जब पंकज त्रिपाठी ने पकड़ी करछी और खुलासा हुआ कि ‘रसोड़े में कौन था’, आखिर क्या है माजरा

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जब पंकज त्रिपाठी ने पकड़ी करछी और खुलासा हुआ कि ‘रसोड़े में कौन था’, आखिर क्या है माजरा

नई दिल्ली: एक रुढ़िवादी विचार कि रसोई सिर्फ महिलाओं की जगह है। इस विचार को हमारे समाज की जड़ में इस कदर बैठाया गया है कि जहां महिला-पुरुष दोनों कमाते हैं, वहां भी खाना केवल महिलाओं को ही बनाना पड़ता है। रसोई में काम करने को लेकर भी लैंगिक समानता के प्रति लोगों को जागरुक किया जा सके, इसके लिए एफएमसीजी कंपनी बीएल एग्रो (BL Agro Industries Limited) ने अपने प्रमुख उत्पाद बैल कोल्हू के साथ एक सामाजिक अभियान #रसोड़ेमेंमर्दहै लॉन्च किया है।

बीएल एग्रो खाद्य तेलों (Edible Oils) और अन्य खाद्य उत्पादों की बिक्री करती है। ‘बैल कोल्हू’ (Bail Kolhu) सरसों तेल इसका फ्लैगशिप प्रॉडक्ट है। शुक्रवार को कंपनी के सोशल इनीशिएटिव #Rasodemeinmardhai के साथ-साथ बैल कोल्हू के नए TV कमर्शियल को भी लॉन्च किया गया। इस मौके पर कंपनी के चेयरमैन घनश्याम खंडेलवाल, कंपनी के एमडी आशीष खंडेलवाल और बैल कोल्हू सरसों तेल के ब्रांड एंबेस्डर व एक्टर पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) भी मौजूद रहे। नए ऐड में पंकज त्रिपाठी के साथ-साथ मनोज बाजपेयी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने भी काम किया है।

केवल महिलाओं की नहीं है रसोई की जिम्मेदारी
कंपनी का कहना है कि #Rasodemeinmardhai का कॉन्सेप्ट इस व्यापक विश्वास को तोड़ता है कि केवल महिलाओं को ही रसोई की जिम्मेदारियां संभालनी चाहिए। रसोई और उससे जुड़े अन्य सभी कामों जैसे, योजना बनाना, खरीदारी करना तैयार करना, परोसना, धोना और साफ-सफाई करना, का किसी लिंग विशेष से कोई संबंध नहीं है। यह एक गुण है जो प्रत्येक व्यक्ति में होना चाहिए, जिससे घर का काम आधा-आधा बंट सके और खाना सहयोग से बनाया जा सके।

ईवेंट के दौरान अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने रसोई के सेटअप में एप्रिन पहन हाथ में करछी लेकर #Rasodemeinmardhai इनीशिएटिव को प्रमोट करने की पहल की। इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें खाना बनाने का शौक है। पंकज त्रिपाठी ने आगे कहा, ‘लिंग की मूल सामाजिक श्रेणियों के बारे में मान्यताएं, जैसे पुरुष कमाई करते हैं और महिलाएं देखभाल करती हैं, हमारे दैनिक जीवन में पिरो दी गई हैं। ये विषय बारीक और जटिल हैं लेकिन इनके संबंध में तत्काल सोच बदलकर इसे एक सतत और व्यवस्थित बनाने की जरूरत है, जिसके बारे में सामाजिक पहल #रसोड़ेमेंमर्दहै जोर देती है। यह एक दूसरी कहानी बुनता है और पुरुषों में रसोई को लेकर भी जिम्मेदारी का भाव जगाती है। मैं अपनी आवाज एक नई सोच को आकार देने और उन विचारों को समाप्त करने की पहले के लिए दे रहा हूं, जिनके अनुसार, रसोई की सभी जिम्मेदारियां महिलाओं को ही संभालनी चाहिए।’

बेहतर कल के लिए परंपराओं को दे रहे चुनौती
बीएल एग्रो के चेयरमैन घनश्याम खंडेलवाल ने कहा, ‘रसोई सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी क्यों होनी चाहिए? हम #रसोड़ेमेंमर्दहै के साथ इसी विचार को तो उठाना चाहते हैं। हम बेहतर कल के लिए परंपराओं को चुनौती देना चाहते हैं। यह परिकल्पना सिर्फ महिलाओं को खाना पकाने और बर्तन धुलने की सीमा से आजाद करने के लिए नहीं है बल्कि यह इस बात को स्वीकार करने के लिए भी है कि खाना पकाना सभी लोगों का काम है। लैंगिंक रूढ़िवादिता को तोड़ने और अधिक प्रगतिशील और समावेशी संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में यह हमारा सूक्ष्म प्रयास है।’

कब शुरू हुई थी बीएल एग्रो
बीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की नींव 1940 में किशन लाल खंडेलवाल और बिशन लाल खंडेलवाल ने कमोडिटी ट्रेडिंग बिजनेस के तौर पर डाली थी। 1976 में इस कारोबार से घनश्याम खंडेलवाल जुड़े। उन्होंने कारोबार बढ़ाने के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग की संभावनाएं भी तलाशीं। इसके बाद 1983 में लॉन्च किया बैल कोल्हू सरसों तेल। प्रॉडक्ट 1986 में ट्रेडमार्क हुआ। कंपनी सरसों के तेल के अलावा रिफाइंड तेल समेत तेल की कई किस्में शुरू कर चुकी है। साथ ही नॉरिश ब्रांड नाम के अंतर्गत खाद्य उत्पादों की रेंज की भी पेशकश करती है, जिसमें आटा, चावल, दालें, घी और तेल, मेवा, पापड़, अचार, मुरब्बा और मसाले आदि उत्पाद उपलब्ध है।

कॉम्पिटीशन में नहीं, हर गांव-कस्बे तक क्वालिटी प्रॉडक्ट पहुंचाने पर है फोकस: बीएल एग्रो

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