कभी साइकिल से घर-घर जाकर बेचते थे साड़ियां, आज अरबों की संपत्ति, गौतम अडानी के ‘जीरो से हीरो’ बनने तक की कहानी

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कभी साइकिल से घर-घर जाकर बेचते थे साड़ियां, आज अरबों की संपत्ति, गौतम अडानी के ‘जीरो से हीरो’ बनने तक की कहानी

कभी साइकिल से घर-घर जाकर बेचते थे साड़ियां, आज अरबों की संपत्ति, गौतम अडानी के ‘जीरो से हीरो’ बनने तक की कहानी


नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से एशिया के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) चर्चा में हैं। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट (Hindenburg report) की रिपोर्ट ने अडानी समूह के कारोबार को हिलाकर रख दिया है। उनकी कंपनी के शेयरों के दाम गिर रहे हैं। हालांकि अडानी वो साधारण नाम नहीं है, जो इस तरह के हवा के झोंके से हिल जाए। अपनी मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने अरबों डॉलर का कारोबार खड़ा किया है। खुद कॉलेज ड्रॉपआउट अडानी आज हजारों-लाखों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। पोर्ट, एनर्जी, लॉजिस्टक्स, एग्री बिजनेस , रियल स्टेट, एयरपोर्ट्स, नेचुरल गैस जैसे सेक्टर पर उनका राज है। लेकिन ये साम्राज्य बाहर से जितना सुंदर दिख रहा है, उसे खड़ा करने में गौतम अडानी ने उतना ही खून पसीना बहाया है। कभी साइकिल से घर-घर कपड़े और साड़ियां बेचने वाले अडानी ऐसे ही एशिया के सबसे अमीर कारोबारी नहीं बन गए।

साइकिल से घर-घर बेचते थे साड़ियां

गौतम अडानी जब 15 साल के थे तो वो साइकिल से घर-घर जाकर कपड़े, साड़ियां बेचा करते थे । अहमदाबाद के पुराने शहर में आज भी ‘अदानी टेक्सटाइल्स’ की दुकान आपको दिख जाएगी, जिसे गौतम अडानी के पिता उस वक्त चलाते थे। गौतम अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए साइकिल पर कपड़े, साड़ियां लादकर घर-घर बेचने जाते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात मलय महादेविया से हुई। दोनों में दोस्ती हो गई। आज भी दोनों साथ हैं। अहमदाबाद में काम आगे नहीं बढ़ रहा था तो उन्होंने मुंबई का रुख कर लिया।

16 साल की उम्र में शुरू किया कारोबार

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16 साल की उम्र में घर से जेब में 10 रुपये लेकर निकले गौतम अडानी ने मुंबई में एक हीरा कारोबारी के यहां नौकरी की। कुछ महीने वहां काम किया, फिर उनके भाई मनसुखलाल ने गौतम अडानी को वापस अहमदाबाद बुला लिया, जहां उन्होंने भाई के साथ प्लास्टिक बनाने की फैक्ट्री में काम किया।

1988 में रखी अडानी एंटरप्राइजेज की नींव

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भाई के साथ उनकी फैक्ट्री में काम करने के साथ-साथ उन्होंने साल 1988 में अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) की नींव रखी। उन्होंने एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट- कंपनी के जरिए कारोबारी जगत में कदम रखा। 1990 के आर्थिक सुधारों से उनके कारोबार में पंख लग गए। 1995 में अडानी को गुजरात के मुंद्रा पोर्ट का कॉन्ट्रैक्ट मिला। ये कॉन्ट्रैक्स पोर्ट कारोबार में अडानी की बादशाहत का पहला अध्याय था। उनकी शोहतर इतनी बढ़ी की साल 1998 में उन्हें फिरौती के लिए किडनैप कर लिया गया। साल 2008 में वो 26/11 में वो होटल ताज पर हुए आतंकी हमले के गवाह बने। जब होटल ताज पर आतंकियों ने हमला किया, वो उस वक्त वहीं मौजूद थे। अगले दिन उन्हें वहां से रेस्क्यू किया गया था।

आम आदमी से जुड़े कारोबार पर फोकस

आम आदमी से जुड़े कारोबार पर फोकस

अडानी ने अपने कारोबार का फोकस आम आदमी से जुड़ी चीजों पर रखा। उन्होंने थर्मल पावर, एग्रो प्रोडक्ट्स, नेचुरल गैस में निवेश किया। हर दिन आपके किचन में जो फॉर्च्यून तेल , आटा, रिफाइन, सोयाबीन आप इस्तेमाल करते हैं, वो गौतम अडानी की कंपनी विल्मर तैयार करती है। उन्होंने रियल स्टेट, इंफ्रास्चक्चर जैसे सेक्टर में कदम बढ़ाया। देश के सात बड़े हवाई अड्डों पर अडानी समूह के पास है। अडानी एंटरप्राइज लिमिटेड गुवाहाटी, जयपुर, मंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डों की देखरेख करती है।

हर बड़े सेक्टर पर अडानी समूह का राज

हर बड़े सेक्टर पर अडानी समूह का राज

वर्तमान में अडानी समूह कोल ट्रेडिंग एंड माइनिंग, पेट्रो कैमिकल, पोर्ट, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक, पावर, रियल स्टेट, नेचुरलस गैस और ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में फैला है। उनके पास देश की सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कंपनी है। महज 30 से 35 सालों में उन्होंने सफलता की नई कहानी लिख दी। कभी साइकिल से सफर करने वाले गौतम अडानी लग्जरी कारों, प्राइवेट जेट के मालिक है। गुजरात, दिल्ली, गुड़गांव जैसे शहरों में उनके पास महलों जैसा घर है। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में रहते हैं।

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