कहानी सुपरस्‍टार राजेंद्र कुमार की, जिन्हें ‘जुबली कुमार’ तो कहते थे पर कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला

69
कहानी सुपरस्‍टार राजेंद्र कुमार की, जिन्हें ‘जुबली कुमार’ तो कहते थे पर कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला


कहानी सुपरस्‍टार राजेंद्र कुमार की, जिन्हें ‘जुबली कुमार’ तो कहते थे पर कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला

हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक ऐसा हीरा हुआ, जिसने अपनी चमक से चार दशक तक फिल्मी पर्दे के साथ-साथ लोगों के दिलों पर राज किया था। अपनी एक्टिंग की चमक से इस हीरे ने ऐसी रोशनी फैलाई कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री देखती रह गई। ये थे एक्टर राजेंद्र कुमार, जिन्हें ‘जुबली कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है। राजेंद्र कुमार की 12 जुलाई को 23वीं डेथ एनिवर्सरी है। इस मौके पर जानिए ‘जुबली कुमार’ की कहानी। एक ऐसे स्टार की कहानी, जिसके टच को ‘मिडास टच’ माना जाता था। वो जिस भी फिल्म में काम करते, हिट हो जाती। लेकिन दुख की बात है कि राजेंद्र कुमार को ‘जुबली कुमार’ कहे जाने के बावजूद लाइफ में कभी कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया। हालांकि भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से जरूर सम्मानित किया था। राजेंद्र कुमार लगातार तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुए थे, पर एक बार भी अवॉर्ड नहीं मिला।

बंटवारे के बाद भारत आए थे राजेंद्र कुमार
20 जुलाई 1927 को जन्मे राजेंद्र कुमार देश के बंटवारे के बाद परिवार के साथ इंडिया आ गए थे। जब राजेंद्र कुमार बॉम्बे आए तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में किस्मत आजमाने की कोशिश की। राजेंद्र कुमार हीरो नहीं बनना चाहते थे और इसीलि उन्होंने डायरेक्टर एच. एस. रवैल के साथ एक असिस्टेंट के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। करीब पांच साल तक राजेंद्र कुमार ने उनके असिस्टेंट के रूप में काम किया।

फोटो: Twitter@DirectorsIFTDA

राजेंद्र कुमार की पहली जुबली फिल्म
राजेंद्र कुमार ने 1949 में फिल्म ‘पतंगा’ से एक्टिंग डेब्यू किया, जिसके बाद वो फिल्म ‘जोगन’ में एक छोटे से रोल में नजर आए। इसी फिल्म में राजेंद्र कुमार को देखने के बाद प्रोड्यूसर देवेंद्र गोयल उन्हें 1955 में फिल्म ‘वचन’ में साइन किया। फिल्म ने सिल्वर जुबली मनाई। ये राजेंद्र कुमार की पहली फिल्म थी, जिसने सिल्वर जुबली मनाई। यानी उनकी ये फिल्म उस समय बॉक्स ऑफिस पर लगातार 25 हफ्तों तक चली थी।

rajendra kumar3

फोटो: Twitter@BombayBasanti

पढ़ें: राजेन्द्र कुमार और सायरा बानो के अफेयर की खबरों से परेशान थीं मां नसीम, दिलीप कुमार से मांगी थी मदद

राजेंद्र कुमार को इसलिए कहा जाता था ‘जुबली कुमार’
1959 से 1966 के बीच राजेंद्र कुमार के करियर में ऐसा दौर आया, जब उनकी हर फिल्म हिट हो रही थी। उन्हें ‘मिडास टच’ वाला एक्टर कहा जाने लगा। यानी वो जिस भी फिल्म में काम करते, हिट हो जाती। इसी वजह से राजेंद्र कुमार को ‘जुबली कुमार’ कहा जाने लगा। राजेंद्र कुमार की लगातार 6 फिल्में सुपरहिट रही थीं और वो बॉक्स ऑफिस पर 25 हफ्तों तक चली थीं। उसी दौरान राजेंद्र कुमार की फिल्म ‘मेरे महबूब’ की चर्चा हो रही थी। मेकर्स इसमें एक्ट्रेस साधना को राजेंद्र कुमार के ऑपोजिट साइन करना चाह रहे थे। लेकिन साधना इस फिल्म को साइन करने से हिचक रही थीं। चूंकि ऋषिकेश मुखर्जी को मालूम था कि फिल्म में राजेंद्र कुमार हैं तो उन्होंने साधना को बेहिचक फिल्म साइन करने की सलाह दी। ऋषिकेश मुखर्जी जानते थे कि राजेंद्र कुमार का किसी फिल्म में होने का मतलब है उसका हिट होना। कम से कम उस वक्त तो ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा था। हुआ भी यही। ‘मेरे महबूब’ हिट रही और इसने साधना और राजेंद्र कुमार की जोड़ी को भी हिट कर दिया। फिल्म ‘मदर इंडिया’ में भी राजेंद्र कुमार को खूब सराहा गया।

rajendra kumar


60s के अमीर एक्टरों में शामिल

1963 से 1966 के बीच राजेंद्र कुमार की जितनी भी फिल्में आईं, सभी हिट रहीं। एक भी फिल्म फ्लॉप नहीं थी। ‘मेरे महबूब’ से लेकर ‘संगम’, ‘आई मिलन की बेला’, ‘सूरज’ और ‘जिंदगी’, तमाम फिल्में सुपरहिट रहीं। वक्त के साथ राजेंद्र कुमार एक ऐसे स्टार बन गए थे, जिनके साथ हर कोई काम करना चाहता था। उनका स्टारडम दिनोंदिन बढ़ रहा था। राजेंद्र कुमार देखते ही देखते अपने समय के सबसे अमीर एक्टरों में शामिल हो गए थे।

rajendra kumar4

फोटो: Twitter@BombayBasanti

स्ट्रगल के बाद स्टारडम की सीढ़ी
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बॉम्बे आए राजेंद्र कुमार पहले भी खूब रईस थे। सियालकोट में परिवार की खूब जमीन और प्रॉपर्टी थी, लेकिन बंटवारे के कारण उन्हें सबकुछ छोड़कर आना पड़ा। बॉम्बे आने के बाद राजेंद्र कुमार ने 6 साल तक स्ट्रगल किया। उनकी मेहनत रंग लाई और छोटे-मोटे किरदारों से जो शुरुआत हुई, वो लीड किरदारों पर खत्म हुई। 60 के दशक में राजेंद्र कुमार का स्टारडम और लक पूरे चरम पर था। इस दौर में उन्होंने जिस भी तरह के किरदार और फिल्में कीं, वो हिट रहीं। अपने करियर में राजेंद्र कुमार ने माला सिन्हा से लेकर नंदा, सरोजा देवी, मीना कुमारी, साधना, वैजयंतीमाला, सायरा बानो और कुम कुम तक के साथ काम किया।

rajendra kumar6

पढ़ें: राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव को करियर में भारी पड़ी ये गलती, 20 साल पहले फिल्में छोड़ अब संभालते हैं ये बड़े बिजनस

जब फ्लॉप होने लगीं राजेंद्र कुमार की फिल्में, राजेश खन्ना बने स्टार
लेकिन 1967 तक आते-आते राजेंद्र कुमार के करियर में ऐसा पड़ाव आया, जब उनकी फिल्में फ्लॉप होने लगीं। उनका करियर ढलने लगा। 1970s तक राजेंद्र कुमार की एकाध ही फिल्म चल पाई। और फिर उसी दौरान फिल्म इंडस्ट्री में राजेश खन्ना की एंट्री हुई। राजेश खन्ना के चार्म और उनकी एक्टिंग का ऐसा जादू चला कि उनका स्टारडम लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा। हीरोइनें तक राजेश खन्ना के साथ काम करने के लिए बेचैन रहतीं। एक तरफ राजेश खन्ना बॉलिवुड के पहले सुपरस्टार बन गए थे, वहीं दूसरी ओर राजेंद्र कुमार का करियर ढल गया। 1980s में राजेंद्र कुमार ने बेटे कुमार गौरव को फिल्मों में लॉन्च करने का फैसला किया। उन्होंने कुमार गौरव को लेकर ‘लव स्टोरी’ बनाई। फिल्म सुपरहिट रही और कुमार गौरव छा गए। पर कुमार गौरव को हिट डेब्यू के बाद भी फिल्मों के कुछ खास ऑफर नहीं आ रहे थे। ऐसे में राजेंद्र कुमार ने बेटे के लिए फिल्में बनाना जारी रखा।

rajendra kumar5

कार्डियक अरेस्ट से निधन, बुरे सपने की तरह रहे आखिरी दो साल
लेकिन 12 जुलाई 1999 को राजेंद्र कुमार का निधन हो गया। बताया जाता है कि राजेंद्र कुमार को नींद में कार्डियक अरेस्ट आया था और उनकी सांसें थम गईं। राजेंद्र कुमार की जिंदगी के आखिरी दो साल बेहद दर्द और दुखभर रहे। उनका वो वक्त अस्पतालों में बीता। कभी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए चक्कर लगते तो कभी खून की भारी कमी हो जाती।

rajendra kumar kumar gaurav

बेटे कुमार गौरव के साथ राजेंद्र कुमार, फोटो: Insta/bombaybasanti

लगातार 6 हिट के बाद भी राजेंद्र कुमार को कभी नहीं मिला अवॉर्ड
4 दशक से भी लंबे करियर में राजेंद्र कुमार ने करीब 80 से भी ज्यादा फिल्में की थीं। लगातार छह हिट फिल्में देने के बाद उन्हें ‘जुबली कुमार’ का नाम मिला था। बावजूद इसके राजेंद्र कुमार को कभी कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया। 1964 से लेकर 1966 तक राजेंद्र कुमार 3 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए लगातार नॉमिनेट हुए, पर एक बार भी उन्हें सम्मानित नहीं किया गया। राजेंद्र कुमार को 1960s के सबसे सफल एक्टर्स में से एक माना जाता था। पर दुख की बाद है कि उन्हें कभी कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया। हालांकि भारत सरकार ने उन्हें 1970 में पद्म श्री से सम्मानित किया था।



Source link