और इस तरह जिंदा हो गयी बुंदेलखंड की बरुआ नदी, जानिए कैसे हुआ संभव

119

और इस तरह जिंदा हो गयी बुंदेलखंड की बरुआ नदी, जानिए कैसे हुआ संभव

लक्ष्मी नारायण शर्मा / झांसी : जल संकट का सामना कर रहे बुंदेलखंड के ललितपुर जनपद के बरुआ नदी के पुनर्जीवित होने की कहानी बेहद रोमांचक और प्रेरणा देने वाली है। सामाजिक संगठनों, स्थानीय लोगों, जन प्रतिनिधियों और प्रशासन ने जब मिलकर कदम बढ़ाया तो नाले के स्वरूप में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी यह नदी पुनर्जीवित हो गई। लगभग तेरह किलोमीटर लंबी यह नदी उद्भव के बाद छह ग्राम पंचायतों के चौदह गांव से होते हुए जामनी नदी में मिल जाती है। इस नदी के संरक्षण के लिए झांसी मंडल के कमिश्नर ने सभी संबंधित ग्राम पंचायतों को नदी संरक्षण समिति बनाकर इसकी निगरानी का निर्देश दिया है।

चार साल की मेहनत लाई रंग

बरुआ नदी का उद्भव करेंगा गांव से होता है और यह एविनि गांव के पास जामनी नदी में मिल जाती है। इस नदी से बालू निकालने के लिए खनन माफियाओं ने बेतरतीब खुदाई की और इस पर बने चेकडैम तोड़ दिए। इससे नदी में पानी का प्रवाह खत्म होने लगा। लगभग चार वर्ष पहले परमार्थ संस्था ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर नदी के पुनर्जीवन के लिए इस पर श्रमदान की योजना बनाई और स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासन का ध्यान इस ओर खींचा। नदी के दोनों ओर मनरेगा से पौधरोपण किया गया और कई स्थानों पर चेकडैम का निर्माण कराया गया। प्रशासनिक अफसरों की सख्ती के बाद यहां बालू खनन पर रोक लगाई गई। लगभग चार साल की मेहनत के बाद इस नदी में कलकल करती पानी की धारा दिखाई देती है, जिसकी लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

बरुआ चौकीदार करेंगे निगरानी
नदी के पुनर्जीवन के बाद अब इसके संरक्षण और निगरानी के लिए बरुआ चौकीदार नियुक्त करने की तैयारी है। झांसी मंडल के कमिश्नर डॉ अजय शंकर पांडेय ने निर्देश दिए हैं कि जिन ग्राम पंचायतों से होकर यह नदी गुजरती है, उन सभी में नदी जल संरक्षण समिति का गठन किया जाए। जिस ग्राम पंचायत में नदी की धारा बाधित होगी, उसे दंडित किया जाएगा। इसके साथ ही तालबेहट और पूराकला थानों की पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि नदी से बालू खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

प्रेरक है बरुआ नदी की कहानी
जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह बताते हैं कि लगभग चार सालों के प्रयास के बाद बरुआ नदी अब सदानीरा होकर वर्ष पर्यंत बहने की स्थिति में आ गई है। किसी समय में खनन माफियाओं ने इस पर बने 12 चेकडैम तोड़ दिए थे। जगह-जगह नदी के स्वरूप को बदल दिया गया था। नदी को नाले के स्वरूप में बदलने की कोशिश की गई थी। जामनी की यह सहायक नदी छह ग्राम पंचायतों के 14 गांव की लाइफलाइन है। सबके प्रयास के बाद अब इस गर्मी के मौसम में भी यह नदी पर्याप्त प्रवाह के साथ बह रही है। अब तक नदियां नाले में बदलती रही हैं लेकिन यहां नाले को नदी में बदला गया है। यह बड़ी उपलब्धि है। यह पूरे देश के लिए मॉडल है। बरुआ नदी के पुनर्जीवन की कहानी से सबको सीखने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News