जहांगीरपुरी हिंसा शाहीन बाग और दिल्ली दंगों की ही अगली कड़ी, पुलिस ने 2 हजार पन्‍नों में पेश की चार्जशीट

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जहांगीरपुरी हिंसा शाहीन बाग और दिल्ली दंगों की ही अगली कड़ी, पुलिस ने 2 हजार पन्‍नों में पेश की चार्जशीट

जहांगीरपुरी हिंसा शाहीन बाग और दिल्ली दंगों की ही अगली कड़ी, पुलिस ने 2 हजार पन्‍नों में पेश की चार्जशीट

नवीन टिर्के, रोहिणी कोर्ट: दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के मौके पर जो हिंसा हुई, वह 2019 में शाहीन बाग के सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों और फरवरी 2020 में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों की अगली कड़ी थी। दिल्ली पुलिस ने ऐसा दावा किया है। जांच एजेंसी ने हिंसा केस में 45 लोगों के खिलाफ 2063 पन्नों की अपनी चार्जशीट अदालत में दायर की है। इसमें दंगा-फसाद, आपराधिक साजिश और आर्म्स एक्ट के तहत अपराधों के आरोप हैं।

रोहिणी कोर्ट में दायर चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि जहांगीरपुरी हिंसा मामले में अभी तक की जांच और रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से साफ है कि यह घटना 2019-20 में शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों की अगली कड़ी थी। जिसने 10 अप्रैल को रामनवमी के मौके पर देशभर में हुई घटनाओं की वजह से जोर पकड़ लिया था।

कितने आरोपी पकड़े गए
क्राइम ब्रांच ने 18 अप्रैल को इस केस की जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया था। मामले में 37 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। 8 आरोपी अभी तक फरार बताए गए हैं। इनकी पहचान संवर कालिया, सद्दाम खान, सलमान उर्फ सुलेमान, अशनूर, इसराफिल, जहांगीर, हसमत उर्फ असमत और शेख शुकुर के रूप में हुई है। इन्हें भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। चार्जशीट के मुताबिक 9 हथियार, 5 जिंदा कारतूस, 2 खाली कारतूस के साथ 11 आरोपियों के वो कपड़े भी बरामद किए गए हैं, जो घटना के वक्त उन्होंने पहन रखे थे। उन कपड़ों के साथ वायरल वीडियो में नजर आए थे। गिरफ्तार आरोपियों में से 2 नाबालिग हैं, जिनके खिलाफ शुरुआती जांच रिपोर्ट(पीआईआर) जेजे बोर्ड के सामने पेश कर दी गई है।

यहां से मिले सबूत
पुलिस के मुताबिक, कुशल सिनेमा रोड और जहांगीरपुरी सी ब्लॉक के आसपास लगे पीडब्ल्यूडी के सीसीटीवी कैमरों ने आरोपियों का सुराग दिया। इसके अलावा 34 वायरल वीडियो और 56 वीडियो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर उनका आकलन हुआ। आरोपियों से 21 मोबाइल जब्त किए गए गए। कुल 132 गवाहों का परीक्षण हुआ, जिसमें से 85 पुलिसवाले ही हैं। बाकी के 47 गवाह आम लोग, डॉक्टर और अन्य हैं।

जांच में 13 टीमें लगीं
हिंसा की जांच के लिए 13 टीमें बनाई गई थीं, जिनमें से किसी ने आरोपियों के बैकग्राउंड को खंगाला तो किसी ने डंप डेटा की पड़ताल की। किसी ने तकनीकी सबूतों का आकलन किया, तो किसी ने वायरल वीडियो और सीसीटीवी फुटेज की जांच की। एक टीम ऐसी भी थी, जो वित्तीय और साजिश के पहलू को देख रही थी।

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