कभी वाजपेयी को चुनाव में दी थी शिकस्त, पीएम मोदी करेंगे उनके नाम पर यूनिवर्सिटी का शिलान्यास, राजा महेंद्र प्रताप सिंह की कुछ खास बातें

75


कभी वाजपेयी को चुनाव में दी थी शिकस्त, पीएम मोदी करेंगे उनके नाम पर यूनिवर्सिटी का शिलान्यास, राजा महेंद्र प्रताप सिंह की कुछ खास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे। राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1886 में हुआ था। वह हाथरस के मुरसब एस्टेट में एक जाट परिवार में पैदा हुए थे। राजा महेंद्र प्रताप राजा घनश्याम सिंह की तीसरी संतान थे। मथुरा इलाके में उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। भारत सरकार ने उनके सम्मान में 1979 में डाक टिकट भी जारी किया था। 

एएमयू में की थी पढ़ाई थी, फिर जमीन भी दान दी थी
राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1895 में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज से पढ़ाई की थी। बाद में 1920 में इसका नाम बदलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कर दिया गया। न्यूज 18 के मुताबिक बताया जाता है कि साल 1929 में उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए जमीन भी दी थी। इसे तिकोनिया पार्क के नाम से जाता है। 2019 में आरएसएस और भाजपा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखने की मांग उठाई। इसके बाद उसी साल 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके नाम पर राज्य विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा कर दी।

जनसंघ के खिलाफ निर्दल लड़ा था चुनाव
यह भी दिलचस्प बात है कि पीएम मोदी जिस राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर यूनिवर्सिटी की नींव डालने जा रहे हैं, वो कभी जनसंघ के खिलाफ चुनाव भी जीत चुके हैं। उन्होंने 1957 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी को मथुरा विधानसभा क्षेत्र से हराया था। तब वाजपेयी भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार थे, जबकि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। 

गांधी को खत लिखकर जिन्ना से सतर्क रहने को कहा था
राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। साल 1915 में अफगानिस्तान में निर्वासन के दौरान उन्होंने भारत की अंतरिम सरकार बनाई थी। 1939  में महात्मा गांधी को लिखे एक पत्र में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें जिन्ना के प्रति आगाह किया था। तब उन्होंने जिन्ना को एक सांप की उपाधि देते हुए उनके ऊपर भरोसा न करने के लिए कहा था। 

नोबल शांति पुरस्कार के लिए हुए थे नामांकित
साल 1932 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। दक्षिण अफ्रीका में गांधी आंदोलन में शामिल होने, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने और ब्रिटिश सरकार की क्रूरताओं को उजागर करने के लिए उन्हें यह नामांकन मिला था। 1940 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने जापान में एग्जीक्यूटिव बोर्ड ऑफ इंडिया का गठन किया था। 

संबंधित खबरें



Source link