कार पर बरसने लगे पत्थर और गोलियां, लगाई आग भी… जानें कैसे 3 साल की बेटी संग जान बचाकर निकलीं महिला जज

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कार पर बरसने लगे पत्थर और गोलियां, लगाई आग भी… जानें कैसे 3 साल की बेटी संग जान बचाकर निकलीं महिला जज

कार पर बरसने लगे पत्थर और गोलियां, लगाई आग भी… जानें कैसे 3 साल की बेटी संग जान बचाकर निकलीं महिला जज

गुरुग्राम: हरियाणा के नूंह में एक धार्मिक यात्रा पर हमला किया गया। उसके बाद नूंह में हिंसा भड़क उठी। कुछ ही पलों में शहर सांप्रदायिक दंगे की चपेट में था। उपद्रवी हिंदू-मुस्लिम दोनों को टारगेट कर रहे थे। सड़कों से गुजर रहे लोगों पर पत्थर बरसा रहे थे। गाड़ियां रोक-रोककर लोगों को खींचकर पीटा गया। उनकी गाड़ियों को आग लगा दी गई। बच्चे महिलाएं किसी को भी नहीं बख्शा गया। हर तरह आग की लपटें और सड़क पर फैले टूटे सामान के टुकड़े मंजर बयां कर रहे थे। इसी हिंसा की चपेट में नूंह की एक अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भी आ गईं। वह अपने तीन साल की बच्ची के साथ रास्ते से गुजर रही थीं। कार के ऊपर गोलियां चलाई जा रही थीं। कार पर ताबड़तोड़ पत्थर गिर रहे थे। महिला जज की गाड़ी को आग लगा दी गई। वह किसी तरह अपनी तीन साल की बेटी को लेकर वहां से जान बचाकर भागीं।

महिला जज की गाड़ी पर झुंड ने हमला किया। लाठियों से गाड़ी तोड़नी शुरू कर दी। महिला जज और उनकी तीन साल की बेटी घबरा गए। वह किसी तरह गाड़ी से निकलकर जान बचाकर भागीं। हिंसक भीड़ ने उनकी आंखों के सामने ही गाड़ी को आग के हवाले कर दिया।

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जान बचाकर कार से निकले, और भागते गए

जज बेटी को लेकर निकली और भागकर एक जगह पर छिप गईं। उग्र भीड़ मां-बेटी को ढूंढने लगी लेकिन वह सफल नहीं हुए। इस घटना की प्राथमिकी भी नूंह के एक थाने में दर्ज हुई है। नूंह शहर थाने में मंगलवार को दर्ज प्राथमिकी में बताया गया कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अंजलि जैन की गाड़ी पर सोमवार को हमलावरों ने पथराव और गोलीबारी की, जिस कारण उन्हें और उनकी बेटी को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।

दंगाई उन पर पथराव कर रहे थे। कुछ पत्थर कार के पिछले शीशे पर लगे और दंगाइयों ने इलाके में गोलियां चला दीं। हम चारों कार सड़क पर छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए भागे। हम पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में छिप गए और बाद में कुछ वकीलों ने हमें बचाया। अगले दिन जब मैं कार देखने गया तो पता चला कि दंगाइयों ने उसे जला दिया है।

गनमैन सियाराम

ऐसे बची जान

न्यायाधीश, उनकी बेटी और कर्मचारियों को नूंह के पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में शरण लेनी पड़ी। बाद में कुछ अधिवक्ताओं ने उन लोगों को वहां से निकालकर उनकी जान बचाई। नूंह एसीजेएम की अदालत में प्रोसेसर सर्वर (कानूनी कारवाई में मौजूद पक्षों को कानूनी दस्तावेज देने वाला व्यक्ति) के रूप में काम करने वाले टेकचंद की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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FIR में क्या

एफआईआर में कहा गया है कि एसीजेएम और उनकी तीन साल की बेटी गनमैन सियाराम के साथ सोमवार दोपहर करीब एक बजे अपनी वोक्सवैगन कार से दवा खरीदने के लिए नलहर स्थित एसकेएम मेडिकल कॉलेज गई थीं। मेडिकल कॉलेज से लौटते वक्त एसीजेएम पर दिल्ली-अलवर रोड पर पुराने बस स्टैंड के पास करीब 100-150 दंगाइयों ने हमला कर दिया।

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