ग्रेटर ने मांगे 300 करोड़, मंडल ने कहा 142 करोड़ के विकास कार्य करा चुके
राजधानी में विकास कार्य करने वाले दो महकमों में विवाद
निगम का दावा: जिन कॉलोनियों को हमें हस्तांतरित किया, उनमें मंडल ने नीलामी कर दो हजार करोड़ कमाए
जयपुर। राजधानी में विकास कार्य कराने वाले दो महकमों के बीच अब पैसों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे ग्रेटर नगर निगम ने आवासन मंडल से बकाया चल रहे 300 करोड़ रुपए की मांग की है। जब ये पत्र आवासन मंडल को मिला तो वहां से जवाब आया कि हमने भी 142 करोड़ रुपए के विकास कार्य करा दिए हैं। इस पर निगम ने पत्र लिखा कि यदि कॉलोनियों का हस्तांतरण हो गया है तो 2000 करोड़ रुपए नीलामी से कमाए हैं, उसमें से ये पैसे काट लो। हालांकि, ये पैसे कब मिलेंगे इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन फिलहाल दोनों महकमों के बीच में पत्राचार खूब हो रहा है। इतना ही नहीं, अब यह ममाला मुख्य सचिव तक पहुंच चुका है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि जल्द हल नहीं निकला तो निगम आर्थिक तंगी की बात कहकर अपना काम सीमित कर लेगा।
दरअसल, विवाद की शुरुआत निगम आयुक्त के एक पत्र से हुई। प्रताप नगर के सेक्टर, मानसरोवर सहित अन्य कॉलोनियों को आवासन मंडल ने कागजों पर तो हस्तांतरित कर दीं लेकिन निगम को उनके कागजात नहीं सौंपे। निगम का दावा है कि मंडल इन कॉलोनियों में नियमित रूप से नीलामी कर करोड़ों रुपए का राजस्व अर्जित कर रहा है।
निगम ऐसे मजबूत —कागजों में हस्तांतरित इन कॉलोनियों में आवासन मंडल में पिछले एक से डेढ़ वर्ष में 2000 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है। अब निगम कह रहा है कि यदि ये कॉलोनियां वास्तव में हस्तांतरित हो चुकी हैं तो ये पैसा निगम कोष में जमा करवाए जाए और यदि नहीं हुई तो नीलामी का 15 फीसदी दिया जाए। निगम इसी आधार पर 300 करोड़ रुपए की मांग कर रहा है।
खास—खास —238 पार्क ऐसे हैं जिनके संधारण का काम निगम करता है, जबकि ये जेडीए और आवासन मंडल की सीमा आते हैं। —65 करोड़ रुपए से अधिक निगम खर्च करता है सालाना जेडीए की कॉलोनियों में सुविधाओं के नाम पर —49 करोड़ रुपए से अधिक सालाना खर्च करता है निगम आवासन मंडल की कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं के लिए —425 कॉलोनियां निगम के पास नहीं होने के बाद भी यहां कर रहा काम —04 लाख से अधिक आबादी रहती है इन कॉलोनियों में
ये करता निगम काम —पार्क का संधारण —सीवरेज की सफाई —घर—घर कचरा संग्रहण के अलावा सड़कों की सफाई —सड़कों की मरम्मत से लेकर नई सड़कों का निर्माण (इन्हीं सब सुविधाओं के लिए निगम को जेडीए और आवासन मंडल नीलामी का 15 फीसदी देते हैं। हालांकि 2017 के बाद से दोनों महकमों ने निगम को नहीं दिया है।)
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