कन्या भ्रूण हत्या को रोकने चयन की जांच मशीनों पर लगेंगे ट्रेकर

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कन्या भ्रूण हत्या को रोकने चयन की जांच मशीनों पर लगेंगे ट्रेकर

– पीसीपीएनडीटी राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी

स्त्री-पुरुष अनुपात में महिलाओं की संख्या में आ रही गिरावट चिंता का विषय है

भोपाल। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए चयन की जांच मशीनों पर ट्रेकर लगवाने पर भी विचार किया किया जाए। प्रत्येक केन्द्र का कम से कम तीन माह में एक बार आवश्यक तौर पर निरीक्षण किया जाए। स्त्री-पुरुष अनुपात में महिलाओं की संख्या में आ रही गिरावट चिंता का विषय है। गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम में गठित राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड की मंत्रालय में आयोजित बैठक में उक्त आशय के विचार लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने व्यक्त किए।
स्त्री-पुरुष अनुपात में महिलाओं की संख्या में आ रही गिरावट चिंता का विषय है। शिशु लिंगानुपात में इस अंतर का प्रमुख कारण कन्या भ्रूण हत्या से जुड़ा है। गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम में गठित राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड की मंत्रालय में आयोजित बैठक में उक्त आशय के विचार लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने व्यक्त किये। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि चयन प्रतिषेध का पालन सभी सोनोग्राफी सेंटर द्वारा किया जाए। जिन केन्द्रों पर ऐसी गतिविधियाँ होती हैं, उनकी खबर देने वाले सूचनादाताओं को दी जाने वाली राशि में भी बढ़ोत्तरी की जाये, ताकि अधिक से अधिक जानकारी पीसीपीएनडीटी कमेटी को मिले और कमेटी द्वारा कार्यवाही कर इसे रोका जा सके। उन्होंने कहा कि वे स्वयं इस कार्यवाही को प्राथमिकता से करने के लिए और अधिनियम के प्रावधानों को कारगर ढंग से लागू करने के लिये जिला कलेक्टर्स को पत्र लिखेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाये। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की नियमित बैठकें आयोजित की जायें। संभाग-स्तरीय कमेटी की भी बैठकें हों और अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर सतत नजर रखी जाये। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि देश और प्रदेश में लिंगानुपात में बढ़ते अंतर को रोकने के लिये कारगर प्रयास करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि चयन प्रतिषेध का पालन सभी सोनोग्राफी सेंटर द्वारा किया जाये। इसके लिये अधिनियम के अंतर्गत अधिकृत समितियों को जिलों में केन्द्रों का सतत निरीक्षण करना चाहिये। प्रत्येक केन्द्र का कम से कम तीन माह में एक बार आवश्यक तौर पर निरीक्षण किया जाये।









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