काराकाट, सीतामढ़ी समेत तीन लोकसभा सीट, उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी से डील डन है क्या?

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काराकाट, सीतामढ़ी समेत तीन लोकसभा सीट, उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी से डील डन है क्या?

काराकाट, सीतामढ़ी समेत तीन लोकसभा सीट, उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी से डील डन है क्या?

2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां हर तरफ तेज हो चुकी हैं। बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीट जीतने वाली एनडीए की नेतृत्व कर रही बीजेपी हर हाल में 2024 में भी बिहार की ज्यादातर सीटों को जीतने की रणनीति बना रही है ताकि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार सरकार बना सकें। बीजेपी इसके लिए छह पार्टियों के महागठबंधन के जवाब में एनडीए को मजबूत करने में जुटी है और इसके लिए भाजपा की ओर मुखातिब नेताओं और दलों से डील हो रही है। बिहार एनडीए में इस समय तीन पार्टियां हैं। बीजेपी के अलावा पशुपति पारस की रालोजपा और जीतनराम मांझी की हम एनडीए का हिस्सा हैं। हम की एंट्री पिछले हफ्ते ही हुई है। अब सबकी नजर चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी पर है कि उनकी बीजेपी से डील और एनडीए में एंट्री की तारीख कब फाइनल होती है।

उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल के सूत्रों का कहना है कि कुशवाहा की बीजेपी के टॉप लीडर्स से बात हो चुकी है और उन्हें 2014 की तरह 2024 में भी तीन लोकसभा सीट देने का भरोसा दिया गया है। अब कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने की बस औपचारिकता बाकी रह गई है जिसे भाजपा का जब भी इशारा होगा, तब पूरा कर लिया जाएगा। सूत्र का कहना है कि 2024 में कुशवाहा को 2014 वाली सीटों मिलेंगी, ये जरूरी नहीं है। कुशवाहा भी इस बात के लिए राजी हैं।

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उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को बीजेपी उन सीटों पर उतारने का मन बना रही है जो 2019 के चुनाव में जेडीयू ने जीती थी जब वो एनडीए का हिस्सा थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा बनाकर लड़े कुशवाहा की पार्टी एक सीट भी नहीं जीत पाई थी। उसके अगले साल उन्होंने नीतीश से संबंध ठीक किए और अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर लिया। लेकिन पारी लंबी नहीं चली और इस साल फरवरी में उन्होंने नीतीश और जेडीयू को छोड़कर फिर से अपनी पार्टी बना ली। इस बार नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल रखा है। उपेंद्र कुशवाहा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत में सब कुछ फाइनल हो गया था। बस घोषणा नहीं हुई है और रालोजद एनडीए में शामिल नहीं हुआ है जो कभी भी हो सकता है।

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आरएलजेडी सूत्रों ने बताया कि कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने की घोषणा इसी महीने होनी थी लेकिन अब महीने में पांच दिन ही बचे हैं। सूत्र के मुताबिक कुशवाहा को जो तीन सीटें मिल सकती हैं उसमें खुद के लिए वो काराकाट मांग रहे हैं। बाकी दो सीटों में सीतामढ़ी, वाल्मीकि नगर और सुपौल पर अटकलबाजी चल रही है। इन चारों सीट पर इस समय जेडीयू के सांसद हैं। काराकाट में कुशवाहा के अलावा सीतामढ़ी सीट से रामेश्वर महतो का नाम चल रहा है। रामेश्वर महतो इस समय जेडीयू के एमएलसी हैं लेकिन तेवर बागी हैं। रामेश्वर महतो ने सोमवार भी जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा पर नीतीश और पार्टी का नुकसान करने का आरोप लगाया है।

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जीतनराम मांझी की पार्टी चट मंगनी, पट ब्याह की तर्ज पर महागठबंधन से निकलकर एनडीए में शामिल हो गई। मांझी की पार्टी से बीजेपी को डील करने में बस आठ दिन लगे। 13 जून को उनके बेटे संतोष सुमन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दिया और 21 जून को अमित शाह से दोनों की मुलाकात हुई जिसके बाद बेटे ने एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी है। उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी और चिराग पासवान के केस में देरी को सीटों के मोल-भाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 29 जून को बिहार दौरे पर आ रहे हैं। वो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के लखीसराय में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। सबकी नजर अब इस बात पर है कि अमित शाह के दौरे के दौरान क्या कुशवाहा की एनडीए में एंट्री हो सकती है या उनका वेटिंग टिकट कन्फर्म होने में और वक्त लगेगा।

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