गाजियाबाद में 85 हजार लोगों का कट सकता है बिजली कनेक्शन, 200 करोड़ का बकाया वसूलने में जुटा विभाग
अधिकारियों की मानें तो इनमें से अधिकांश उपभोक्ता ग्रामीण इलाकों के हैं। शहरी इलाकों में अधिकांश बकायेदारों ने बकाया जमा करवा दिया है। बकाया वसूली के लिए डिसकनेक्शन अभियान चलाया जा रहा है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के चलते अभियान को और ज्यादा तेज किया गया है। बकाया वसूली में पूरे जिले में 80 से ज्यादा टीमों को लगाया गया है। यह टीमें बकायेदारों के कनेक्शन काटने का कार्य कर रही हैं। टीमें प्रतिदिन 100 से 300 कनेक्शन काट भी रही हैं। अधिकारियों के अनुसार कनेक्शन काटने पर अधिकांश उपभोक्ता बकाए का भुगतान कर देते हैं। अभी भी निगम को बकायेदारों से लगभग 200 करोड़ रुपये का बकाया वसूलना है।
बकाया भुगतान की सही स्थिति 31 मार्च के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी। फिलहाल बकाया वसूली के लिए लगातार अभियान चल रहा है। बड़े बकायेदारों के साथ ही छोटे बकायेदारों पर भी सख्ती की जा रही है। बड़े बकायेदारों पर दो दिन समय है, इसके बाद उनके खिलाफ आरसी की कार्रवाई शुरु की जाएगी।
नीरज स्वरूप, चीफ इंजीनियर, गाजियाबाद जोन
सैकड़ों उपभोक्ता हुए नदारद
निगम के अधिकारियों के अनुसार बकाया वसूली में सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के साथ आती है, जो कनेक्शन लेने और उपभोग के बाद लापता हो जाते हैं। ऐसे 800 से ज्यादा उपभोक्ताओं को चिह्नित किया गया है। इन उपभोक्ताओं ने किसी फ्लैट, मकान या कॉम्प्लेक्स में कनेक्शन लिया। कुछ महीनों तक विद्युत का उपभोग किया और फिर वहां से कहीं और चले गए। फ्लैट, मकान या ऑफिस पर अब कोई और काबिज या फिर ताला लगा है। ऐसे उपभोक्ताओं पर निगम का 50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा बकाया है।
देहात में नहीं हो रही वसूली
देहात क्षेत्रों में बकाया वसूली के लिए अभियान का कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने किसानों को फ्री बिजली देने का भी वादा किया है। लोनी, मोदीनगर, मुरादनगर, डासना समेत देहात इलाकों में उपभोक्ताओं पर निगम का लगभग 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। अधिकांश उपभोक्ताओं ने मीटर लगने के बाद से ही बिल का भुगतान नहीं किया है। वसूली के जब टीम गांव में जाती है तो ग्रमीणों का विरोध झेलना पड़ता है। इसलिए टीम बिना कार्रवाई के लौट आती है।
सरकारी विभागों पर भी 50 करोड़ से ज्यादा बकाया
जिले के सरकारी विभागों पर भी विद्युत निगम का 50 रुपए से ज्यादा का बकाया है। इसमें स्वास्थ्य, पुलिस, प्रशासन, शिक्षा समेत कई विभाग शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार सरकारी विभागों को भुगतान के लिए फंड मिलता है। भुगतान नहीं होने की स्थिति में शासन से बकाया एडजेस्ट किया जाता है।