कोरोना ना होता तो…शायद यूं निकलता परंपरा का झिलमिलाता कारवां

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कोरोना ना होता तो…शायद यूं निकलता परंपरा का झिलमिलाता कारवां

तो क्या हुआ जो आज हम अपने शहर की सड़कों पर जगमाते सितारों को नहीं देख पाए। कम से कम उन्हें अपने ख्यालों में देख ही सकते हैं।

शहर की जीवंत परंपरा पिछले दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के कारण हमसे दूर हैं। बड़ी से बड़ी विपदा और बारिश ने भी परंपरा को टूटने नहीं दिया। लेकिन इस बड़े सालाना जलसे से संक्रमण के खतरे को देखते हुए पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी परंपरा के कारवां पर रोक लगी थी। हालांकि ऐसा नहीं है कि इन दो वर्षों में कोई भी बड़ा सामाजिक या राजनीतिक आयोजन न हुआ हो। खैर, तो क्या हुआ जो आज हम अपने शहर की सड़कों पर जगमाते सितारों को नहीं देख पाए। कम से कम उन्हें अपने ख्यालों में देख ही सकते हैं। इसी सोच के साथ मेरे शब्दों में मिल मजदूरों की मेहनत से निकलने वाले १०० वर्ष पुराने इस पारंपरिक गणेश विसर्जन चल समारोह को शब्दों पिराने की एक कोशिश…ताकि आज का दिन यथार्थ में ना सही, धुंधलाती यादों की झलकियों जरूर ताजा हो जाए…

  • समय – शाम 6.00 बजे
    बादलों की गर्जनाओं और हल्की बूंदाबांदी के बीच शहर की परंपरा का कारवां एक बार फिर सड़कों पर उतर आया है। चिकमंगलूर चौराहे के पहले ही सर्वप्रथम खजराना गणेश मंदिर की झांकियां आकर खड़ी हो गई है। पहली झांकी में खजराना गणेश की विशाल प्रतिमा देशी-विदेशी फूलों के बीच विराजित है। इस झांकी के साथ पिछले हिस्से में भगवान गणेश रिद्धी-सिद्धी के साथ बैठे हुए और भक्त आरती उतार रहे हैं। हालांकि अभी झांकी की बिजली बंद है। संभवत: अंधेरा ढलने के साथ ही इन्हें चालू कर दिया जाएगा।
    – अभी झांकियों के क्रमवार लगने का सिलसिला जारी है। शाम 7 बजे चौराहे पर ही कलेक्टर और पुलिस अधिकारी खजराना गणेश की आरती उतारने पहुंचेंगे। इसके पहले सारी झांकियां एक के पीछे एक लगाने के लिए प्रशासनिक लवाजमा प्रयास में लगा हुआ है।
    – सरकारी झांकियां तो ठीकठाक लग गई है लेकिन मिलों की झांकियों के अभी अते-पते नहीं है। सिर्फ स्वदेशी और हुकुमचंद मिल की झांकियां कतार में आ पाई है। ये दोनों भी अभी सेंट्रल जेल के बाहर खड़ी हुई है। राजकुमार और मालवा मिल की झांकी अभी राजकुमार ब्र्रिज पर ही खड़ी हुई है। हमेशा की तरह इन दोनों को भी अभी तक झांकी मार्ग तक पहुंचने में देरी हो गई है।
    – चिमनबाग तक अभी झांकियों का क्रम लगना बाकी है। कुछ अखाड़े पहले से ही झांकियों के बीच अपनी जगह बनाने की जुगत में लगे हुए हैं। उस्ताद-खलीफा अपने चेलों को अभी से ही पूरे रास्ते ठीक-ठाक रहने की हिदायत दे रहे हैं। एक खलीफा ने छड़ी-निशान की बत्तियां चालू करने के लिए अभी कहा ही था, कि कुछ बल्ब बंद पड़ गए। इस पर तुरंत ही उन्हें सुधारने के लिए आदेश कहा गया है।
    – वैसे तो खलीफा कभी मोहल्ले में किसी से भी बात करते नहीं देखे जाते हैं, लेकिन शाम को अखाड़ा उठने के साथ जब से चेलों ने उन्हें पगड़ी पहनाकर गले में हार-मालाएं डाली और हाथ में तलवार थमाई है, उनका रौब देखने लायक हो गया है। कोई उनकी सुने या ना सुने, वह सभी को डांट-पुचकार कर आगे बढ़ा रहे हैं।
    – निगम की झांकियों ने इस बार भी समय से पहले ही आकर विजय भांग घोटा के सामने कब्जा जमा लिया है। निगम परिसर से ये झांकियां शाम 5 बजे ही छूट चुकी थी। मिलों की झांकियों का क्रम हमेशा से ही नंबर 2 पर रखा है। लेकिन मिल की झांकियां हर बार समय से देरी से बाहर निकली जिस वजह से निगम को फिर दूसरे नंबर पर लगने का मौका मिल गया।
    – श्रम शिविर के बाहर एक अखाड़े के साथ आई डोलक और ताशा पार्टी झांकियों के शुरू होने के इंतजार में है। वह हर थोड़ी-थोड़ी देर में इशारों-इशारों में आयोजक से मुट्ठी बांध कर अंगूठा बार-बार मुंह की तरफ ले जा रहे हैं। उधर से आयोजक भी पंजा दिखाकर शायद थोड़ा रूकने या इंतजार के लिए कह रहा है। थोड़ी-थोड़ी देर में बजाकर रूकने के बाद यह हाथ हिलाने और अंगूठा दिखाने का दौर जारी है।
    – चिमनबाग चौराहे की ओर बढ़ते हुए श्रम शिविर तक अभी सिर्फ आईडीए की झांकी ही खड़ी दिखाई दे रही है। इस बार भी आईडीए ने तीन झांकी बनाई है जो पहले ही होप टेक्सटाइल्स के सामने वाले मैदान पर बनाई जाती थी। एक झांकी में बल्ब ही बल्ब लगे हुए हैं और सीता मां का स्वयंवर चल रहा है। भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की जोड़ी दूर से ही पहचान में आ रही है। दोनों को चमकीले कपड़े पहनाए गए हैं। आगे के भाग में विशालकाय हनुमानजी भी दर्शन दे रहे हैं।
    – दूसरी झांकी बाल श्रीकृष्ण पर आधारित है। इसमें आगे पुतना तो पीछे कालिया नाग पर कन्हैया हाथ में बांसुरी लिए एक पांव की मुद्रा में खड़े हैं। अभी झांकी की लाइट टेस्टिंग हो रही है जिस कारण कालिया नाक का दो ही सिर हिल पा रहे हैं। बाकी के सिरों को भी हिलानों की जुगत जारी है।

समय : शाम 6.35 बजे
अब अंधेरा होने को है और झांकियों के जलते-बुझते बल्ब दूर से सितारों के जमीं पर टिमटिकाते हुए जैसे नजर आ रहे हैं। झांकियों का क्रम अब लगभग लग चुका है लेकिन दरगाह चौराहे पर अब भी अखाड़ों के बीच क्रम को लेकर नोंक-झोंक जारी है। सूचना मिलते ही वहां पर कुछ बड़े पुलिस अधिकारी पहुंचे और दोनों पक्षों को शांत करवाकर आगे-पीछे के क्रम में लगवाया है।
– पुलिस की एक टूकड़ी घोड़े पर पूरे झांकी मार्ग की तफ्तीश ले रही है। डीआरपी लाइन के बाहर फुटपाथ पर कुछ लोग जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, दरी और चटाई लगाकर बैठे हुए हैं। आसपास कुछ खिलौने, गुब्बारे वाले भी हैं, जो लाइट वाली कार और हवाई जहाज जमीन पर सजाकर बैठे हैं। अब चहल-पहल भी बढ़ गई है। सभी तरफ से बैरिकेट्स लगाकर झांकी मार्ग की ओर आ रहे रास्तों को रोकने के लिए पुलिस के साथ नगर सुरक्षा समिति के लोग भी हाथ बंटा रहे हैं।
– अभी कारवां शुरू भी नहीं हुआ था कि दरगाह के बाहर लगे मेडिकल कैंप में दो लोग पहुंच गए हैं। इनके हाथ में कोई पुराना घाव था, लेकिन कैंप लगा देख दवाई लगवाने पहुंच गए। यहां पर पुलिस ने एक लोहे का चतुबरा भी बनाया हुआ है। थोड़ी-थोड़ी देर में माइक से बार-बार अखाड़ों और झांकियों में आए लोगों को आगे बढ़ाने की हिदायत दी जा रही है।
– दरगाह चौराहे से चिकमंगलूर तक अलग-अलग सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं के बड़े-बड़े मंच लगे हुए है। सभी ने आगे की टेबलों पर हार मालाएं और बड़ी-बड़ी शिल्ड स्मृति चिह्न रखे हुए हैं। अभी मंचों की आधी कुर्सियां खाली ही पड़ी है।
– मालवा मिल, राजकुमार मिल, स्वदेशी और कल्याण के साथ हुकुमचंद मिल की झांकियां अब क्रम से लग चुकी है। सबसे पीछे नंदानगर इंफोटेक की झांकी अभी स्वदेशी मिल ब्रिज पर ही है। इसमें सबसे आगे नंदानगर के राजा की विशाल प्रतिमा है। बाकी सामाजिक जागरूकता की भी दो झांकियां नेताओं के फोटो और पोस्टर के साथ है। इस बार भी सभी मिलों ने एक-एक झांकियां ने सामाजिक संदेश वाली बनाई है। इसमें कोरोना और वैक्सीनेशन को लेकर संदेश दिया है।
– मालवा मिल के झांकी कलाकारों ने तो गजब ही कर दिया है। कोरोना को राक्षस का रूप देकर भगवान राम के मुंह पर मास्क और हाथ में धनुष-बाण के बजाय सेनेटाजर स्पे्र थमा दिया है। वहीं राजकुमार की धार्मिक-सामजिक विषय पर बनी झांकी में भगवान गणेश हाथ अपने बाएं हाथ में नर्स से कोरोना का टीका लगवा रहे हैं।
– कल्याण मिल की झांकी में डॉक्टरों को नर-नारायण के रूप में दिखाया गया है। उनके चार हाथों में किसी में स्टोथोस्कोप तो किसी में इंजेक्शन हैं। हुकुमचंद ने आईसीयू में काम करते डॉक्टर नर्स दिखाए हैं। लगभग सभी सामाजिक झांकियों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजेशन की बात दोहराई गई है।

शाम 7.15 बजे
अब कारवां पूरी तरह सजकर तैयार है। बैंड वाले कलाकार भी अपनी-अपनी झांकियों पर चढ़ चुके हैं। राजकमल के बैंड की आवाज चिमनबाग से चिकमंगलूर तक आ रही है। बाकी ढोलक वालों ने भी अब थाप छेड़ दी है। अखाड़ों के जाबाज भी उत्साह से लबरेज होकर अपने हैरतअंगेज कारनामे और पटे-बनेटी की कलाबाजियां दिखाने के लिए आतुर दिख रहे हैं।
– चिकमंगलूर चौराहे पर कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक-पुलिस अफसरों ने साथ मिलकर खजराना गणेश की आरती शुरू कर दी है। यहां भीड़ के बीच आरती खत्म ही पहली झांकी को जेल रोड की ओर आगे बढ़ाने के संकेत दिए जा चुके हैं। हालांकि झांकियां को आगे बढ़ाने से पहले एक बार कलेक्टर-डीआईजी समेत पूरा दल-बल एक बार पैदल ही श्रम शिविर की ओर निकल पड़ा है। बीच-बीच में सभी झांकियों के संचालकों और अखाड़ों उस्ताद खलिफाओं को रूक-रूककर वह तल्खी के साथ कुछ समझाते हुए नजर आ रहे हैं।

रात 8 बजे
खजराना गणेश की झांकी सरपट दौड़ते हुए जेलरोड पर डॉलर मार्केट तक पहुंच चुकी है। इस झांकी का मंचों से फूल उड़ाकर स्वागत किया जा रहा है। इस छोटे से मार्ग पर करीब 13 मंच लगे हुए हैं। सभी मंचों ने अपने-अपने म्युजिक सिस्टम अलग लगा रखे हैं जिस पर देशभक्ति और धार्मिक गीतों को तेज आवाज में बजाया जा रहा है। कुछ मंचों से आयोजक हाथ में माइक लेकर जोर-जोर से स्वागत-स्वागत.. का उद्घोष कर रहे हैं। मंचों पर लोग इतने है कि कुर्सियों के साथ खड़े रहने की जगह भी खत्म हो चुकी है।
– थोड़ी देर पहले ही आसमान से आई बूंदों की एक टोली ने अचानक आकर खलल डालने की कोशिश की, लेकिन एमजी रोड से लेकर श्रम शिविर तक के झिलमिलाते कारवें को देखकर वापस लौट गई। जेल रोड से लेकर सेंट्रल जेल तक एक साथ लवाजमा सजकर तैयार हो चुका है।
– झांकियों में भी अब पुतलों ने हाथ-पांव चलाकर एक बार फिर परंपरा को पूरे जोश-उमंग और उत्साह के साथ आगे बढ़ाने का इशारा कर दिया है। सड़कों पर भीड़ भी इस बार का सबूत दे रही है कि कुछ भी हो, शहर की इस पहचान को जिंदा रखेंगे।
– कुछ लोग बच्चों को लेकर झांकी मार्ग के किनारे खड़े हो गए है। एमजी रोड पर कोठारी मार्केट से ही वाहनों का आना-जाना बंद हो चुका है। लोग वाहन सड़क किनारे खड़े कर झांकियों का कारवां देने आ चुके हैं। एक सज्जन तो बच्चे को कंधे पर बैठाकर दूर से ही झांकियां दिखा रहे हैं।

रात 10.30 बजे
झांकियों का कारवां अब जेल रोड से आगे बढ़कर एमजी रोड तक पहुंच चुका है। खजराना गणेश की झांकी कृष्णुपरा पुल पार कर चुकी हे। थोड़ी आगे ही कृष्णपुरा छत्री पर जिला प्रशासन का निर्णायक समिति का मंच लगा हुआ है। यहां अभी कुछ अफसर और निर्णायक समिति के सदस्यों की आमद हो चुकी है। पूरे झांकी मार्ग पर एक अकेला यही मंच है जहां पर भीड़ और सफेदी दिखाई दे रही है। अन्य मंचों पर तो बड़े-बड़े फोटो वाले पोस्टर, पार्टियों के झंडे, लोगों का हुजूम और तेज बजते स्पीकर ही सुनाई दे रहे हैं।
– धीरे-धीरे बाकी झांकियों का कारवां भी आगे की ओर बढ़ रहा रहा है। पहली झांकी निर्णायक मंच तक पहुंच चुकी है, वहीं इस झांकियों का आखिरी हिस्सा अब भी श्रम शिविर पर ही अटका हुआ है। मिलों की झांकियां अभी भी जेल रोड पर ही है। यहां लगे मंचों पर झांकी कलाकार और अखाड़ों के कलाकारों को मंच पर बुला-बुलाकर स्वागत किया जा रहा है।
– कुछ मंचों पर परंपरा के अनुसार अखाड़ों के उस्ताद-खलीफाओं को भी बुलाकर पगड़ी पहनाकर हार पहनाए जा रहे हैं। इसी बीच ढोलक वाले भी मंच के करीब ईनाम की जुगत में दोगुनी ऊर्जा से ढोलक पर थाप दे रहे हैं। एक आयोजक ने जेब से दस-दस के नोट निकालकर सभी के हाथ में थमाएं हैं।
– मंचों के आगे अखाड़ों के हैरतअंगेज करतब देखने लायक है। एक बालिका ने तलवारबाजी का अदभुत हुनर दिखाया है। बड़ी ग्वालटोली के श्रीरामनाथ गुरू व्यायामशाला के बालिका शस्त्रकला केंद्र की बालिकाओं के करतब देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो गई है। जेल रोड की तंग सड़क पर यहां बीचोंबीच लड़कियां तलाश से कभी काजल लगा रही है तो कभी पटे से दूसरी सड़क पर लेटी लड़की के मुंह में दबा फूल उड़ा रही है।
– पाटनीपुरा के चंद्रपाल उस्ताद का अखाड़ा भी आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। एक छोटे ट्रक पर व्यायामशाला के हष्ट-पुष्ट युवक शरीर प्रदर्शन कर जनता को आकर्षित कर रहे हैं। उन्हें देख कुछ युवक सीटी मार रहे हैं। वहीं अभी-अभी एक हुल्लारों की टोली भी यहीं से एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर गुजरी है। इन्हें देखकर पुलिस को सख्ती याद आई और उन्होंने सीटी बजाते हुए डंडें फटकराना शुरू कर दिए हैं।

  • रात 12 बजे
    झांकियों का कारवां आगे बढ़ते हुए नंदलालपुरा से अब जवाहर मार्ग तक आ पहुंचा है। आखिरी झांकी भी एमजी रोड पर पहुंच चुकी है और मिलों की झांकियों का क्रम निर्णायक मंच के सामने से गुजर रहा है। यहां पर निर्णायक मंच द्वारा झांकियों को जल्द आगे बढऩे के लिए कहा जा रहा है। परिणाम दोपहर तक घोषित किए जाएंगे। लेकिन लग रहा है कि इस बार भी मालवा मिल बाजी मार ले जाएगा।
    – निर्णायक मंच के सामने अखाड़ों को सिर्फ एक मिनिट ही रूकने की हिदायत दी गई है, फिर भी कलाकार एक के बाद एक करके करतब दिखाने में मशगूल हैं। उन्हें समय का कोई भान नहीं है, वह तो सिर्फ इस बार अपने अखाड़े को पहले नंबर पर लाना चाहते हैं। आदर्श गुरू व्यायामशाला ने हर बार की तरह इस बार भी एक से बढ़कर एक करतब दिखाकर निर्णायक मंच के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
    – रात बढऩे के साथ ही झांकियों को देखने के लिए लोगों का उत्साह अब अपने पूरे शबाब पर है। टुल्लर की टुल्लर अब जवाहर मार्ग की ओर बढ़ रही है। कृष्णपुरा छत्री पर तो पैर रखने की भी जगह नहीं है। कई लोग रिवर साइड रोड पर अपनी गाडिय़ां खड़ी कर यहां झांकियां देखने पहुंचे हैं और पैदल आगे की ओर बढ़ रहे हैं। जो लोग अपने परिवार को लेकर आए हैं, वह सुरक्षित स्थान देखकर वहीं खड़े हो गए हैं।







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