‘उनको तो सिर्फ दो लोगों की बात को ही सुनना है’, नीतीश को जेपी नड्डा से नहीं, सिर्फ नरेंद्र मोदी और अमित शाह से खुन्नस?

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‘उनको तो सिर्फ दो लोगों की बात को ही सुनना है’, नीतीश को जेपी नड्डा से नहीं, सिर्फ नरेंद्र मोदी और अमित शाह से खुन्नस?

‘उनको तो सिर्फ दो लोगों की बात को ही सुनना है’, नीतीश को जेपी नड्डा से नहीं, सिर्फ नरेंद्र मोदी और अमित शाह से खुन्नस?


नील कमल, पटना : ‘ये अच्छी बात है कि सबको हमारी यात्रा का पता चल चुका है। हम जेपी नड्डा के विषय में कुछ नहीं कहेंगे। आप सभी लोग जानते हैं कि जेपी नड्डा का संबंध पटना से रहा है। इसके अलावा हमारा भी उनके साथ दूसरा रिश्ता है। अब तो वो उस (बीजेपी) पार्टी में चले गए हैं और वो राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बाद भी जेपी नड्डा को तो सिर्फ ‘दो’ (मोदी-शाह) लोगों की बात को ही सुनना है और उन्हीं की बात को बोलना है। जो हम लोगों के खिलाफ है, तो करें उनको जो करना है।’ पटना में सीएम नीतीश ने ये बातें, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए कही।

जेपी नड्डा से हमारा दूसरा रिश्ता है: नीतीश

दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा 5 जनवरी से शुरू हो रही है। उसके ठीक पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यक्रम 3 जनवरी को हाजीपुर में है। इसी से जुड़ा सवाल मीडियावालों ने सीएम नीतीश से पूछा तो उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि सबको हमारी यात्रा का पता चल चुका है। हम जेपी नड्डा के विषय में कुछ नहीं कहेंगे। आप सभी लोग जानते हैं कि जेपी नड्डा का संबंध पटना से रहा है। इसके अलावा हमारा भी उनके साथ दूसरा रिश्ता है। अब तो वो उस पार्टी में चले गए हैं और वो राष्ट्रीय अध्यक्ष है।

वो ‘दो लोग’ कौन? जिसकी बात जेपी नड्डा सुनते हैं?

नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बाद भी जेपी नड्डा को तो सिर्फ ‘दो’ लोगों की बातों को ही सुनना है। उन्हीं की बात को बोलना है। जो हम लोगों के खिलाफ है तो करें उनको जो करना है। स्पष्ट तौर पर नीतीश कुमार का इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ओर था। उन्होंने कहा कि हर पार्टी का ये अधिकार है कि वो घूमे। हम लोग बिहार की सेवा में काम कर रहे हैं। उनकी यात्रा का मकसद अब तक जितना भी काम किया गया है, उसे देखना और क्या काम करना है, उसे जानना है। वे देखेंगे कि हमारी जो योजनाएं चल रही है, उसका कितना लाभ लोगों तक पहुंच रहा है। आगे लोगों को और कैसे लाभ पहुंचाया जाए, इसकी योजना तैयार करने के लिए यात्रा पर निकल रहे हैं।

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2013 में नीतीश कुमार ने कैंसल कर थी भोज

शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से दिए गए बयान का क्या ये मतलब निकाला जाए कि उन्हें सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से परेशानी है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बीजेपी के नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध थे। जेपी नड्डा को लेकर उन्होंने कहा कि उनके साथ भी मधुर संबंध रहे हैं। आपको याद दिला दें कि 2013 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आवास पर उनके लिए भोज का कार्यक्रम रखा था। लेकिन तय कार्यक्रम की तारीख के दिन ही मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी को लेकर रखे गए भोज के आयोजन को रद्द कर दिया था। हालांकि, इसकी वजह कुछ और बताई गई थी।

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क्या 2024 के बाद फिर बदलेगा नीतीश का मन?

बिहार जब बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा था। तब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही गुजरात सरकार की ओर से अनाज और पांच करोड़ एक चेक बिहार सरकार को राहत के तौर पर भेजा गया था। लेकिन नीतीश कुमार ने ना सिर्फ राहत के लिए भेजे गए चेक को लौटा दिया था बल्कि अनाज को भी गुजरात सरकार को वापस कर दिया था। हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने और 2014 के ही लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड यानी नीतीश कुमार की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये कह कर चौंका दिया था कि नरेंद्र मोदी को हराने वाला कोई नहीं है। वर्तमान समय में नीतीश कुमार फिर से नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं। यही वजह है कि केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार इस बार अपने फैसले पर अडिग रहते हैं या फिर 2024 चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी को लेकर उनके ख्याल फिर बदलते हैं।

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