ओवरलोड वाहन का वजन सड़क पर करेगी मशीन, नहीं जाना पड़ेगा धर्मकांटा, अटैची में रखी जाती है मशीन | overloaded vehicle, weight on the road, transport Department | Patrika News
transport Department: हाइवे पर दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों की जांच अब सड़क पर ही की जा सकेगी। वाहन के वजन के लिए धर्मकांटे तक नहीं जाना पड़ेगा। ओवरलोड वाहनों का संड़क पर ही चालान और अन्य कार्रवाई की जा सकेगी।
जयपुर
Published: January 03, 2022 08:45:58 pm
जयपुर। transport Department: हाइवे पर दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों की जांच अब सड़क पर ही की जा सकेगी। वाहन के वजन के लिए धर्मकांटे तक नहीं जाना पड़ेगा। ओवरलोड वाहनों का संड़क पर ही चालान और अन्य कार्रवाई की जा सकेगी। परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग के उड़नदस्ते अब जिस स्थान पर खड़े होंगे, उसी जगह पर पोर्टेबल वेइंग मशीन के जरिए वाहनों का वजन कर सकेंगे। विभाग ने प्रदेश के 7 प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों में वेइंग मशीनें उपलब्ध करा दी हैं। दावा किया जा रहा है कि यह पहल ओवरलोड वाहनों पर प्रभावी नियंत्रण कर सड़क सुरक्षा के लिए कारगार साबित होगी।
7 आरटीओ में दी गई 104 मशीनें
विभाग ने पहले चरण में 7 प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में 104 पोर्टेबल वेइंग मशीनें उड़नदस्तों को उपलब्ध कराई है। इनमें जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सीकर, जोधपुर और बीकानेर आरटीओ शामिल हैं। इसी माह शेष 5 आरटीओ में भी मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी। कुल 179 मशीनें दी जानी हैं। इनके आने से वजन करने में आसानी होने के साथ ही अधिक पारदर्शिता आयेगी।
सिर्फ 3 बाय 2 फीट
पोर्टेबल वेइंग मशीन की लंबाई-चौड़ाई सिर्फ 3 बाय 2 फीट ही है। यह एक अटैची में रखी होती है। इसे उड़नदस्ते निरीक्षण के दौरान अपने वाहन में आसानी से ले जा सकते हैं। इस मशीन में दो वेइंग पेड और एक एलईडी स्क्रीन (वेइंग इंडीकेटर) है। दोनों वायरलेस के जरिए आपस में जुड़े है। दोनों पेड को सड़क किनारे समतल जगह बिछाकर वजन किया जायेगा। जब भार वाहन के सभी एक्सल वेइंग मशीन से गुजरेंगे तो इंडीकेटर के जरिए कुल वजन का प्रिंट निकल जाएगा। यह ऑटो मोड पर भी काम करेगी, जिसमें प्रिंट तभी ही निकलेगा जब वाहन ओवरलोड होगा।
हर जिले में होगा वेंडर का इंजीनियर
मशीनों में तकनीकी सुधार और निरंतर रख-रखाव के लिए हर जिले में मशीन वेंडर की ओर से इंजीनियर्स लगाए गए हैं। मशीनों का इंश्योरेंस और सार-संभाल तीन वर्ष तक वेंडर कंपनी की ओर से ही की जाएगी। साथ ही राजस्थान सरकार के विधिक माप विज्ञान विभाग (लीगल मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट) की ओर से इनका हर वर्ष जांच और सत्यापन भी वेंडर ही करवाएगा। सोमवार को परिवहन मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मशीन से संबंधित विशेषज्ञ ने प्रादेशिक, जिला परिवहन अधिकारियों और निरीक्षकों को प्रशिक्षण दिया।
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transport Department: हाइवे पर दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों की जांच अब सड़क पर ही की जा सकेगी। वाहन के वजन के लिए धर्मकांटे तक नहीं जाना पड़ेगा। ओवरलोड वाहनों का संड़क पर ही चालान और अन्य कार्रवाई की जा सकेगी।
जयपुर
Published: January 03, 2022 08:45:58 pm
जयपुर। transport Department: हाइवे पर दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों की जांच अब सड़क पर ही की जा सकेगी। वाहन के वजन के लिए धर्मकांटे तक नहीं जाना पड़ेगा। ओवरलोड वाहनों का संड़क पर ही चालान और अन्य कार्रवाई की जा सकेगी। परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग के उड़नदस्ते अब जिस स्थान पर खड़े होंगे, उसी जगह पर पोर्टेबल वेइंग मशीन के जरिए वाहनों का वजन कर सकेंगे। विभाग ने प्रदेश के 7 प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों में वेइंग मशीनें उपलब्ध करा दी हैं। दावा किया जा रहा है कि यह पहल ओवरलोड वाहनों पर प्रभावी नियंत्रण कर सड़क सुरक्षा के लिए कारगार साबित होगी।
7 आरटीओ में दी गई 104 मशीनें
विभाग ने पहले चरण में 7 प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में 104 पोर्टेबल वेइंग मशीनें उड़नदस्तों को उपलब्ध कराई है। इनमें जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सीकर, जोधपुर और बीकानेर आरटीओ शामिल हैं। इसी माह शेष 5 आरटीओ में भी मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी। कुल 179 मशीनें दी जानी हैं। इनके आने से वजन करने में आसानी होने के साथ ही अधिक पारदर्शिता आयेगी।
सिर्फ 3 बाय 2 फीट
पोर्टेबल वेइंग मशीन की लंबाई-चौड़ाई सिर्फ 3 बाय 2 फीट ही है। यह एक अटैची में रखी होती है। इसे उड़नदस्ते निरीक्षण के दौरान अपने वाहन में आसानी से ले जा सकते हैं। इस मशीन में दो वेइंग पेड और एक एलईडी स्क्रीन (वेइंग इंडीकेटर) है। दोनों वायरलेस के जरिए आपस में जुड़े है। दोनों पेड को सड़क किनारे समतल जगह बिछाकर वजन किया जायेगा। जब भार वाहन के सभी एक्सल वेइंग मशीन से गुजरेंगे तो इंडीकेटर के जरिए कुल वजन का प्रिंट निकल जाएगा। यह ऑटो मोड पर भी काम करेगी, जिसमें प्रिंट तभी ही निकलेगा जब वाहन ओवरलोड होगा।
हर जिले में होगा वेंडर का इंजीनियर
मशीनों में तकनीकी सुधार और निरंतर रख-रखाव के लिए हर जिले में मशीन वेंडर की ओर से इंजीनियर्स लगाए गए हैं। मशीनों का इंश्योरेंस और सार-संभाल तीन वर्ष तक वेंडर कंपनी की ओर से ही की जाएगी। साथ ही राजस्थान सरकार के विधिक माप विज्ञान विभाग (लीगल मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट) की ओर से इनका हर वर्ष जांच और सत्यापन भी वेंडर ही करवाएगा। सोमवार को परिवहन मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मशीन से संबंधित विशेषज्ञ ने प्रादेशिक, जिला परिवहन अधिकारियों और निरीक्षकों को प्रशिक्षण दिया।
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