसे हिट विकेट हो गए नीतीश कुमार!

जातीय सर्वे का चौका और आरक्षण का छक्का मारकर भी कैसे हिट विकेट हो गए नीतीश कुमार!

हिट विकेट। यानी क्रिकेट में बल्लेबाज के ही बल्ले से जब विकेट गिर जाए और वो आउट हो जाए। ऐसा ही हुआ है बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार के साथ। जातीय गणना सर्वे रिपोर्ट के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों से चौका और उसके आधार पर जातीय आरक्षण बढ़ाने का छक्का मारने के बाद विवादित बयानों की वजह से पांच दिन चले विधान मंडल सत्र में नीतीश सरकार हिट विकेट हो गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हिन्दुत्व की काट खोज रहे इंडिया गठबंधन की तीन प्रमुख पार्टियां जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस जिस जातीय सर्वे रिपोर्ट और आरक्षण बढ़ाने को राजनीतिक हथियार बनाकर लहराती नजर आ सकती हैं, उसे पूरी तरह भुनाने का मौका सीएम के बयानों ने हेडलाइन बनकर गंवा दिया।

पांच दिन के विधान मंडल सत्र की शुरुआत हुई 6 नवंबर को। उस दिन सरकार ने 26086 करोड़ का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया। अगले दिन मंगलवार को सरकार के लिए बड़ा दिन था। सरकार ने जातीय गणना से मिले सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों को सदन में रखा। किस जाति के पास कितनी जमीन, कितना घर, कितनी नौकरी, कितनी गाड़ी, इस तरह के डेटा सामने आए। नीतीश ने कहा कि आबादी और पिछड़ापन के आधार पर 75 परसेंट आरक्षण होना चाहिए। हेडलाइन बने, एनालिसिस शुरू हुए थे। ये सब रफ्तार पकड़ ही रहा था कि विधानसभा में बोलते हुए नीतीश ने पहला सेल्फ गोल मार लिया।

बिहार आरक्षण विधेयक विधान परिषद से भी पास, रिजर्वेशन कोटा 75 परसेंट करने का है प्रस्ताव

नीतीश ने महिलाओं के शिक्षित होने के महत्व पर रोशनी डालते हुए लड़कियों को स्कूल लाने और कॉलेज तक पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने वाली अपनी योजनाओं की याद दिलाई। फिर वो राज्य में जनसंख्या वृद्धि की दर में आई कमी और उसे लड़कियों की साक्षरता दर बढ़ने से जोड़कर विस्तार से यह बताने लगे कि यौन संबंध बनाने के समय शिक्षित महिलाएं कैसे गर्भवती और मां बनने से बच सकती हैं। नीतीश जो कहना चाहते थे, उसमें दिक्कत किसी को नहीं थी। लेकिन यौन संबंध बनाने की प्रक्रिया को जिस तरीके से उन्होंने डिटेल में समझाया, उससे भाजपा को बैठे-बिठाए उन्हें महिला विरोधी बताने का मौका मिल गया।

मैं खुद अपनी निंदा करता हूं; सीएम नीतीश ने जनसंख्या नियंत्रण पर विवादित बयान के लिए माफी मांगी

सीएम का सूचना तंत्र फौरन फीडबैक देने में नाकाम रहा और नीतीश विधानसभा में कही बात को विधान परिषद में भी दोहरा आए। बवाल शुरू हो गया। बीजेपी की विधान पार्षद निवेदिता सिंह रोते हुए मीडिया से कहने लगीं कि सदन के इतिहास में यह काला दिन दर्ज हो गया है। निवेदिता सिंह ने कहा कि इस सदन में कानून बनता है, सेक्स एजुकेशन का क्लास नहीं चलता। सदन तो उस दिन के लिए स्थगित हो गया लेकिन अगली सुबह तक खबरों में जातीय गणना के जारी डेटा के बदले महिला अपमान और उस पर देश भर से नेताओं की तमाम प्रतिक्रिया की खबरें बनती रहीं।

ना नीतीश जयललिता हैं, ना मोदी नरसिम्हा राव; बिहार में 75% आरक्षण लागू करने में कितनी बाधा?

कैबिनेट से आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 परसेंट करने का फैसले भी उसी शाम हो गया लेकिन राहत नहीं मिली। नीतीश के बयान और उसकी आलोचना की खबरें मजबूती के साथ हेडलाइन में चलती रहीं। नीतीश ने मंगलवार को कही बात के लिए बुधवार की सुबह-सुबह पहले मीडिया के सामने महिलाओं से माफी मांगी। फिर सदन में कहा कि वो खुद अपनी निंदा करते हैं और माफी मांगते हैं। लेकिन बीजेपी और दूसरे विपक्षी नेता इस्तीफे की मांग पर अड़ गए।

जनसंख्या नियंत्रण समझा रहे नीतीश ने कह दी अनियंत्रित बात, बीजेपी बोली- दिमाग में घुसा एडल्ट का कीड़ा

तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन के नेताओं ने नीतीश का बचाव भी किया कि आबादी रोकने के उपायों पर बात होनी चाहिए और इस बात के लिए नीतीश की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने इस मसले को सदन में उठाया। लेकिन बात मुद्दे की नहीं, तरीके की थी जिसको लेकर आग भड़क चुकी थी। बीजेपी की महिला नेताओं ने खास तौर पर बयानों की झड़ी लगा दी। किसी ने इस्तीफा मांग लिया तो किसी ने इलाज कराने की सलाह दे दी। राष्ट्रीय महिला आयोग भी कूद पड़ा।

क्या लालू-राबड़ी बच्चों के साथ नीतीश का सेक्स एजुकेशन वीडियो सुनेंगे? सुशील मोदी बोले- चुनाव में सजा देंगी महिलाएं

बीजेपी इस मुद्दे को इस तरह उठाने लगी मानो वो ऐसे किसी मौके के इंतजार में थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीजेपी के हमले को धार देते हुए मध्य प्रदेश की एक चुनावी रैली में बिना नाम लिए नीतीश के बयान के बहाने इंडिया गठबंधन पर हमला बोल दिया। हाल ये है कि शुक्रवार को भी बीजेपी वाले नीतीश के पुतले जला रहे हैं। 

फिर आया गुरुवार। बिहार में पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का नौकरी और सरकारी शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पेश हुआ। सरकार ने प्रस्ताव रखा कि ओबीसी आरक्षण 18 का 18, ईबीसी आरक्षण 12 से बढ़ाकर 25, एससी आरक्षण 16 से बढ़ाकर 20 और एसटी आरक्षण 1 से बढ़ाकर 2 प्रतिशत कर दिया जाए। ईडब्ल्यूएस का 10 फीसदी आरक्षण जारी रखा जाए। पहले से चल रहा पिछड़ी महिला का 3 परसेंट आरक्षण खत्म कर दिया जाए। इस पर बहस चल रही थी।

मेरी मूर्खता से सीएम बन गए; जीतनराम मांझी पर भड़के नीतीश, तू-तड़ाक तक पहुंची बात

पूर्व सीएम जीतनराम मांझी बोलने उठे। जातीय गणना पर सवाल उठाते हुए मांझी ने कहा कि गिनती ठीक से नहीं हुई, लोग घर नहीं गए, टेबल पर काम हुआ है। आंबेडकर ने कहा था कि हर दस साल पर समीक्षा होनी चाहिए, बिहार में कभी आरक्षण की समीक्षा नहीं हुई। मांझी का कहना था कि आरक्षण का फायदा जमीन पर सही आदमी को मिल रहा है या नहीं, इसको देखने का कोई तरीका सरकार को निकालना चाहिए। मांझी की बात खत्म भी नहीं हुई थी कि नीतीश पूर्व सीएम पर उखड़ गए। सीनियर मंत्री विजय चौधरी रोकते रहे लेकिन नीतीश नहीं रुके।

जीतनराम मांझी के पीछे खड़ी हुई बीजेपी; मूर्खता से CM बनाने का बयान दलित विरोधी, नीतीश इस्तीफा दें

नीतीश ने कहा कि जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाना उनकी मूर्खता थी। दो महीने में ही पार्टी (जेडीयू) के लोग कहने लगे थे कि ये गड़बड़ आदमी है। फिर हमको दोबारा सीएम बनना पड़ा। बीजेपी विधायकों की तरफ इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि मांझी गवर्नर बनना चाहते हैं, बनवा दीजिए इनको। हमने तो भगा दिया अपने पास से। नीतीश ने मांझी को लेकर जो कहा उस दौरान उनका भाव तुम वाला था, आप नहीं।

हम चार-पांच महीना सीएम रह जाते तो नीतीश को कुत्ता नहीं पूछता; जीतनराम मांझी का जवाबी हमला

मांझी आहत हो गए। बाहर निकले तो नीतीश से ज्यादा उम्र और सदन के अनुभव का हवाला देते हुए कहने लगे कि नीतीश ने ये समझकर उनको सीएम बनाया था कि मुसहर-भूइयां है, इसको जो कहेंगे, करता रहेगा। लेकिन हमको रबर स्टैंप कहा जाने लगा तो हमको लगा कि नहीं ये ठीक नहीं है। फिर फैसले खुद लेने लगा तो नीतीश के चमचे परेशान हो गए। मांझी जब यह कह रहे थे उनके साथ बीजेपी नेता खड़े थे। बाद में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कई बीजेपी नेताओं के साथ मांझी के घर गए। शाम तक मांझी पर नीतीश के बयान को दलितों का अपमान बताकर बीजेपी के ढंग के सारे नेताओं ने सीएम से इस्तीफा मांग लिया।

शुक्रवार को विधानसभा और विधान परिषद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन था। हंगामा, स्थगन से होते हुए सरकार ने किसी तरह अनुपूरक बजट पास कराया। बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक भी विधान परिषद से पास हो गया। पूरे दिन बीजेपी विधायक महिला और दलित अपमान का मुद्दा उठाकर कभी सदन में, कभी सदन के बाहर नीतीश को घेरते रहे। सत्र समाप्त हो गया है। छोड़ गया है दो मुद्दे। नीतीश के पास है जातीय सर्वे का डेटा और आरक्षण। बीजेपी यानी विपक्ष के पास है महिला और दलित अपमान। बिहार की लड़ाई को बीजेपी बाहर ले जाती दिख रही है। जाति जनगणना की मांग कर रहे इंडिया गठबंधन के नेताओं से देश भर में महिला और दलित अपमान पर सवाल पूछने का मौका नीतीश ने बीजेपी को दे दिया है।

नीतीश को विषैला खाना दे रहा कोई; जीतनराम मांझी ने तीन लक्षण गिना कर दी राष्ट्रपति शासन की मांग

विधान मंडल सत्र के दौरान नीतीश भले अपने बयानों पर पैदा विवाद की वजह से पिछड़ते नजर आ रहे हों लेकिन उनके मुद्दे देर-सबेर फिर से मेनस्ट्रीम बहस में लौट आएंगे। आरक्षण का मुद्दा है ही ऐसा। जिसे मिल रहा है वो भी बात करेगा। जिसका छिन रहा है वो भी बात करेगा। बीजेपी विरोधी पार्टियां यही चाहती हैं कि ये हो जाए। बीजेपी का हिन्दू खुद को ओबीसी, ईबीसी, दलित, आदिवासी की तरह सोचे। पीएम नरेंद्र मोदी के करिश्मा, अमित शाह की रणनीति और बीजेपी पर फिदा सभी जातियों के कम-ज्यादा वोटर के सामने बिहार का जातीय गणना और नया आरक्षण मॉडल ही है जो 2024 के चुनाव में इंडिया गठबंधन को लड़ने की ताकत दे सकता है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News