केजरीवाल सरकार ने मंजूरी तो दे दी, पर दिल्ली में स्कूल खुलेंगे कैसे? स्कूल से लेकर पेरेंट्स के मन में कई सवाल

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केजरीवाल सरकार ने मंजूरी तो दे दी, पर दिल्ली में स्कूल खुलेंगे कैसे? स्कूल से लेकर पेरेंट्स के मन में कई सवाल

हाइलाइट्स

  • डीडीएमए के आदेश के बाद 19 महीने से बंद स्कूलों के खुलने का रास्ता साफ
  • कई पैरंट्स कोविड के खतरे और प्रदूषण के स्तर को लेकर जता रहे हैं चिंता
  • एआईपीए अध्यक्ष बोले- छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती

नई दिल्ली
दिल्ली में 1 नवबंर से स्कूलों को फिर से खुलने की अनुमति मिल गई है। 19 महीने बाद एक बार फिर से सभी क्लासेज के बच्चे स्कूल जा सकेंगे। प्राइवेट स्कूलों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि, ऑफलाइन के साथ ही ऑफलाइन क्लासेज जारी रखने को लेकर स्कूल चिंतित दिख रहे हैं। वहीं, सोमवार से सभी कक्षाओं के लिए स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति देने के डीडीएमए के कदम पर पैरंट्स ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है।

कोविड के खतरे और प्रदूषण लेवल को लेकर चिंता
19 महीने बाद फिर से स्कूल खोले जाने की अनुमति पर कुछ पैरंट्स ने इसे पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए आवश्यक बताया वहीं कुछ ने त्योहारों को लेकर कोविड के खतरे और प्रदूषण के स्तर को लेकर चिंता जताई है। चार्टर्ड अकाउंटेंट रोहित गुप्ता ने कहा, “इसकी काफी जरूरत थी। हम अब जानते हैं कि हमें कोविड के साथ रहना सीखना होगा। यह आवश्यक था कि स्कूल फिर से खुलें क्योंकि पढ़ाई को भारी नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई का यही एकमात्र तरीका है।

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कुछ सप्ताह और बंद रखना चाहिए था
कुछ पैरंट्स ने फैसले के समय को लेकर सवाल किया। उन्होंने कहा कि कोविड के खतरे के साथ ही त्योहारों में भारी भीड़ होगी। महामारी से पहले भी हर साल नवंबर में खतरनाक प्रदूषण के स्तर के कारण स्कूलों को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ता था। डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट हिमांशु ने कहा कि स्कूलों को कुछ और सप्ताह के लिए बंद रखना चाहिए था।

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हाइब्रिड लर्निंग ऑप्शन को लेकर अनिश्चितता
स्कूलों के खुलने पर हाइब्रिड लर्निंग विकल्प के साथ ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लासेज को लेकर प्राइवेट स्कूलों की अपनी चिंताएं हैं। आईटीएल पब्लिक स्कूल, द्वारका की प्रिंसिपल सुधा आचार्य ने कहा कि हाइब्रिड सिस्टम ने पहले ही शिक्षकों पर बोझ डाल दिया है। कई टीचर्स ऐसे हैं जो नौवीं और दसवीं में कक्षाएं लेते हैं। इसके साथ ही जूनियर क्लासेज को भी पढ़ाते हैं। ऐसे में ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास के बीच तालमेल बैठाना मुश्किल हैं। इसके साथ ही सभी माता-पिता के अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं। ऐसे में उन्हें ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज को सही तरीके से प्लान करना होगा। हालांकि, सरकारी स्कूल लगभग डेढ़ साल के अंतराल के बाद स्टूडेंट्स के स्कूल आने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं।

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