उत्तराखंड की ‘हरक कथा’: वे ठहाके, अब ये आंसू… BJP से आधी रात क्यों निकाले गए हरक सिंह रावत, पूरी कहानी

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उत्तराखंड की ‘हरक कथा’: वे ठहाके, अब ये आंसू… BJP से आधी रात क्यों निकाले गए हरक सिंह रावत, पूरी कहानी

हाइलाइट्स

  • उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने हरक सिंह रावत को आधी रात कैबिनेट से बर्खास्त किया
  • सूत्रों के मुताबिक हरक सिंह अपने लिए मनचाही सीट और परिवार के लिए 2 टिकट मांग रहे थे
  • कांग्रेस उन्हें डोईवाला और उनकी बहू अनुकृति को लैंसडाउन से टिकट दे सकती है

देहरादून
उत्तराखंड में हरक सिंह रावत फिर ‘फरक’ गए हैं। छह साल पहले ठीक आधी रात वह बीजेपी में सरके थे। आज वह कांग्रेस में घर वापसी करेंगे, ऐसा तय माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पिछले दिनों सबकुछ ठीक जताने के लिए उनके हंसी-ठहाकों को याद कीजिए। इन खुशनुमा लम्हों के महीनेभर के भीतर ही बीजेपी ने पार्टी से उन्हें विदाई दे दी। सियासत में हंसी कितनी खोखली होती है, यह दिखाता है।

आज हरक आंसुओं में डूबे हैं। कैबिनेट और पार्टी से निकाले जाने की खबर सुनकर उनकी आंखें छलक आईं। गला रुंध गया। सियासत में आंसुओं का बड़ा मोल है। आंखों से बह निकलने की टाइमिंग उनकी कीमत और असर तय करती है। इनकी मार अचूक है। इतिहास में नेताओं के आंसुओं का पूरा रासायनिक विश्लेषण मौजूद है। मौसम चुनावी है। इसलिए हरक के ये आंसू इसी कसौटी पर तौले जाएंगे।

हरक की वह हंसी जो अब आंसुओं में बदल गई

2016 की वह रात, जब BJP की बस में सवार हुए थे हरक
हरक सिंह रावत के लिए पाला बदलना कोई नई बात नहीं है। वह मौकापरस्ती के माहिर खिलाड़ी माने जाते रहे हैं। इस बार वह सीट नहीं बदलते, तो यह अपने आप में रेकॉर्ड हो जाएगा। 2016 में हरीश रावत सरकार को मुश्किल में डाल हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा और 8 अन्य विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी विधायकों के साथ वे बस में भर आधी रात राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। यह भी संयोग है कि बीजेपी से आधी रात ही उनकी विदाई भी हो गई। हरीश रावत और हरक सिंह रावत कभी गहरे दोस्त रहे। सीएम की कुर्सी की महत्वकांक्षा ने इस दोस्ती में दरार डाली। अब ठीक छह साल बाद हरक अब पुराने दोस्त के साथ खड़े दिख रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हुआ इसकी पूरी कहानी पिछले दिनों का घटनाक्रम बयां करता है।

3 टिकटों की जिद और आधी रात निकाले गए हरक
पूरा खेल 3 टिकटों का है। हरक अपने लिए सेफ सीट चाहते थे। यमकेश्वर, केदारनाथ और डोईवाला उनकी पसंदीदा सीटें बताई जा रही हैं। इसके अलावा दो टिकट परिवार के लिए भी मांग रहे थे। रावत इसके लिए अपने खासमखास विधायक उमेश शर्मा काऊ को लेकर दिल्ली रवाना हुए थे। उनके साथ उनकी बहू अनुकृति गुसाईं भी थीं। रावत बहू के लिए लैंसडाउन की सीट चाहते हैं। पर मामला सेट नहीं हुआ। बताया जाता है कि बीजेपी हरक को मनचाही सीट देने को तैयार थी। पर परिवार के लिए दो सीटों की जिद ने सारा खेल बिगाड़ दिया। नतीजा आधी रात कैबिनेट और पार्टी से उनकी विदाई के तौर पर हुआ। हरक के लिए संकेत साफ है कि वह कांग्रेस का दाम थाम सकते हैं। पार्टी अब और मोलभाव नहीं करेगी।

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कांग्रेस पूरी कर देगी हरक की मुराद!
इस पूरे घटनाक्रम के बीच हरक सिंह रावत कांग्रेस में भी अपनी गोटी सेट करने में लगे रहे। हरीश रावत से वह मिल चुके हैं। उनका कांग्रेस में जाना तय है। लेकिन बड़ा सवाल यहां भी तीन टिकटों और हरीश रावत से उनके भावी समीकरण का रहेगा। पुरानी दोस्ती की गर्माहट कितनी लौट पाई यह वक्त बताएगा। माना जा रहा है कि कांग्रेस के साथ तीन तो नहीं, दो टिकट पर बात बन जाएगी। हरक को डोईवाला और उनकी बहू अनुकृति को लैंसडाउन से टिकट दिया जा सकता है।

…तो फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत से करेंगे हिसाब बराबर
अगर डोईवाला सीट से हरक टिकट पा जाते हैं, तो यहां मुकाबला दिलचस्प होगा। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत यहां से बीजेपी के मौजूदा विधायक हैं। सबकुछ ठीक रहा है तो वह इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी होंगे। ऐसे में यह सीट रावत बनाम रावत के दिलचस्प मुकाबले की गवाह बनेगी। और सबसे बड़ी बात हरक के लिए त्रिवेंद्र से हिसाब बराबर करने का मौका भी रहेगा। मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह से उनकी अनबन किसी से छिपी हुई नहीं रही है।

हरक सिंह रावत को बीजेपी से किया गया निष्कासित

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