चुनाव से पहले बीजेपी का सियासी चक्रव्यूह, जानें कैसे फंस गई कांग्रेस

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चुनाव से पहले बीजेपी का सियासी चक्रव्यूह, जानें कैसे फंस गई कांग्रेस

चुनाव से पहले बीजेपी का सियासी चक्रव्यूह, जानें कैसे फंस गई कांग्रेस


रायपुर/भोपाल: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता भंग होने के बाद देश की सियासत गर्म है। राहुल गांधी की सदस्यता भंग होने के बाद कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरह बीजेपी राहुल गांधी के बयान को ‘सारे मोदी चोर’ को ओबीसी के अपमान से जोड़ रही है। बीजेपी नेता राहुल गांधी के बयान को पिछड़ा वर्ग के अपमान से जोड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा सभा चुनाव से पहले बीजेपी ने ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए एक बड़ा मुद्दा छेड़ दिया है। छत्तीसगढ़ के सीएम बीजेपी के बयान पर पलटवार कर रहे हैं जबकि एमपी के सीएम पिछड़ा वर्ग के अपमान पर कांग्रेस में सीधा हमला बोल रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने ओबीसी के मुद्दे पर बीजेपी पर हमला किया है। उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से सवाल करते हुए कहा कि जेपी नड्डा जी बताएं कि OBC आरक्षण बिल भाजपा ने क्यों रुकवा रखा है? पिछड़ों के नाम से घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें। अडानी पर सवालों के जवाब दें। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पूर्व सीएम रमन सिंह ने भानुप्रतापुर उपचुनाव के दौरान क्या-क्या नहीं कहा। मैं छोटी जाति का हूं क्या इसलिए मेरा अपमान किया गया।

शिवराज ने बोला हमला
एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी के बयान पर हमला बोलते हुए इसे ओबीसी के अपमान से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि कि क्या किसी छोटी जाति में पैदा होना पाप है। राहुल खुद को राजा मानते हैं लेकिन किसी समाज का अपमान नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राहुल गांधी ने ओबीसी वर्ग का अपमान किया है। उसका हक उन्हें किसी ने नहीं दिया है।

एमपी-छत्तीसगढ़ में चुनाव
इस साल के अंत में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनावों से पहले दोनों की पार्टियां ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में लाने की कोशिश में हैं। ऐसे में राहुल गांधी के बयान को ओबीसी समाज से जोड़कर बीजेपी हमलावर हो गई है। जबकि कांग्रेस इस मामले में अपना बचाव करती हुई दिखाई दे रही है। बीजेपी के सभी बड़े नेता इस पूरे मुद्दे को ओबीसी समाज से जोड़कर कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला कर रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ में कितनी ओबीसी आबादी
छत्तीसगढ़ में करीब 47 फीसदी ओबीसी वर्ग के लोग हैं। इस वर्ग में 95 से अधिक जातियां हैं। 32 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति और करीब 13 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है। पिछड़ा वर्ग का वोटर्स अलग-अलग क्षेत्रों में बीजेपी और कांग्रेस का वोट बैंक भी माना जाता है। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था क्योंकि ओबीसी वोटर्स कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया था। छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा की सीटें हैं। इनमें से 39 सीटें आरक्षित हैं। इन सीटों में से 29 सीटें अनुसूचित जनजाति और 10 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। आरक्षित सीटों के बाद बची 51 सीटें सामान्य हैं। लेकिन इन सीटों में से भी करीब एक दर्जन विधानसभा की सीटों पर ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति का वोटर्स खासा प्रभाव रखता है।

एमपी में कितना असर
इसी तरह मध्यप्रदेश में भी इस साल चुनाव होने हैं। एमपी में कुल सीटें 230 हैं। सामान्य वर्ग के लिए 148, अनुसूचित जनजाति के लिए 47 और अनुसूचित जाति के 35 सीटें रिजर्व हैं। अभी 230 में से 60 विधायक ओबीसी वर्ग के हैं। खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ओबीसी वर्ग से आते हैं। राज्य में ओबीसी मतदाता करीब 48 प्रतिशत। एसटी आबादी करीब 17 प्रतिशत जबकि एससी आबादी 21 प्रतिशत है।

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