जहां बसेंगे 63 बंगाली हिंदू परिवार, वहां 1982 में इंदिरा गांधी ने 252 परिवारों को बसाया था, पढ़िए गांव की हकीकत

144

जहां बसेंगे 63 बंगाली हिंदू परिवार, वहां 1982 में इंदिरा गांधी ने 252 परिवारों को बसाया था, पढ़िए गांव की हकीकत

कानपुर: कानपुर देहात के रसूलाबाद तहसील के भैसायां गांव के महेन्द्रनगर में मेरठ में रह रहे बंगाली विस्थापित परिवारों को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पट्टा देकर उन्हें जमीन का मालिकाना हक दे दिया, जिसके बाद रसूलाबाद तहसील के भैसायां गांव के महेन्द्रनगर से 63 परिवार और जुड़ गए हैं, जबकि 1982 में भैसायां गांव के महेन्द्रनगर में 252 परिवारों को बसाया गया था, जिनकी संख्या बढ़कर इस समय लगभग 750 हो चुकी है। वहीं, अब 63 परिवार और इन लोगों से जुड़ गए हैं, जिसके चलते अब बंगाली विस्थापित परिवारों की संख्या बढ़कर 813 हो गई है। सब कुछ ठीक रहा तो मेरठ में रह रहे 63 बंगाली विस्थापित परिवारों जल्द ही रसूलाबाद तहसील के भैसायां गांव के महेन्द्रनगर में रहने के लिए आ जाएंगे।

चुनाव के चलते रुक गई थी कार्यवाही
वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिंदू बंगाली परिवार मेरठ के हस्तिनापुर में रहने वाले विस्थापितों को कानपुर देहात में बसाने के लिए 21 नवंबर 2021 को अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने रसूलाबाद पहुंचकर जमीन आदि का निरीक्षण किया था, लेकिन उसके बाद विधानसभा चुनाव के चलते कार्यवाही रुक गई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही एक बार फिर प्रक्रिया चालू हो गई, जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में सभी 63 परिवारों को मालिकाना हक सौंप दिया है।

इंदिरा गांधी ने बसाए थे 252 परिवार
कानपुर देहात के रसूलाबाद तहसील के भैसायां गांव के महेन्द्रनगर में 1982 में इन्दिरा गांधी ने 252 परिवारों को महेंद्र नगर गांव में बसाया था। उस समय प्रति परिवार को 6 बीघा जमीन, मकान बनाने को जगह और पैसा सहित सिंचाई आदि के लिए पंपिग सेट उपलब्ध कराए गए थे। आज परिवारों की संख्या करीब तीन गुना 750 तक पहुंच गई है। गांव को 4 वार्डों में बांटा गया है। वार्ड 1 से 4 में बंगाली परिवार रह रहे हैं। महेंद्र नगर गांव में रहने वाले लोगों का मुख्य भोजन मछली चावल है। कई परिवारों घर के आगे छोटा तालाब बनाकर मछली पालन करते हैं। वहीं, अधिकांश परिवारों के पुरुष सदस्य खेती के साथ ही मजदूरी करते हैं।

आज तक जाति प्रमाण पत्र नहीं होता जारी
गांव के प्रधान संजीव पाल ने बताया कि आज तक उन लोगों के जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं, जिससे सरकारी नौकरियों में बच्चे नहीं जा पाते हैं। शिक्षित होने के बाद भी पढ़ाई का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि 63 परिवार जो आ रहे हैं हो सकता है, इस समस्या का सामना इन्हें भी उठाना पड़े।

पेयजल की समस्या से जूझ रहे लोग
वहीं, सरकारी हैंडपंप यहां दो लगे हैं, जिसमें एक खराब है। इससे लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि उनकी इस तरह की समस्याओं की यहां पर सबसे अधिक अनदेखी होती है। इसमें किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News